1200 एकड़ ज़मीन, 200 फ्लैट: करोड़ों रुपये के कथित घोटाले के अभियुक्त नीरज अरोड़ा की कहानी
हाल ही में पंजाब में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले के मुख्य अभियुक्त नीरज अरोड़ा को पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. इस गिरफ़्तारी के बाद कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं.
नीरज अरोड़ा नेचर हाइट्स इंफ्रा से जुड़े कथित घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं.
पुलिस को नीरज अरोड़ा की बीते नौ सालों से तलाश थी.
पुलिस ने कहा कि नीरज पुलिस की पकड़ से बचने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराने की योजना बना रहे थे.
फरीदकोट और फाजिल्का पुलिस ने नीरज को उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के श्रीनगर से गिरफ़्तार किया.
पंजाब पुलिस के मुताबिक, नीरज अरोड़ा के पास पंजाब और मध्य प्रदेश में 1,200 एकड़ से अधिक ज़मीन और 200 आवासीय फ्लैट हैं, जिनकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा है.
7 लाख से 1000 करोड़ तक की छलांग
पंजाब पुलिस के मुताबिक, नीरज अरोड़ा के पिता खुफिया विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे, जबकि उनकी मां एक शिक्षिका थीं.
एमबीए की शिक्षा पूरी करने के बाद नीरज अरोड़ा ने अपने दोस्त प्रमोद नागपाल के साथ साबुन, चाय और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं बेचने का एक छोटा व्यवसाय शुरू किया था.
पुलिस जांच के मुताबिक, “नीरज अरोड़ा ने अपने करियर की शुरुआत एक निजी नेटवर्किंग कंपनी से की, जहां उन्होंने नेटवर्किंग बिजनेस की मूल बातें सीखीं.”
साल 2002 में नीरज अरोड़ा ने अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर मात्र सात लाख रुपये के निवेश से नेचरवे नेटवर्किंग कंपनी नाम की एक फर्म की स्थापना की. एक दशक के भीतर ही नीरज की फर्म ने 100 करोड़ के टर्नओवर को छू लिया था.
2003 तक उनका किराना कारोबार राजस्थान तक फैल चुका था. जबकि साल 2011 आते-आते, भारत के 12 राज्यों में नेचर वे उत्पादों के लगभग 400 स्टोर थे.
फरीदकोट पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “नीरज ने पंजाब और राजस्थान में अपनी कंपनी नेचरवे के लिए एजेंटों और ग्राहकों का नेटवर्क बनाने के लिए 1.6 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्रा की और एक बड़ा नेटवर्क बनाने में सफल रहे.”
उन्होंने कहा, “नेटवर्किंग के इस काम में प्रत्येक एजेंट को अधिक से अधिक लोगों को कंपनी के साथ ग्राहक के रूप में जोड़ने का काम सौंपा गया था, इससे कंपनी को ज़्यादा कमीशन का लाभ मिल रहा था.”
इस पुलिस अधिकारी के मुताबिक, “नेचर्स वे कंपनी 500 किराना और अन्य उत्पाद बेचती थी और कंपनी 2012 तक अच्छा प्रदर्शन कर रही थी. दिलचस्प बात यह है कि नीरज अरोड़ा को साल 2013 में आदर्श करदाता का पुरस्कार मिला था.”
किराने का सामान बेचेते-बेचते बिल्डिंग बनाने लगे
पंजाब पुलिस के मुताबिक़, नेचरवे फर्म की सफलता के बाद, नीरज ने अमित कुक्कड़ और प्रमोद नागपाल सहित अन्य भागीदारों के साथ रियल एस्टेट व्यवसाय शुरू किया.
उन्होंने 2012 के मध्य में नेचर हाइट्स इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक फर्म की स्थापना की.
फरीदकोट पुलिस के मुताबिक, “नेचरवे की सफलता के कारण, नीरज की लोगों और निवेशकों के बीच अच्छी प्रतिष्ठा थी और लोगों ने उसके व्यवसाय में निवेश करना शुरू कर दिया, जहां उन्हें कम समय में अधिक पैसा देने का वादा किया गया था.”
पुलिस के अनुसार, “नीरज ने 2013 और 2015 के बीच पंजाब के विभिन्न ज़िलों में संपत्तियां ख़रीदीं. लेकिन जब वह निवेशकों को लाभ वितरित करने में असमर्थ हुए तो लोगों ने पुलिस से संपर्क किया और उनके ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज कीं. पूरे पंजाब में नीरज के ख़िलाफ़ कई शिकायतें दर्ज़ हुईं.”
फरीदकोट पुलिस की जांच से पता चला है कि नीरज ने पूर्व-नियोजित तरीके से व्यक्तिगत लाभ के लिए निवेशकों से पैसे ठगने की कोशिश की. कंपनी प्रमुख स्थानों पर सस्ते प्लॉट की पेशकश करती थी. बाद में पता चलता था कि ज्यादातर कॉलोनियों में ज़मीन भी नहीं थी.”
एक निवेशक जज सिंह ने कहा, “हमें बाद में पता चला कि होशियारपुर में जो चार एकड़ ज़मीन हमें मिलनी थी उसका अनुबंध चार अन्य लोगों को कर दिया गया था.”
“इस कंपनी ने न तो निवेशकों को प्लॉट आवंटित किए और न ही पैसे लौटाए. यहां तक कि कंपनी के जारी किए गए चेक भी बाउंस हो गए. कंपनी ने कथित तौर पर पंजाब भर में ग्राहकों से करोड़ों रुपये एकत्र किए थे. बाद में इसके सभी शाखा कार्यालय बंद हो गए थे.”
