इजरायल पर ईरान के हमले से 3H को मिला ऑक्सीजन, PM नेतन्याहू के लिए भी नया वरदान; कैसे?
Iran Israel Conflict Updates: शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात ईरान ने इजरायल पर करीब 300 मिसाइलों और ड्रोन से हमला बोल दिया। हालांकि, इजरायल ने अमेरिका, फ्रांस और जॉर्डन के साथ मिलकर 99 फीसदी मिसाइलों और ड्रोन को हवा में ही मार गिराया।
इसके अलावा चार दिन बाद भी इजरायल ने अभी तक ईरान पर पलटवार नहीं किया है। इससे मिडिल-ईस्ट में संकट और संशय बरकरार है। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश इजरायल से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं लेकिन इजरायल की युद्ध कैबिनेट लगातार मीटिंग कर रही है। इस बीच, ईरान ने दावा किया है कि उसने इजरायल पर हमले की तैयारी पिछले साल फरवरी में ही कर ली थी।
दूसरी तरफ ईरान के हमले ने लेबनान के हिज्बुल्लाह, यमन के हूती विद्रोहियों और गाजा के हमास आतंकियों को ऑक्सीजन दे दिया है। ईरान पहले से ही इन तीनों संगठनों को पर्दे के पीछे मदद करता रहा है और इजरायल के खिलाफ प्रॉक्सी वार में उनका साथ देता रहा है लेकिन अब इजरायल पर हमला कर ईरान ने इजरायल के लिए ना केवल युद्ध का एक नया मोर्चा खोल दिया है बल्कि हमास, हिज्बुल्लाह और हूतियों के लिए भी आक्रमण करने का नया मौका दे दिया है। फिलहाल इजरायल पर सीरिया, लेबनान, इराक और यमन से हमले हो रहे हैं।
माना जा रहा है कि जैसे-जैसे यह तनाव और संकट गहराएगा, वैसे-वैसे हमास को ईरान की सीधी मदद बढ़ती जाएगी। ईरान इजरायल से युद्ध के नाम पर इन तीनों संगठनों का खुलकर बचाव और मदद कर सकता है और अगर यह लंबा खिंचा तो मिडिल-ईस्ट में ना सिर्फ संघर्ष बढ़ेगा बल्कि अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों के हमले भी बढ़ेंगे और दुनिया एक तरह से तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ खिंच सकती है।
ईरान का हमला ना सिर्फ हमास, हिज्बुल्लाह और हूतियों के लिए ऑक्सीजन बनकर आया है बल्कि इसने दुश्मन देश इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए भी एक अभयदान का मौका उपलब्ध कराया है। बता दें कि गाजा में एक अप्रैल को इजरायली हमले में वर्ल्ड किचन सेंटर के सात सहायताकर्मियों की मौत हो गई थी। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत कई देशों के नेताओं ने बेंजामिन नेतन्याहू पर नाराजगी जताई थी। यहां तक संयुक्त राष्ट्र में भी इजरायल को युद्ध अपराधी घोषित करने तक का प्रस्ताव पारित कराया गया था।
इससे बेंजामिन नेतन्याहू देश के अंदर से लेकर बाहरी दुनिया में भी भारी दबाव झेल रहे थे लेकिन एक अप्रैल को ही इजरायल ने सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला बोल दिया, जिसमें ईरान के एक वरिष्ठ जनरल समेत सात अधिकारियों की मौत हो गई थी। इसके बाद इजरायल ईरान के टारगेट पर आ गया और 12 दिन बाद ईरान ने इजरायल पर आधी रात मिसाइलों की बारिश कर दी। इस हमले से पहले अमेरिका बेंजामिन नेतन्याहू से नाराज चल रहा था लेकिन जब ईरान ने अटैक किया तो उसी अमेरिका ने ना सिर्फ अपनी वायुसेना की ताकत का इस्तेमाल इजरायल को बचाने के लिए किया बल्कि इजरायल के निकट बसे अपने मित्र देशों को भी इस हमले को विफल करने के लिए राजी किया और उनका इस्तेमाल किया।
यानी इजरायल पर ईरान के हमले ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सीधे अभयदान का मौका दे दिया और जो पश्चिमी देश इजरायल को सैन्य सहायता देने पर शर्तें थोपने की बात कर रहे थे वे खुले दिल से उनका साथ देने लगे।