हिमाचल में पार्षद की सदस्यता को समाप्त करने के आदेश पर SC ने लगाई रोक, जानिए क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश में दो पार्षद की सदस्यता को समाप्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है. अदालत ने हिमाचल प्रदेश के सोलन नगर निगम की महापौर ऊषा शर्मा व पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की पार्षद सदस्यता को समाप्त करने के आदेश पर रोक लगाई है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांग्रेस की शिकायत पर दोनों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत पार्षद सदस्यता को समाप्त कर दिया था.
हिमाचल सरकार ने 10 जून को निगम की तत्कालीन महापौर ऊषा शर्मा और पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर की पार्षद के तौर पर सदस्यता को समाप्त कर दिया था. राज्य सरकार के इस आदेश के खिलाफ ऊषा शर्मा औऱ पूनम ग्रोवर ने पहले हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी. वहां से राहत नहीं मिलने के बाद दोनों ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
दल बदल कानून के तहत कार्रवाई गई थी सदस्यता
दरअसल, सोलन नगर निगम के लिए सात दिसंबर को महापौर और उपमहापौर का चुनाव हुआ था. इसमें कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ीं ऊषा शर्मा महापौर और BJP की पार्षद मीरा आनंद उप महापौर बनी थीं. इस चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के बावजूद करारी हार का सामना करना पड़ा था. क्योंकि कांग्रेस के चार पार्षदों ने बगावत कर अपना प्रत्याशी मेयर के चुनाव में उतार दिया था.
हिमाचल प्रदेश के सोलन नगर निगम में हुए उस चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, इसको लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने महापौर ऊषा शर्मा, पूर्व महापौर पूनम ग्रोवर, पूर्व उपमहापौर राजीव कौड़ा और पार्षद अभय शर्मा के खिलाफ शिकायत की थी. कांग्रेस ने नगर निगम आयुक्त से दोनों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की थी.
10 जून को दोनों कीसदस्यता को अयोग्य कर दिया था
वहीं, कांग्रेस की शिकायत के बाद राज्य सरकार ने उपायुक्त को इस मामले की जांच सौंपी. जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने 10 जून को मेयर ऊषा शर्मा और पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की पार्षद की सदस्यता को अयोग्य करार दिया था. इस मामले में कांग्रेस का आरोप था कि महापौर और उपमहापौर के चुनाव के लिए पार्टी की ओर व्हिप जारी किया गया था. और इन चार पार्षदों द्वारा व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.
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