1 करोड़ आबादी वाला ये देश रुकवाएगा युद्ध? रूस, यूक्रेन और चीन से कर ली बात, अब NATO के साथ बैठक

हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान अपने एक खास मिशन पर निकले हुए हैं. जिस काम को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे बड़े देश नहीं कर पाए, उसके लिए 1 करोड़ आबादी वाले देश हंगरी के पीएम ने एड़ी-चोटी का जोर लग रखा है. इस मिशन को उन्होंने ‘पीस मिशन 3.0’ नाम दिया है. इस मिशन के तहत वे यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध विराम कराने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले हफ्ते अपनी यूक्रेन और रूस यात्रा के बाद वे चीन भी पहुंच गए है. उनकी ये तीन अचानक यात्राएं अमेरिका में मंगलवार से शुरू हो रही NATO की बैठक से ठीक पहले हुई है.
सोमवार को हंगरी के प्रधानमंत्री ने बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है. यूक्रेन युद्ध के दौरान चीन रूस का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बनकर उभरा है और इस सीजफायर की कवायद में राष्ट्रपति शी अहम किरदार निभा सकते हैं. इस मुलाकात के बाद शी जिनपिंग ने विश्व शक्तियों से रूस और यूक्रेन के बीच फिर से सीधी बातचीत शुरू करने में मदद करने का आह्वान किया है.

President Xi made it clear to me today that #China will continue its efforts aimed at creating the conditions for #peace. We are not alone!
Peace mission to be continued pic.twitter.com/TNz1GcwIgB
— Orbán Viktor (@PM_ViktorOrban) July 8, 2024

पीएम विक्टर ओरबान का चीन दौरा वाशिंगटन में होने जा रहे नाटो (NATO) समिट से एक दिन पहले हुआ है. ओरबान ने बताया कि यूक्रेन रूस और चीन के बाद उनका अगला स्टॉप वाशिंगटन होगा. नाटो के इस समिट में यूक्रेन युद्ध प्रमुख मुद्दा रहेगा और यूक्रेन के लिए कई तरह की सैन्य और आर्थिक सहायता का ऐलान होने की उम्मीद है.
रूस और पश्चिमी देश दोनों से है दोस्ती
हंगरी एक ऐसा यूरोपीय देश है जिसके रूस के साथ सबसे अच्छे रिश्ते हैं. पिछले हफ्ते शुक्रवार को हुई विक्टर ओरबान की रूस यात्रा का यूक्रेन और यूरपीय संघ दोनों ने विरोध किया था.
हंगरी एक ऐसा देश है जो नाटो और यूरोपीय संघ दोनों का सदस्य है. उनके दौरे की आलोचना करते हुए यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा था, “ओरबान की रूस यात्रा पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला था और उन्हें मास्को जाने के लिए यूरोपीय संघ से कोई जनादेश नहीं मिला है.”
यूक्रेन को हथियार देने से किया इंकार
हंगरी के प्रधानमंत्री ने युद्ध के दौरान भी रूस से अपने संबंध कायम रखे हैं और यूरोपीय संघ के दूसरे देशों के रुख के विपरीत जाकर हंगरी ने कीव को सैन्य सहायता देने का विरोध किया है. पिछले हफ्ते विक्टर ओरबान से मुलाकात के बाद पुतिन ने ऐलान किया था कि वे किसी भी ऐसे संघर्ष विराम को नहीं मानेगा जो यूक्रेन को दोबारा से संगठित होने और नुकसान की भरपाई की इजाजत दे. पुतिन ने ओरबान से कहा कि यदि यूक्रेन शांति चाहता है तो उसे उन क्षेत्रों से अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे जिन पर मास्को ने कब्जा कर लिया है.

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