1991 में पहला मर्डर, जेल से चलाता था गैंग… जानिए कितना खूंखार है बांग्लादेशी सांसद का मर्डर करने वाला अमानुल्लाह?

कहानी एकदम फिल्मी है, क्योंकि दूसरे देश में आकर एक सांसद का मर्डर करके आसानी से अपने देश चले जाना कोई शातिर अपराधी या ट्रेंड खुफिया एजेंसी वाला ही कर सकता है. हालांकि एक सीसीटीवी में तस्वीर आने के बाद मामला बिगड़ गया और बांग्लादेश की पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा, लेकिन जब इस शख्स के बारे में छानबीन की गई तो पता चला कि यह कोई छोटा-मोटा अपराधी नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा गैंगस्टर है. बात बांग्लादेशी सांसद अनवारुल अजीम अनार की हत्या के लिए 5 करोड़ रुपये की सुपारी लेने वाले अमानुल्लाह की हो रही है.

जांच के बाद बांग्लादेश पुलिस ने उसके बारे में जानकारी निकालनी शुरू की तो पता चला कि कथित हत्यारे का असली नाम अमानुल्लाह नहीं है, असल में उसका नाम फजल अहमद भुइयां उर्फ ​​शिमुल भुइयां है. स्थानीय लोगों ने बताया कि फुलताला उपजिला निवासी शिमुल पर हत्या और अवैध हथियार रखने सहित दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं. शिमुल ने 1991 में डुमुरिया उपजिला के सोइलगटी निवासी इमरान गाजी की हत्या कर दी थी. उसे 42 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सात साल बाद चिकित्सा आधार पर उसे रिहा कर दिया गया था.

जून 2008 में पुलिस के साथ हुई गोलीबारी में शिमुल का साथी तपन मारा गया, जिसके बाद उसने खुलना, बागेरहाट, नारेल, जेसोर और कुछ अन्य दक्षिण-पश्चिमी जिलों में जबरन वसूली शुरू कर दी. शिमुल और उसके साथियों ने 1998 में सलीम नाम के एक शख्स के पिता की हत्या कर दी थी, जब वह थाना निरबाही अधिकारी के साथ मीटिंग कर रहा था. उसे 2000 में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और 2013 तक जेल में रहा.
जेल में रहते हुए करवाई हत्या
सलीम ने दावा किया कि शिमुल ने जेल में रहते हुए उसके भाई और चेयरमैन सरदार अबू सईद बादल की 2010 में हत्या करवा दी थी. वह और उसका भाई सरदार अलाउद्दीन मिठू हत्या के मामलों में गवाह थे और इसीलिए शिमुल और उसके आदमियों ने 25 मई, 2017 को मिठू की भी हत्या कर दी. बाद में सलीम ने उसके डर से अज्ञात लोगों पर आरोप लगाते हुए हत्या का मामला दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने 2018 में शिमुल को मुख्य आरोपी बनाते हुए आरोप पत्र दाखिल किया

शिमुल की पत्नी सबीना यास्मीन वर्तमान में खुलना जिला परिषद की सदस्य हैं और उनके भाई शरीफ मोहम्मद भुइयां उर्फ ​​शिप्लू भुइयां अब दामोदर यूनियन के अध्यक्ष हैं. 2018 में शिमुल ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया और सईद अमानुल्लाह के नाम से फर्जी एनआईडी कार्ड बनवाया. इसके बाद उसने पासपोर्ट भी बनवा लिया. ढाका में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद शिमुल ने स्वीकार किया कि वह उस पासपोर्ट का उपयोग करके भारत आया था.
कैसे अपराध की दुनिया में आया शिमुल
शिमुल राजशाही विश्वविद्यालय में बांग्ला का छात्र था तो यहां पर पूर्बो बांग्ला कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता तपन से मिलने के लिए राजशाही से झेनइडाह आता था. पढ़ाई खत्म होने के बाद वह चरमपंथी संगठन जनजुद्धा में शामिल हो गया और खुलना क्षेत्र में संगठन की गतिविधियों का प्रभारी बन गया. 2010 तक उसने खुलना क्षेत्र पर अपना दबदबा कायम रखा. शिमुल के चरमपंथी अब्दुर रशीद तपू, शैलेन और देबू के साथ संबंध थे.

पुलिस के अनुसार, सांसद की हत्या के मास्टरमाइंड अख्तरुज्जमां ने शिमुल को 5 करोड़ रुपये में हत्या की सुपारी दी थी. शिमुल अख्तरुज्जमां के साथ कोलकाता गया और कोलकाता के न्यू टाउन में उसके फ्लैट में रुका. 13 मई को जब सांसद फ्लैट में दाखिल हुए तो शिमुल ने अन्य संदिग्धों के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी.
कौन है सासंद की हत्या कराने वाला अख्तरुज्जमां
बांग्लादेशी सांसद अनवारुल अजीम अनार की हत्या का मास्टरमाइंड अख्तरुज्जमां शाहीन को बताया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, उसने जेनैदाह से एसएससी और एचएससी पास करने के बाद चटगांव मरीन अकादमी में प्रवेश लिया और बाद में एक शिपिंग कंपनी में नौकरी कर ली. 90 के दशक में वह अमेरिका चला गया, लेकिन बांग्लादेश, भारत और अमेरिका की काफी यात्रा करता था.

अख्तरुज्जमां और अजीम को जानने वाले कोटचांदपुर के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि दोनों बचपन से दोस्त थे और अंततः भारत में सोने की तस्करी में शामिल हो गये. अख्तरुज्जमां को जानने वाले लोगों ने बताया कि वह देश और विदेश में याबा और क्रिस्टल मेथ के कारोबार में भी शामिल था. उसने ढाका के गुलशन, बारीधारा और बसुंधरा इलाकों, कोलकाता के न्यू टाउन और न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में फ्लैट किराए पर ले रखे थे. वह ढाका से अमेरिका में भी ड्रग्स भेजता था.

ढाका खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि सोने की तस्करी को लेकर हुए झगड़े के बाद अख्तरुज्जमां ने अजीम की हत्या की योजना बनाई और 5 करोड़ रुपये में एक हत्यारे को यह काम सौंपा. बांग्लादेशी टीवी चैनल से बात करते हुए अख्तरुज्जमां ने दावा किया कि वह हत्या में शामिल नहीं था और जब कोलकाता में अजीम की हत्या हुई तो वह ढाका में था. उसने दावा किया कि उसे ढाका में अखबार पढ़कर अजीम के लापता होने की जानकारी मिली थी. जब वह इलाज के लिए कोलकाता गया था तो अजीम कई बार उसके कोलकाता स्थित फ्लैट पर आए थे.

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