बिहार कांग्रेस के 16 विधायकों को हैदराबाद ले जाया गया, झारखंड में शक्ति प्रदर्शन आज

बिहार सरकार में हुए फेरबदल के बाद 12 फरवरी को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में NDA गठबंधन को अपना बहुमत साबित करना है. लेकिन उससे पहले बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) के 19 में 16 विधायकों को चार्टेड प्लेन से हैदराबाद भेज दिया गया है.

बताया जा रहा है कि बिहार कांग्रेस में टूट की आशंका के कारण पार्टी ने ऐसा किया है.

इंडिया टुडे से जुड़े शशि भूषण कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 फरवरी को 16 विधायक तेलंगाना के हैदराबाद एयरपोर्ट पर पहुंचे. इस दौरान बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि ये सारे विधायक यहां के मुख्यमंत्री से मिलने आए हैं. उन्होंने कहा,

“नई सरकार बनी है, हम सभी यहां पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री से मिलेंगे, उन्हें बधाई देंगे.”

हैदराबाद पहुंचने से पहले दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी. इस बैठक में बिहार के विधायक और विधान पार्षद शामिल हुए थे. इस बैठक के बाद 16 विधायकों को बिहार से बाहर ले जाया गया.

इस बीच बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि कांग्रेस के लोग डरे हुए हैं. कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है. उन्होंने पार्टी पर विधायकों के अपमान का आरोप भी लगाया. कहा कि कांग्रेस को इस सोच से मुक्त होना चाहिए कि विधायक बंधुआ मजदूर होते हैं.

सिन्हा ने आगे कहा कि विधायक जनता का फैसला लाते हैं. उन्हें अपना निर्णय खुद लेना चाहिए.

क्या वाकई बीजेपी को कांग्रेसी विधायकों की जरूरत है?

बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 का आंकड़ा छूना होता है. मौजूदा समय में NDA के पास 128 सीटें हैं. जो बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त है. वहीं विपक्ष के पास 115 सीटें हैं. जिनमें कांग्रेस के 19 विधायक हैं. ऐसे में जब कांग्रेस के 16 विधायक एक साथ बिहार से बाहर पहुंचा दिए गए तो सवाल उठे. सवाल ये कि कहीं कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर तो नहीं सता रहा?

ऑपरेशन लोटस क्या है?

ऑपरेशन लोटस शब्द का इस्तेमाल विपक्षी दलों में जोड़-तोड़ के भाजपा के प्रयासों के लिए किया जाता है. पहली बार 2008 में इस शब्द की चर्चा हुई थी. ऐसे में सवाल ये भी है कि कांग्रेस को तोड़ने के लिए कितने नंबर्स का आकंड़ा चाहिए?

दलबदल कानून से बचने के लिए बिहार कांग्रेस के कम-से-कम 13 विधायकों को एक साथ दूसरी पार्टी में जाना होगा.

झारखंड में होगा फ्लोर टेस्ट

इस बीच पड़ोसी राज्य झारखंड में 5 फरवरी को चम्पाई सोरेन सरकार का फ्लोर टेस्ट होना है. फ्लोर टेस्ट से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कुछ शर्तों के साथ सोरेन को समर्थन देने की बात कही है.

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