भारत की ग्रोथ पर वर्ल्ड बैंक के बाद इस रिसर्च एंजेसी ने कह दी बड़ी बात, क्या अब बदल जाएगी रफ्तार?
भारत को रिजनल कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में शामिल होने पर पुनर्विचार करने का विश्व बैंक का सुझाव पुराने अनुमानों पर आधारित है. रिसर्च संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों के लिए नीतिगत निर्णय वास्तविक दुनिया के आंकड़ों और लॉन्ग टाइम पीरियड के प्रभावों की गहन समझ पर आधारित होने चाहिए. आरसीईपी सदस्यों के बीच बढ़ता व्यापार घाटा और चीन-केंद्रित सप्लाई चेन पर अत्यधिक निर्भरता एक सतर्क, गहन समझ वाले दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित करती है.
2019 में बाहर निकल गया था इंडिया
भारत 2013 में वार्ता में शामिल होने के बाद 2019 में आरसीईपी से बाहर निकल गया था. आरसीईपी में 10 आसियान समूह के सदस्य ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन, लाओस तथा वियतनाम और उनके छह एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) साझेदार चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि विश्व बैंक को आंकड़ों पर आधारित विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. केवल आर्थिक मॉडल पर आधारित समाधान प्रस्तुत करने से पहले विकासशील देशों की विशिष्ट चुनौतियों तथा आर्थिक स्थितियों पर विचार किया जाए. आर्थिक मॉडल केवल एक कारक होना चाहिए.
क्या कहती है रिपोर्ट?
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व बैंक का भारत को आरसीईपी में शामिल होने पर पुनर्विचार करने का सुझाव त्रुटिपूर्ण मान्यताओं और पुराने अनुमानों पर आधारित है. विश्व बैंक ने अपनी इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) रिपोर्ट में बदलते वैश्विक संदर्भ में भारत के व्यापार अवसरों पर सुझाव दिया कि भारत आरसीईपी पर अपनी स्थिति सहित क्षेत्रीय एकीकरण विकल्पों पर पुनर्विचार कर सकता है. इसका भारत की आर्थिक रणनीति तथा आत्मनिर्भरता लक्ष्यों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है.
भारत के लिए क्यों जरूरी था ये निर्णय
उन्होंने कहा कि आरसीईपी में शामिल न होने का भारत का निर्णय रणनीतिक रूप से सही था. हालांकि, जिन मुख्य चिंताओं के कारण भारत ने 2019 में आरसीईपी से बाहर निकलने का निर्णय लिया था, वे अब भी विद्यमान हैं तथा बाद के घटनाक्रमों से और विकट हुए हैं. भारत ने 15 आरसीईपी सदस्यों में से न्यूजीलैंड और चीन के अलावा 13 के साथ पहले ही मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) कर रखे हैं.