RBI: बैंक से कर्जा लेने वालों को RBI ने दिए खास अधिकार, EMI की अब नो टेंशन

आरबीआई ने बैंकों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए 12 पॉइंट्स का एक नया मसौदा तैयार किया है. इस मसौदे में पीनल चार्जेज (Penal Charge) को केंद्र में रखा गया है.

कई ऋण प्राप्तकर्ता इस संबंध में शिकायतें दर्ज करा चुके थे जिस पर अब आरबीआई ने कदम उठाया है. बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों से इस मसौदे पर 15 मई 2023 तक सुझाव मांगा गया है.

अगर नए नियम लागू होते हैं तो इसका फायदा सीधे कर्ज लेने वाले लोगों को मिलेगा. बता दें कि आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फरवरी में मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा था कि इस संबंध में जल्द दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे.

अब बात करते हैं कि पीनल चार्ज आखिर होता क्या है. जब आप किसी बैंक या अन्य रेग्युलेटेड वित्तीय संस्थान से कर्ज लेते हैं तो आपको हर महीने एक तय किस्त यानी EMI जमा करनी होती है.

इसकी भरपाई में चूक या देरी होने पर कर्ज देने वाला संस्थान पीनल चार्ज लगाता है. यह एक तरह का जुर्माना है जो लोगों को समय से भुगतान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लगाया जाता है.

बैंक क्या कर रहे?

आरबीआई ने पाया है कि बैंकों ने इसे पीनल चार्ज नहीं इंटरेस्ट (Penal Interest) के तौर पर लेना शुरू कर दिया है. बैंक जुर्माने को ब्याज के रूप में ले रहे हैं और वह ब्याज भी चक्रवृद्धि तरीके से बढ़ता है.

इससे कर्जदार ऋण के जंजाल में फंसना शुरू हो जाता है. जबकि आरबीआई का साफ निर्देश है कि जुर्माने का मकसद रेवेन्यु जेनरेट करना नहीं है. बैंक ठीक यही कर रहे हैं. उन्होंने इसे अपनी आय का एक जरिया बना लिया है.

नए मसौदे से क्या बदलेगा?

आरबीआई द्वारा जारी नए मसौदे के अनुसार, अब बैंक जुर्माने को ‘दंडात्मक ब्याज के रूप में नहीं ले पाएंगे. फिलहाल बैंक जुर्माने को चक्रवृद्धि ब्याज (Compounding Interest) के हिसाब से वसूलता है.

इसे सीधे जुर्माने की तरह ही लिया जाएगा. साथ ही ग्राहकों को ये भी बताना होगा कि पेन्लटी चार्ज से जुड़े नियम या शर्त क्या हैं.

इसके अलावा बैंकों के पास लोन पीनल चार्ज या ऐसे ही किसी अन्य चार्ज के संबंध में अपने बोर्ड से अनुमति प्राप्त नीति होनी चाहिए.  इससे ग्राहकों और वित्तीय संस्थानों के बीच विवाद कम होने की उम्मीद है.

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