फाजिल्का की एसएसपी प्रज्ञा जैन कहती हैं, “उपभोक्ताओं ने भुगतान करना बंद कर दिया क्योंकि वे अनुबंध मूल्य से कम पर प्लॉट या ज़मीन खरीदने के इच्छुक नहीं थे. भुगतान करने की बजाय, ग्राहक अनुबंध की शेष किस्त की वापसी की मांग करने लगे. लेकिन भुगतान करने की बजाय नेचर हाइट्स कंपनी ने उनसे क़ानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा.”
फ़रीदकोट ज़िले के डीएसपी इकबाल सिंह ने कहा, “नीरज अरोड़ा ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब के पठानकोट ज़िले के पासपोर्ट सहित कई फर्जी पहचान पत्र तैयार किए थे. नीरज फ़रार होने के दौरान चंडीगढ़, देहरादून और मुंबई में रह रहा था. उसने फर्जी पासपोर्ट पर थाइलैंड और कंबोडिया जैसे देशों की यात्रा की थी.”
इक़बाल सिंह के मुताबिक, “पुलिस ने नीरज के पास से प्लास्टिक सर्जन से जुड़ा मेडिकल रिकॉर्ड बरामद किया है. जांच में पता चला कि नीरज प्लास्टिक सर्जरी के ज़रिए अपना रूप बदलने की योजना बना रहे थे, लेकिन पैसे की कमी के कारण ऐसा नहीं कर सके.”
कैसे हुई गिरफ़्तारी?
फरीदकोट पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में नीरज अरोड़ा की भाभी मेनका तुली को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद हमने नीरज अरोड़ा का पता लगाया, जो उत्तराखंड में एक निजी आवास में रह रहे थे.”
उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के डर से नीरज किसी भी फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा था और उसने रिश्तेदारों और परिचितों से सभी संबंध तोड़ लिए थे.
फ़रीदकोट के एसएसपी हरजीत सिंह ने बीबीसी को बताया, ”मामले की जांच के लिए हमने एक विशेष टीम बनाई थी, जो पिछले एक महीने से काम कर रही है. हमें फाजिल्का की एसएसपी प्रज्ञा जैन से भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली, जिसके परिणामस्वरूप मोस्ट वांटेड नीरज अरोड़ा की गिरफ्तारी हुई.”
पंजाब के 21 ज़िलों में नीरज के ख़िलाफ़ 108 मामले
फ़रीदकोट के डीएसपी इकबाल सिंह संधू का कहना है कि नीरज के ख़िलाफ़ पंजाब में लोगों से पैसे या प्लॉट का झांसा देकर धोखाधड़ी करने के 21 ज़िलों में 108 मामले दर्ज हैं.
उन्होंने कहा, “कुल 108 एफ़आईआर में से 47 फाजिल्का में, आठ फिरोजपुर में, छह-छह पटियाला और फतेहगढ़ साहिब में, पांच-पांच रूपनगर, मोहाली और एसएएस नगर में, चार-चार मामले फरीदकोट, श्री मुक्तसर साहिब और जालंधर कमिश्नरेट में दर्ज हैं.”
हालांकि उल्लेखनीय है कि नीरज अरोड़ा को फाजिल्का पुलिस ने फरवरी 2016 में गिरफ्तार किया था लेकिन ज़मानत पर आने के बाद वह फ़रार हो गए थे.
ईडी ने नीरज और अन्य सहयोगियों की संपत्ति भी जब्त की है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नीरज और उनकी कंपनी की लगभग 22 करोड़ रुपये की संपत्ति और बैंक में जमा नकदी भी जब्त कर ली थी.
ईडी ने 2017 में इस मामले की जांच शुरू की थी. इस बीच, उसे निवेशकों से 491 और शिकायतें मिली हैं.
‘हमने अपने जीवन की सारी कमाई निवेश कर दी’
फरीदकोट ज़िले के जज सिंह से नीरज अरोड़ा ने नेचर हाइट्स इंफ्रा लिमिटेड में 91 लाख रुपये का निवेश कराया था, जो वे गंवा चुके हैं.
जज सिंह बराड़ ने बीबीसी से फ़ोन पर हुई बातचीत में कहा, “2012 में मैं नीरज अरोड़ा के संपर्क में आया था. हमारे पास कुछ पैसे थे, जिसे हमने उनकी फर्म में निवेश किया था.”
उन्होंने यह भी बताया, “नीरज ने 2017 में हमें चार एकड़ ज़मीन देने पर सहमति जताई थी जिसमें बगीचे लगाए जाने थे और तब तक हर महीने 50,000 रुपये मुआवजे के रूप में देने थे. शुरुआती सालों में वे चेक देते थे लेकिन कुछ समय बाद उनके चेक बैंक में बाउंस होने लगे.”
जज सिंह बराड़ ने कहा, “हमने अपने पूरे जीवन की कमाई का निवेश किया, लेकिन हमारे 91 लाख रुपये की मूल राशि गायब हो गई. इस धोखाधड़ी के कारण हमें बहुत नुकसान हुआ है और शर्म के कारण हम किसी रिश्तेदार को भी नहीं बता सकते हैं.”
उन्होंने सरकार से सवाल किया, “हमने कंपनी में निवेश किया क्योंकि उन्हें सरकार से प्राप्त सभी लाइसेंस या अनुमतियां मिली हुई थीं. निवेशकों के हितों की रक्षा करना संबंधित सरकार का कर्तव्य था.”