हीट स्ट्रोक के खतरे से खुद को कैसे बचाएं? RML के डॉक्टर से जानें सही तरीके

उत्तर भारत के कई राज्य अभी भी भीषण गर्मी की चपेट में हैं. तापमान इतना ज्यादा है कि कई लोग अपनी जान भी गवां चुके हैं. इस गर्मी से खुद को बचाने के लिए RML हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉक्टर अजय चौहान ने कुछ टिप्स दी हैं. उन्होंने कहा कि हमारे शरीर के सारे अंगों को एक निश्चित तापमान की जरूरत होती है. अगर एनवायरमेंट टेंपरेचर की बात करें तो हमारा शरीर 37 डिग्री सेल्सियस में ही ठीक से काम कर पाता है, इससे ज्यादा तापमान में रहने पर हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है.
अपने आपको इतनेएक्ट्रीम हीट से बचाने के लिए भी डॉ. चौहान ने कुछ खास टिप्स दिए हैं. हीट स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए व्यक्ति को हल्के रंग के कपड़े पहनने चाहिए, धूप में काम करने वाले लोग हर आधे घंटे में फ्लूड ब्रेक और शेड ब्रेक लेते रहें. डॉक्टर अजय चौहान के मुताबिक, हीट स्ट्रोक में मृत्यु दर 70-80 फीसदी है, इसलिए अगर किसी में भी हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत अस्पताल में लेकर जाएं. अगर आपको लगे कि कोई लू की वजह से गिर पड़ा है, कुछ बड़बड़ा रहा है, जुबान लड़खड़ा रही है और टेंपरेचर बहुत ज्यादा है तो उसकी गर्दन के नीचे, बगल के नीचे और जांघों पर बर्फ रखे और उसे तेज पंखे में बिठाएं ताकि बॉडी टेंपरेचर कुछ कम हो सके.
डॉक्टर अजय चौहान ने बताया कि इस दौरान 30 से 50-55 की उम्र के लोग अस्पताल में ज्यादा आ रहे हैं. ये वो लोग हैं जो जो बाहर मजदूरी करते हैं, ठेला लगाते हैं, सिक्योरिटी गार्ड हैं. अपनी आजीविका चलाने के लिए इन्हें धूप में भी मेहनत करनी पड़ती है.
गर्मी शरीर के हर अंग पर डालती है असर
दिमाग
कंफ्यूजन, चिड़चिड़ापन, गफलत की स्थिति, मिर्गी जैसे दौरे भी पड़ सकते हैं, चलने में लड़खड़ाहट हो सकती है, व्यक्ति गिर भी सकता है, हाथ पैरों में कंपन, दिमाग की नसें जो ऊपर वाली नसें हैं, उसमें पैरालिसिस भी हो सकती है. हो सकता है इसके बाद दिखने में भी दिक्कत हो जाए जिससे एक चीज दो नजर आए.
हृदय
हार्ट रेट बढ़ जाती है, मायोकार्डियल डैमेज हो सकती है, इससे कार्डियक फेल हो सकता है. कभी-कभी लोग इसे हार्ट अटैक भी समझ लेते हैं, बाद में पता चलता है कि ये हीट स्ट्रोक की वजह से हुआ था. ऐसी स्थिति में जान जाने का खतरा काफी रहता है.
पेट
पेट में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन हो सकता हैं. इसमें डायरिया, डिसेंट्री, उल्टी हो सकती है. पीलिया हो सकता है, लिवर एंजाइम डैमेज हो सकते हैं. इससे मसल डैमेज भी बहुत होता है, अगर ऐसा होता है तो किडनी खराब होने की आशंका बढ़ जाती है.
RML हॉस्पिटल में बनाया गया हीट स्ट्रोक वार्ड
आरएमएल हॉस्पिटल की सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सीमा वासनिक का कहना है कि हीट स्ट्रोक के मरीज टेंपरेचर इंजेक्शन या दवाइयों से ठीक नहीं होता है, उन्हें कूल डाउन करना
कौन कौन से मरीजों का इस तरह से किया जाता है इलाज
सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सीमा वासनिक ने बताया कि मरीज बेहोशी की हालत में भी आ सकता है, उसे हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती है, इसमें पल्स रेट इरेगुलर हो सकती है, इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस हो सकता है, डिहाइड्रेशन, शॉक और सीवियर हीट स्ट्रोक में पेशेंट को ब्लीडिंग डिसऑर्डर भी हो सकता है. ऐसा पेशेंट जब आता है तो जल्दी से जल्दी डायग्नोज किया जाता है. इसमें हम देखते हैं कि पेशेंट हीट स्ट्रोक से पीड़ित है कि नहीं. अगर पेशेंट ज्यादा क्रिटिकल है तो उसे तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होती है। जितना जल्दी हो सके उसका टेंपरेचर उतारना होता है. इसके लिए मरीज को कोल्ड इमर्शन टब में चादर में लपेटकर रखते हैं.

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