हरियाणा में कब से निकाली जा रही है ब्रजमंडल यात्रा? जानें 2023 की हिंसा में हुआ था कितना नुकसान

हरियाणा के नूंह में आज सावन के पहले सोमवार के मौके पर ब्रजमंडल यात्रा निकाली जानी है. नूंह के नल्हड़ मंदिर से इस धार्मिक यात्रा की शुरुआत होती है, यह यात्रा फिरोजपुर झिरका के झिरकेश्वर महादेव मंदिर से होते हुए पुन्हाना के सिंगार श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचेगी. यात्रा का आयोजन विभिन्न हिंदू संगठनों और धर्मगुरुओं के मार्गदर्शन में किया जा रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक नूंह में वर्ष 2020 में पहली बार ब्रजमंडल यात्रा का आयोजन किया गया था, जिसके बाद से यह एक वार्षिक धार्मिक यात्रा बन गई. हालांकि पिछले साल हुई हिंसा के बाद ये यात्रा काफी चर्चा में हैं. बताया जाता है कि करीब 79 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इलाके में कई प्राचीन मंदिर हैं, जो हिंदुओं की कम आबादी के कारण देखरेख की कमी से जूझ रहे हैं. ब्रजमंडल यात्रा का मकसद है कि लोग इन मंदिरों से जुड़ें और उनका संरक्षण हो.
नूंह में क्यों होती है ब्रजमंडल यात्रा?
हरियाणा के नूंह जिले में ब्रजमंडल यात्रा साल में एक बार एक ही दिन होती है. बताया जाता है कि हिंदू संगठनों ने नूंह में स्थित प्राचीन हिंदू मंदिरों को बचाने के लिए कुछ ही साल पहले ये जलाभिषेक शुरू किया था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार यहां महाभारत काल के समय के तीन शिवलिंग भी हैं. इन मंदिरों से लोगों को जोड़ने के लिए हिंदू संगठनों ने कुछ ही साल पहले मेवात दर्शन यात्रा की शुरुआत की थी, इसे ही ब्रजमंडल यात्रा भी कहा जाता है. नल्हड़ शिव मंदिर से शुरू होने वाली यात्रा के लिए हरिद्वार से जल लाया जाता है और मंदिर में जलाभिषेक किया जाता है.
नल्हड़ महादेव शिव मंदिर से ब्रजमंडल शोभायात्रा की शुरू होती है. इस यात्रा में कई हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और संत समाज नल्हड़ शिव मंदिर पहुंचकर जल अभिषेक कर यात्रा की शुरुआत करते हैं. नल्हड़ मंदिर पर जलाभिषेक कर संत समाज के साथ अन्य सभी लोग फिरोजपुर झिरका शिव मंदिर पर भी जल अभिषेक करेंगे और यात्रा का समापन सिगार गांव में होगी.
ब्रजमंडल यात्रा, शिव मंदिर और भगवान कृष्ण का कनेक्शन
‘ब्रज’ शब्द का अर्थ है ‘कृष्ण की भूमि’. इसलिए ये भगवान कृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों से जुड़ा हुआ है. दरअसल नल्हड़ शिव मंदिर का इतिहास महाभारत काल का माना जाता है. बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों और पांडवों का समझौता कराने के लिए नूंह के पास अरावली पर्वत पर स्थित इसी शिव मंदिर को चुना था. यही वजह है कि इस मंदिर का भगवान कृष्ण से नाता माना जाता है.
एक साल पहले क्या हुआ था?
बीते साल 31 जुलाई को ब्रजमंडल यात्रा निकाली गई थी. शोभायात्रा के कुछ ही किलोमीटर दूर पहुंचने के बाद हुई पत्थरबाजी के बाद बवाल शुरू हो गया था. नूंह से होती हुई ये हिंसा गुरुग्राम और आसपास के इलाकों में भी फैल गई. इस हिंसा में 7 लोगों की जान चली गई वहीं कई लोग घायल भी हो गए. हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने सैकड़ों वाहनों में भी आग लगा दी थी और जिले के साइबर थाने पर भी हमला कर दिया था. यही नहीं दंगाइयों ने कई दुकानों में तोड़फोड़, लूट और आगजनी की घटना को भी अंजाम दिया था.
नूंह पुलिस ने इस पूरे मामले में 60 से ज्यादा FIR दर्ज कर मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में इस मामले में बिट्टू बजरंगी और मोनू मानेसर को जमानत मिल गई थी. वहीं इस हिंसा में फिरोजपुर झिरका सीट से कांग्रेस विधायक मामन खान का नाम भी सामने आया था. पुलिस ने मामन खान पर हिंसा भड़काने और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा करने में शामिल संदिग्धों के संपर्क में रहने का आरोप लगाया था. मामन खान को पिछले साल नूंह हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें अदालत ने जमानत दे दी थी.

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