हेमंत सोरेन ही नहीं, माले भी तय करेगी झारखंड कैबिनेट में कांग्रेस की हिस्सेदारी!

सत्ता वापसी के बाद हेमंत कैबिनेट का पेच और ज्यादा उलझ गया है, इसलिए सुलझाने के लिए झारखंड में इंडिया गठबंधन ने कैबिनेट विस्तार को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. 28 नवंबर को अब सिर्फ हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. दिसंबर के पहले हफ्ते में कैबिनेट का पूर्ण विस्तार होगा.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस कोटे की सीटों पर किचकिच जारी है. कांग्रेस कैबिनेट में पुराने फॉर्मूले के तहत कम से कम 4 सीटें चाह रही है, लेकिन गठबंधन सरकार में माले की एंट्री और सीटों के नए समीकरण की वजह से हेमंत उसे कम सीटें देना चाहते हैं.
2 सीटों पर माले ने दर्ज की है जीत
2019 में माले अकेले मैदान में उतरी थी और उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. 2024 में माले की इंडिया गठबंधन में एंट्री हो गई है. माले ने 2024 के चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल की है. दोनों ही सीटें धनबाद जिले की है.
2019 में एक सीट जीतने वाली आरजेडी को कैबिनेट में जगह मिली थी. ऐसे में हेमंत इस बार माले को भी कैबिनेट में शामिल कराना चाहते हैं. माले की तरफ से अरूप चटर्जी और बबलू महतो को जीत मिली है. माले को समझौते के तहत 3 सीटें मिली थी 2 पर पार्टी फ्रेंड
कांग्रेस का समीकरण गड़बड़
आरजेडी के बाद माले की अगर कैबिनेट में एंट्री होती है तो कुल 12 में से 10 सीट ही कांग्रेस और जेएमएम के लिए बच रही है. झारखंड में सीटों के लिहाज से सिर्फ 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं. जेएमएम को 34 और कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली है.
यानी एक पद के लिए कुल 4.6 विधायकों की जरूरत होती है. हेमंत इस लिहाज से 7 सीटों पर दावेदारी ठोक रहे हैं. पिछली बार भी हेमंत सोरेन की पार्टी के खाते में 7 सीटें गई थी. जेएमएम कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटें देना चाह रही है.
हेमंत सोरेन की पार्टी का कहना है कि 2019 में आरजेडी के लिए हमने त्याग किया था. इस बार माले के लिए कांग्रेस त्याग करे. दरअसल, 2019 में फॉर्मूले के तहत जेएमएम कोटे में 8 और कांग्रेस कोटे में कैबिनेट की 4 सीटें आई थीं.
जेएमएम ने एक विधायक वाली आरजेडी को अपने कोटे से एक बर्थ दिया था.
माले पर निर्भर कांग्रेस की सीटें
कहा जा रहा है कि हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेगी, यह माले के फैसले पर निर्भर है. 29 नवंबर को माले ने रांची में हाईलेवल मीटिंग बुलाई है. इसी मीटिंग में सरकार में शामिल होने पर फैसला संभव है.
2022 में बिहार में जब नीतीश और तेजस्वी की सरकार बनी तो माले ने बाहर से ही समर्थन देने का फैसला किया था. ऐसा ही फैसला अगर माले झारखंड में लेती है तो हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस को 4 सीटें मिल सकती है.
माले अगर सरकार में शामिल होती है तो कांग्रेस की सीटों में कटौती होगी.
मंत्री बनने के लिए दिल्ली दौरे पर माननीय
हेमंत कैबिनेट में अपनी जगह फिक्स करने के लिए कांग्रेस के विधायकों ने दिल्ली का चक्कर काटना शुरू कर दिया है. जिन नेताओं का दिल्ली दौरा चर्चा में है, उनमें पौड़ेयाहाट के विधायक प्रदीप यादव, बेरमो विधायक अनूप सिंह और बंधु तिर्की का नाम शामिल हैं.
बंधु तिर्की अपनी बेटी और मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की की पैरवी में जुटे हैं. इसी तरह प्रदीप ओबीसी कोटे की रिक्त सीट पर मंत्री बनने की कवायद में जुटे हैं. जमशेदपुर पश्चिमी सीट से बन्ना गुप्ता की हार के बाद ओबीसी कोटे की पद रिक्त हो गई है.
डिप्टी स्पीकर पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस झारखंड कैबिनेट में डिप्टी सीएम का पद मांग रही थी, लेकिन उसे भी हेमंत सोरेन ने नहीं माना है. अब कांग्रेस की नजर डिप्टी स्पीकर पद पर है. झारखंड में लंबे वक्त से कोई डिप्टी स्पीकर नहीं बना है.
कांग्रेस अपने एक वरिष्ठ नेता को इस पद पर बैठाकर झारखंड की सियासत को साधना चाहती है. डिप्टी स्पीकर का पद संवैधानिक होता है और कांग्रेस इसके जरिए सत्ता का संतुलन भी बनाए रखना चाहती है. स्पीकर का पद जेएमएम के पास है.
रांची में प्रभारी और पर्यवेक्षक डटे
कैबिनेट का समीकरण सुलझाने के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर और पर्यवेक्षक तारिक अनवर रांची में डटे हुए हैं. जेएमएण की तरफ से हेमंत सोरेन और आरजेडी की तरफ से प्रभारी जेपी यादव बातचीत कर रहे हैं.

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