Explainer- आखिर क्या होती है शॉर्ट सेलिंग? जिससे हिंडनबर्ग कर रहा कमाई

हिंडनबर्ग एक बार फिर चर्चा में है. पिछले साल इसने अडानी के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग के जरिए 33 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी. एक बार फिर इसने ऐसा ही कुछ किया है. अडानी ग्रुप पर एक बार फिर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने मोर्चा खोल दिया है. लेकिन इस बार हिंडनबर्ग ने अडानी पर ही नहीं बल्कि सेबी पर भी आरोप लगाए हैं. ये सारा खेल शॉर्ट सेलिंग का है. अगर आपने भी ये शब्द बार-बार सुना है लेकिन इसका मतलब नहीं जानते हैं तो आइए आपको बताते हैं क्या होती है शॉर्ट सेलिंग और इससे कैसे होती है किसी कंपनी की कमाई?
क्या होती है शार्ट सेलिंग?
शॉर्ट सेलिंग में स्टॉक ट्रेडर शेयरों के बढ़ने से नहीं उनके गिरने से पैसा कमाता है. इसे शेयरों को शॉर्ट करना कहते हैं. शॉर्ट सेलिंग करने वाले ट्रेडर्स को शॉर्ट सेलर्स कहा जाता है. यह एक हाई रिस्क हाई रिवॉर्ड तरीका है जिससे अच्छा पैसा बनाया जा सकता है लेकिन अगर अगर दांव उल्टा हुआ तो ट्रेडर कर्ज में फंस सकता है. शॉर्ट सेलिंग में एक ट्रेडर अपने ब्रोकर से शेयर उधार लेता है. वह इस शेयर को एक तय टाइम के बाद कुछ ब्याज के साथ ब्रोकर को लौटाने का वादा करता है. उधार लिए गए शेयरों को शॉर्ट सेलर ऊंचे दाम पर बाजार में बेच देता है, इस उम्मीद पर कि कुछ दिन बाद उस शेयर के दाम नीचे आएंगे और वह उन्हें दोबारा सस्ते दाम पर खरीदकर ब्रोकर को वापस कर देगा. अधिक दाम पर बेचकर कम दाम पर खरीदने से जो उसी फायदे में से कुछ अंश वह ब्याज के तौर पर ब्रोकर को दे देगा. साथ ही सस्ते दाम पर खरीदे गए स्टॉक्स भी ब्रोकर को वापस कर देगा.
इस तरह शेयरों को किया जाता है शॉर्ट
शेयर बाजार में बड़े निवेशक भाव चढ़ने और गिरने दोनों स्थितियों में कमाई कर लेते हैं. शॉर्ट सेलिंग की बात करें तो यह शेयर बाजार में भाव गिराकर कमाई करने का तरीका है. इसे उदाहरण से समझते हैं. शॉर्ट सेलर टारगेट शेयर को पहले शॉर्ट करते हैं. मान लीजिए कोई शेयर अभी 500 रुपये का है, लेकिन शॉर्ट सेलर को लग रहा है कि वह शेयर एक सप्ताह में 400 रुपये तक गिर सकता है. अब शॉर्ट सेलर ब्रोकर से उस कंपनी के 100 शेयर को उधार पर लेकर उसे बेच देता है. एक सप्ताह बाद शेयर 400 रुपये पर गिर जाता है. अब वह ओपन मार्केट से 100 शेयर खरीदता है और ब्रोकर से उधार लिए गए शेयरों को वापस लौटा देता है.
शॉर्ट सेलिंग से इस तरह कमाते हैं इन्वेस्टर
इस मामले में शॉर्ट सेलर ने टारगेट कंपनी के हर शेयर पर 100 रुपये की कमाई की. उसने जिन शेयरों को 500 रुपये के भाव पर उधार लिया था, वे शेयर लौटाने के लिए उसे सिर्फ 400 रुपये में मिल गए. यानी हर शेयर पर 100 रुपये का मुनाफा. इस तरह उसने एक सप्ताह में सिर्फ 100 शेयरों को शॉर्ट कर 10,000 रुपये का मुनाफा बना लिया. हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के मामले में पहले शेयरों पर शॉर्ट पोजिशन लिया और उसके बाद भाव गिराने के लिए उसने विवादास्पद रिपोर्ट जारी की. इसे दूसरे शब्दों में ऐसे भी कहा जा सकता है कि उसने अपनी कमाई के लिए जान-बूझकर अडानी के शेयरों के भाव को गिराया.
बाजार के लिए क्यों खराब है शार्ट सेलिंग?
शार्ट सेलिंग के टेक्निक से अबतक तो आप समझ ही गए होंगे कि यह ट्रेडिंग स्टाइल कितना रिस्क भरा है. ये बाजार के लिए भी उतना ही खराब है जितना निवेशकों के लिए. इसमें ब्रोकर एक तय समय के लिए शेयरों को उधार देता है. अगर उस तय समय में शेयर के दाम गिरने की बजाय बढ़ गए तो ट्रेडर को मंहगे रेट पर वह शेयर वापस खरीदकर ब्याज के साथ ब्रोकर को वापस करने होंगे जो उसे कर्जदार तक बना सकता है. इसलिए, शॉर्ट सेलिंग आमतौर पर बहुत मझे हुए ट्रेडर्स द्वारा ही किया जाता है. हिंडनबर्ग भी एक शॉर्ट सेलर फर्म है. यह ऐसी कंपनियों पर अपनी नजर रखती है जिनके शेयर अप्रत्याशित रूप से बहुत तेजी से ऊपर जा रहे होते हैं. हिंडनबर्ग महीनों तक उस पर रिसर्च करती है और अगर उसे गड़बड़ी लगती है तो उस पर शॉर्ट पोजिशन लेकर वह गड़बड़ियां पब्लिक के सामने उजागर कर देती है. इससे कंपनी के शेयर क्रैश कर जाते हैं और हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग करके पैसा बना लेती है.
हिंडनबर्ग ने कितनी की शार्ट सेलिंग से कमाई
पिछले साल हिंडनबर्ग ने अडानी के शेयरों पर शॉर्ट सेलिंग का दाव खेला था और कई आरोप कंपनी पर लगाए थे जिससे उसके शेयर क्रैश कर गए थे. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग से हिंडनबर्ग को पिछले साल 40 लाख डॉलर (33.58 करोड़ रुपये) का फायदा हुआ था. हिंडनबर्ग ने इस बार सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरी हैं.

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