1947 से अब तक कितना बदला देश का रेलवे सेक्टर, कोयले से लेकर वंदे भारत और लग्जरी ने ऐसे बदली तस्वीर

यात्रीगण कृपया ध्यान दें… ट्रेन संख्या 12952 मुंबई तेजस राजधानी एक्सप्रेस जो कि दिल्ली से चलकर मुंबई को जाने वाली है. आज थोड़ी ही देर में स्टेशन पर आने वाली है. यह गाड़ी शाम 4 बजकर 55 मिनट पर नई दिल्ली से रवाना होगी, जो दूसरे दिन 08:35 बजे सुबह मुंबई पहुंचेगी. यह गाड़ी देश की राजनीतिक राजधानी से आर्थिक राजधानी के बीच का सफर तय करेगी. बीच में वह कई स्टेशन पर रुकते हुए यात्रा पूरा करेगी. जैसे इंडियन रेलवे आजादी के बाद से उतार-चढ़ाव का सफर पूरा करते हुए इस आजादी के अमृत महोत्सव तक पहुंच पाई है. इस गाड़ी को अपने गंतव्य तक पहुँचने में 16 घंटे 5 मिनट का समय लगता है, लेकिन हम 5 मिनट से भी कम समय में आपको आजादी के बाद से लेकर अब तक के रेलवे के सफर के बारे में बताने वाले हैं. चलिए शुरुआत करते हैं.
दुनिया के लिए मिसाल है इंडियन रेलवे
आजादी के बाद भारतीय रेल ने देश के विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर सफर तय किया है. आधुनिकता की दिशा में रेल नेटवर्क तेजी से बढ़ा है, और आज यह नेटवर्क 1.26 लाख किलोमीटर से अधिक का हो चुका है. धरती से चांद की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है, और भारतीय ट्रेनों का दैनिक यात्रा 36.78 लाख किलोमीटर है. यह धरती और चांद के बीच की दूरी का 9.5 गुना और धरती की परिधि का 96 गुना है. इसे ऐसे समझें कि भारतीय रेल रोजाना धरती से चांद तक का नौ बार सफर तय करती है, या फिर धरती के चारों ओर 97 बार घूमती है. ऐसे नहीं भारतीय रेलवे को दुनिया के लिए मिसाल बोला जाता है.
तेजी से हो रहा रेलवे का विकास
आने वाले सालों में रेलवे कई मार्गों पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत करने जा रहा है. कश्मीर, पूर्वोत्तर और लद्दाख जैसे कठिन इलाकों को भी रेल नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है. देश के तेज आर्थिक विकास के लिए रेलवे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर का निर्माण भी कर रहा है. भारतीय रेलवे के वंदे भारत ट्रेन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आईएसएफ के पूर्व जीएम सुधांशु मणि ने इस यात्रा को करीब से देखा है. उन्होंने एक मीडिया बातचीत में बताया था कि भारतीय रेलवे हमेशा देश का गौरव रही है और भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश के लिए यह एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है.
भाप के इंजन से लेकर वंदे भारत ट्रेन तक का यह सफर न केवल अद्वितीय है, बल्कि अगले पांच वर्षों में और भी शानदार होने की उम्मीद है. सरकार ने स्पष्ट रूप से समझ लिया है कि भारतीय रेल देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. पिछले एक साल में रेलवे को लेकर जो फैसले किए गए हैं, वे अभूतपूर्व हैं और इनसे भारतीय रेलवे आने वाले वर्षों में विश्वस्तरीय सुविधाओं और अत्याधुनिक तकनीक वाली ट्रेनों से लैस होगा.
बुलेट पर है भारत की नजर
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा की और 2026 तक पहली बुलेट ट्रेन के चलने की संभावना जताई है. यह बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलेगी, जिसमें ‘हाई स्पीड रेल’ (एचएसआर) गलियारे के तहत 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने की योजना है. इस मार्ग की कुल दूरी 508 किलोमीटर होगी और इसमें 12 स्टेशन होंगे. वर्तमान में, मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा करने में लगभग छह घंटे लगते हैं, लेकिन बुलेट ट्रेन के शुरू होने के बाद यह समय आधा हो जाएगा.
आर्च ब्रिज है बड़ी उपलब्धि
यूएसबीआरएल प्रोजेक्ट के तहत चिनाब नदी पर बन रहा आर्च ब्रिज एक बड़ी उपलब्धि है, जिसका काम जल्द पूरा होने की उम्मीद है. इसके अलावा, अंजी ब्रिज भी इंजीनियरिंग का एक अद्वितीय उदाहरण है. इस प्रोजेक्ट के तहत उत्तर रेलवे कश्मीर तक रेल नेटवर्क को विस्तार कर रहा है, जिससे अगले कुछ वर्षों में देशवासी ट्रेन से सीधे कश्मीर पहुंच सकेंगे. उत्तर रेलवे उत्तराखंड में भी नई रेल लाइनें बिछाने का काम कर रही है, जैसे कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक और ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका है. लद्दाख तक ट्रेन चलाने की योजना भी बन रही है.
क्या कवच से बनेगा काम?
इसके अलावा उत्तर रेलवे 2045 किलोमीटर मेन लाइन और 1097 किलोमीटर लूप लाइन पर ट्रेनों की गति बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. दिल्ली से हावड़ा और दिल्ली से मुंबई के बीच ट्रेन की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिल्ली क्षेत्र के करीब 118 किलोमीटर और अन्य मंडलों में लगभग 1175 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिसे ‘कवच’ नाम दिया गया है. इससे हादसे को रोकने में सफलता मिलेगी.

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