24 संसदीय समितियों का गठन, कंगना रनौत सहित इन सांसदों को मिली ये जिम्मेदारी
संसदीय समितियों का गठन किया गया. गुरुवार को 24 महत्वपूर्ण समितियों का गठन किया गया. नेता विपक्ष राहुल गांधी रक्षा मामलों की समिति के सदस्य बनाए गए. सपा नेता रामगोपाल यादव स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं. वहीं, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे संचार और आईटी समिति के अध्यक्ष बनाए गये हैं. कंगना रनौत इसी समिति की सदस्य बनाई गईं हैं. राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में समितियों की अधिसूचना की घोषणा की गई.
विभाग से जुड़ी कुल 24 स्थायी समितियों में से 11 की अध्यक्षता भाजपा को मिली है, जबकि चार समितियों का नेतृत्व उसके सहयोगी दलों को मिला है.कांग्रेस के नेता चार समितियों की अध्यक्षता करेंगे. डीएमके और तृणमूल के दो-दो और समाजवादी पार्टी के एक नेता स्थायी समिति की अध्यक्षता करेंगे.
बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष बनाए गये हैं. बीजेपी नेता राधा मोहन दास अग्रवाल गृह मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं.
वित्त मामलों की संसदीय समिति की कमान बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब को दी गई है, जबकि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की संसदीय समिति की कमान सौंपी गयी है.
थरूर को मिली विदेश मामलों की संसदीय समिति की कमान
विदेश मामलों की संसदीय समिति की कमान कांग्रेस नेता शशि थरूर को दी गई है. राम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल इसी समिति के सदस्य हैं.
बीजेपी नेता सी एम रमेश रेल मामलों की समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं. अनुराग ठाकुर को कोयला, खान एवं स्टील समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं.
अखिलेश यादव बने इस समिति के सदस्य
वहीं, संजय झा ट्रांसपोर्ट, पर्यटन एवं संस्कृति समिति के अध्यक्ष बनाए गये हैं. चरणजीत चन्नी को कृषि समिति और डोला सेन को कॉमर्स समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं.
भुवनेश्वर कलिता को विज्ञान प्रोद्योगिकी, वन एवं पर्यावरण समिति की अध्यक्ष बनाए गए हैं. अखिलेश यादव इसी समिति के सदस्य हैं.
क्यों होता है संसदीय समितियों का गठन?
संसदीय कामकाज और विभिन्न विषयों पर अच्छी से चर्चा के लिए ससंदीय समिति का गठन किया जाता है. संसद की कार्यवाही के दौरान संसद में काफी कामकाज होता है. उस अवधि में संसद के सभी कामों का निपटारा संभव नहीं होता है. ऐसे में यदि कोई मामला संसद के समक्ष आता है और उस पर गहराई से विचार-विमर्श करना होता है. उसे संसदीय कमेटी के पास भेज दिया जाता है.
हर विभाग की अलग-अलग समितियां होती हैं. संसद की ओर से इनका गठन किया जाता है. ये समितियां संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर कामकाज करती है और संसद या अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपती है.
विभाग-संबंधी स्थायी समितियां, जिनमें सभी दलों के प्रतिनिधि होते हैं, लघु संसद के रूप में कार्य करती हैं तथा विभिन्न मंत्रालयों के कामकाज पर नजर रखती हैं.