7 दिन में 205 घटनाएं, सैकड़ों परिवार तबाह… बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले का सच
बांग्लादेश में हिंदू संहार की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर हुई है, लेकिन पूरी तरह से थमी नहीं है. बीते 7 दिन में यहां हिंदुओं पर दो सौ से ज्यादा हमले की घटनाएं हो चुकी हैं. हफ्ते भर में कट्टरपंथियों ने कई हिंदुओं की जिंदगी, उनके घरों और मंदिरों को नुकसान पहुंचायाऔर लूटपाट की गई. आलम ये है कि खौफनाक मंजर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक बीते 7 दिन में 52 जिलों में अल्पसंख्यकों पर हमले की 205 घटनाएं सामने आ चुकी हैं. शुरुआती अनुमान के अनुसार हिंसा की इन घटनाओं में 100 से ज्यादा हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की हत्या हो चुकी है.
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद हिंदुओं पर अत्याचार से बांग्लादेश की छवि भी पाकिस्तान की तरह बनती जा रही है. ऐसे में अब अंतरिम सरकार ने इसे लेकर माफी भी मांगी है. एक तरफ हिंदू घरों और मंदिरों पर हमले हो रहे हैं तो दूसरी तरफ अब कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश के इन अल्पसंख्यकों को सताने का नया तरीका निकाला है. मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार हिंदुओं को बचाने के दावे तो कर रही है, लेकिन सवाल ये कि क्या सचमुच मौजूदा सरकार बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमात से हिंदुओं को बचा पाएगी? जो चुन-चुन कर हिंदू मंदिरों का वजूद मिटाने में जुटे हैं.
पेट्रोल और गन पाउडर से किया हमला
कागज पर खुद को सेक्युलर कहने वाले इस मुल्क में 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद जो हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा. हिंसा की शुरुआत में ही कट्टरपंथियों ने इस्कॉन मंदिर में लूटपाट के बाद आग लगा दी थी. हिंदुओ का कहना है कि उन पर ऐसा हमला हुआ कि उन्हें मंदिर को छोड़कर बाहर जाना पड़ा. इनका दावा है कि 500 से ज्यादा लोग पेट्रोल और गन पाउडर से हमले कर रहे थे.
कट्टरपंथियों के सिर पर नफरत की ऐसी सनक सवार थी कि उन्होंने धर्मग्रंथों को भी नहीं बख्शा. वेद, पुराण और श्रीमद्भागवत गीता से लेकर मंदिर में जितने भी ग्रंथ थे सबको आग के हवाले कर दिया. मंदिर में रखी दान की रकम और भगवान के गहने लूटकर ले गए. 10-15 लाख रुपये दान के थे, भगवान के सोने के गहने थे, सब कुछ लूट ले गए.
बांग्लादेश में अब हिंदुओं की आबादी केवल 8 फीसदी बची
90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले बांग्लादेश में हिंदुओं की तादाद अब सिर्फ 8 फीसदी रह गई है, लेकिन शेख हसीना सरकार की विदाई के बाद ऐसा लग रहा है जैसे कट्टरपंथियों ने इस मुल्क को हिंदू मुक्त बनाने की कसम खा ली है. वहीं, मेहरपुर जिले में हिंदुओं की आबादी सिर्फ 5 फीसदी है. यहां के लोगों ने एक-एक पैसा जोड़कर ये मंदिर बनाया था, लेकिन 5 अगस्त को उन्मादी कट्टरपंथियों ने एक झटके में सबकुछ स्वाहा कर दिया. मेहरपुर में ही एक बंगाली भद्र परिवार के मुखिया का सरकारी वकील होना गुना हो गया.
बांग्लादेश में हिंदू संहार का मंजर देखकर अंतरिम सरकार के भी दिल दहल गए हैं. ऐसे में अब अल्पसंख्यक हिंदुओं से माफी भी मांगी जा रही है, लेकिन असली सवाल तो ये कि क्या इस माफीनामे से हिंदुओं के जख्म मिट जाएंगे और क्या उन्हें सुरक्षा की गारंटी मिल पाएगी?
भारत से जुड़ी पहचान मिटाने की भी घिनौनी हरकत
कट्टरपंथियों ने हिंदू ही नहीं, भारत से जुड़ी पहचान को भी मिटाने की घिनौनी हरकत की है. जिसका सबसे नया सबूत है शहीद मेमोरियल कॉम्प्लेक्स. जहां रखीं मूर्तियां बांग्लादेश की आजादी की सबसे बड़ी गवाही थीं. उन्हें ही कट्टरपंथियों ने गिरा दिया. इससे पहले ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र को भी तहस-नहस कर दिया था, जबकि ये बात पूरी दुनिया जानती है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साहसिक फैसले की वजह से ही बांग्लादेश आजाद हुआ था.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)