7 अभ्यर्थियों को 1-1 नंबर देकर पास किया गया… 69000 शिक्षक भर्ती मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने HC को बताया
उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में गलत आंसर-की के मामले में सात अभ्यर्थियों को परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने एक-एक अंक देकर पास घोषित कर दिया है. यह जानकारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी. इस पर कोर्ट ने सभी अवमानना याचिकाओं को पहले से लंबित विजय कुमार भारती की अवमानना याचिका से संबद्ध करने का आदेश दिया.
यह आदेश जस्टिस सलिल कुमार राय ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में गलत आंसर-की के लिए एक अंक देकर नियुक्ति की मांग में दाखिल चार अवमानना याचिकाओं पर अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी, राहुल मिश्र और अन्य को सुनकर दिया है. कोर्ट के आदेश पर सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी उपस्थित हुए.
संयुक्त सचिव ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को भेजा शासनादेश
स्थायी अधिवक्ता ने उनका व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करके बताया कि प्रदेश के संयुक्त सचिव ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव को शासनादेश भेजा है. इसमें अवमानना याचिकाओं में शामिल सात याचियों को एक अंक देते हुए नियमानुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया है.
परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने याचियों उत्तीर्ण घोषित किया
शासन के इस आदेश के तहत सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने अवमानना याचिका से जुड़े सात याचियों को एक अंक प्रदान कर उत्तीर्ण घोषित कर दिया है. इस पर कोर्ट ने सभी अवमानना याचिकाओं को पहले से लंबित विजय कुमार भारती की अवमानना याचिका से संबद्ध करते हुए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को व्यक्तिगत उपस्थिति से उन्मोचित कर दिया.
क्या था शिक्षक भर्ती से जुड़ा आरक्षण का मामला?
उत्तर प्रदेश सरकार ने 69000 पदों पर शिक्षकों भर्ती निकाली थी. जनवरी 2019 में परीक्षा हुई थी. इसके बाद कटऑफ के हिसाब से नौकरी दे दी गई. इसी को लेकर बाद में बवाल हो गया. अभ्यर्थियों का कहना था कि भर्ती में 19 हजार सीटों पर घोटाला हुआ है. इसको लेकर उन्होंने दावा किया था कि भर्ती में ओबीसी को 27 फीसदी का आरक्षण मिलना चाहिए था. मगर, उसकी जगह सिर्फ 3.86 फीसदी ही आरक्षण मिला. इसी तरह एससी कैटेगरी को 21 फीसदी का आरक्षण मिलना चाहिए था, लेकिन उसकी जगह 16.6 फीसदी ही आरक्षण मिला.
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