35 साल से प्लॉट मिलने का इंतजार कर रहा पाकिस्तान का ये ओलंपिक मेडलिस्ट, कहीं अरशद नदीम के साथ भी हो ना जाए धोखा
पाकिस्तान सरकार के दावे तो बड़े होते हैं पर अफसोस की वो खोखले होते हैं. पाकिस्तान सरकार के ऐसे ही दावों की पोल पाकिस्तान के पूर्व ओलंपिक मेडलिस्ट ने खोली है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के पूर्व बॉक्सर सैयद हुसैन शाह की, जिन्होंने 1988 के सियोल ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल पर पंच मारा था. मेडल के पड़े उस पंच के बाद पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने उनसे भी बड़ा वादा किया था. लेकिन, वो वादा आज तक नहीं निभाया गया है. अब डर इस बात का है कि कहीं वादे के नाम पर वैसा ही धोखा अरशद नदीम को भी तो नहीं मिल रहा.
अरशद ने पेरिस ओलंपिक में जीता गोल्ड
अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में पुरुषों के जैवलिन थ्रो इवेंट में नए रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता. बॉक्सर सैयद हुसैन शाह के ब्रॉन्ज मेडल के बाद पाकिस्तान को ओलंपिक के सिंगल इवेंट में मिला यही पहला पदक है. यानी, अरशद ना सिर्फ ओलंपिक के एथलेटिक्स फील्ड से पाकिस्तान के लिए पहला गोल्ड लेकर आए हैं. बल्कि अपने इस मेडल के साथ किसी भी सिंगल इवेंट में 36 साल और ओवरऑल 32 साल का पाकिस्तान का इंतजार भी खत्म किया है.
इनाम, अवॉर्ड के वादे हुए भरपूर, पर क्या वो पूरे होंगे?
अरशद नदीम की कामयाबी इतनी बड़ी रही कि सरकार की ओर से उन्हें मिलने वाले इनामों की घोषणा उनके पाकिस्तान पहुंचने से पहले ही होनी शुरू हो गई. ये इनाम पैसे, अवॉर्ड, प्रोपर्टी हर तरह के रहे. उन्हें पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. ये भी कहा गया है कि उन्हें इनाम के तौर पर जो पैसे मिलेंगे उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन, क्या ऐसा हो पाएगा? पाकिस्तान की मौजूदा सरकार इतना कुछ अरशद नदीम के लिए करेगी? या फिर उन्हें भी सैयद हुसैन शाह की तरह मिलेगा तो बस धोखा?
35 साल से प्लॉट के इंतजार में पाकिस्तानी बॉक्सर
1988 के सियोल ओलंपिक से सैयद हुसैन शाह जब ब्रॉन्ज मेडल जीकतक लौटे थे तो पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने उन्हें घर के लिए एक प्लॉट देने का वादा किया था. लेकिन, वादे के 35 साल हो जाने के बाद भी वो प्लॉट आज तक उन्हें नहीं मिला है. पाकिस्तान के ओलंपिक मेडलिस्ट बॉक्सर को आज भी अपनी ऐतिहासिक जीत के बदले मिले प्लॉट का इंतजार है.
क्या ऐसा ही इंतजार अरशद नदीम को भी करना पड़ेगा? कहना फिलहाल मुश्किल है. लेकिन, गुजरते वक्त के साथ इस बड़े सवाल का जवाब जरूर मिलेगा.