यूपी में ऐतिहासिक प्रदर्शन, लेकिन गोरखपुर में नहीं चल पाया अखिलेश का ‘बुलडोज़र’

उत्तर प्रदेश की सियासत में पिछले दो दिनों से ‘बुलडोजर’ सियासी चर्चा के केंद्र बना हुआ है. बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जारी जुबानी जंग से सियासी पारा चढ़ गया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि 2027 में सपा की सरकार बनने के बाद सभी बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की ओर होगा. इस पर पलटवार करते हुए सीएम योगी ने कहा कि बुलडोजर वही चला सकता है, जिसके पास दिल और दिमाग दोनों हों. इसके बाद फिर अखिलेश यादव ने निशाना साधा और कहा कि बुलडोजर दिमाग से नहीं स्टीयरिंग से चलता है.
सीएम योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव एक-दूसरे पर बुलडोजर एक्शन को लेकर निशाना साधकर राजनीतिक संदेश भी दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक तपिश बढ़ गई है और अब बुलडोजर के बहाने सियासी समीकरण साधने का दांव चला जा रहा है. अखिलेश सत्ता में आने पर बुलडोजर को गोरखपुर की तरफ मोड़ने की बात कर रहे हों, लेकिन 2024 के चुनाव में यूपी में ऐतिहासिक प्रदर्शन करने वाली सपा का ‘बुलडोजर’ गोरखपुर इलाके में सियासी रंग नहीं दिखा सका.
गोरखपुर में नहीं खुला खाता
समाजवादी पार्टी अपने सियासी इतिहास में सबसे ज्यादा सीटें इस बार के चुनाव में जीतने में कामयाब रही है. सूबे की 80 संसदीय सीटों में से सपा सबसे ज्यादा 37 सीटें जीती है. पश्चिमी यूपी से लेकर अवध और पूर्वांचल तक में बीजेपी का सफाया कर दिया है, लेकिन सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर इलाके में अखिलेश यादव का कोई भी सियासी फॉर्मूला काम नहीं आ सका. 2024 के लोकसभा चुनाव ही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा गोरखपुर क्षेत्र में खाता तक नहीं खोल सकी है.
मंडल में छह लोकसभा सीटें
गोरखपुर मंडल में छह लोकसभा सीटें आती हैं. महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव और सलेमपुर लोकसभा सीटें गोरखपुर मंडल में हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत चार सीटों पर सपा ने उम्मीदवार उतारे थे और दो सीट पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था. गोरखपुर मंडल की इन छह सीटों में से सिर्फ सलेमपुर लोकसभा सीट ही सपा जीत सकी है जबकि पांच सीटें बीजेपी ने जीती थी. 2019 लोकसभा चुनाव की तुलना में एक बीजेपी को जरूर एक सीट का नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि 2019 में सभी छह सीटों पर कब्जा जमाया था.
2022 में भी नहीं मिली सीट
लोकसभा चुनाव ही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा गोरखपुर मंडल में खाता तक नहीं खोल सकी थी. गोरखपुर मंडल में चार जिले आते हैं और इन चार जिलों में कुल 28 सीटें आती हैं. सपा ने 2022 के चुनाव में छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर गठबंधन किया था. सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी 2022 में सपा गठबंधन के साथ थे. इसके बाद भी सपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. गोरखपुर की 9, देवरिया की 7 और कुशीनगर की 7 सीट शामिल हैं, जिनमें एक भी सीट किसी भी विपक्षी दल को नहीं मिली. इसके अलावा महाराजगंज की 5 सीटों में से एक सीट कांग्रेस ने जीती थी और बाकी चार सीटें बीजेपी को मिली थी. इस तरह गोरखपुर मंडल की 28 में से 27 सीटों पर बीजेपी के विधायक चुने गए थे.
सीएम योगी और निषाद पार्टी
सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर क्षेत्र में बीजेपी अभी भी सर्वोच्च शिखर पर है. यूपी के सत्ता की कमान मिलने के बाद सीएम योगी ने गोरखपुर मंडल को बीजेपी के सियासी किले के रूप में तब्दील किया है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद 2018 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली बीजेपी की हार ने सीएम योगी को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद सीएम योगी ने निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद को अपने साथ मिलाया और सपा से उपचुनाव जीतने वाले संजय निषाद को भी अपने खेमे में ले आए. इतना ही नहीं गोरखपुर क्षेत्र में बीजेपी के सियासी आधार को मजबूत करने का काम योगी ने किया.
गोरखपुर सीट पर सारे फॉर्मूले फेल
2024 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2022 का विधानसभा, विपक्ष अकेले, अलग-अलग और मिलकर भी बीजेपी को गोरखपुर इलाके मे मात नहीं दे सकी. इतना ही नहीं मत प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई है. पूर्वांचल के गोरखपुर इलाके में अखिलेश यादव के सारे फॉर्मूले फेल साबित हुए हैं. सपा ने पीडीए फॉर्मूले के जरिए भी गोरखपुर क्षेत्र के जातिगत समीकरण को पूरी तरह से साध नहीं सकी जबकि इस क्षेत्र में दलित और ओबीसी वोटर निर्णायक भूमिका में है.
अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के साथ-साथ पीडीए (पिछड़ा वर्ग-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को बनाकर चुनाव लड़ा था. सपा का यह फार्मूला भले ही पूरे यूपी में हिट रहा, लेकिन गोरखपुर इलाके में पूरी तरह से फेल हो गया है. अखिलेश यादव गोरखपुर मंडल में अपना सियासी प्रभाव जमाने के लिए पूर्वांचल के ब्राह्मण चेहरे रहे हरिशंकर तिवारी के लेकर भी सियासी दांव चला. सपा ने उनके बेटे को लोकसभा का और विधानसभा का चुनाव लड़ाया, लेकिन जीत नहीं सके.
10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर क्षेत्र को बीजेपी के लिए सियासी दुर्ग के तौर पर स्थापित करने में कामयाब रहे हैं. 2024 के चुनाव नतीजे के बाद ही 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. ऐसे में सूबे की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सीएम योगी के बीच जुबानी जंग जारी है, लेकिन मामला बुलडोजर के एक्शन को लेकर है.
किसका बुलडोजर चलेगा?
अखिलेश यादव ने कहा कि 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा सत्ता में आती है तो यूपी के सभी बुलडोजर गोरखपुर की तरफ मोड़ दिए जाएंगे. इस पर सीएम योगी ने कहा कि बुलडोजर पर सबका हाथ फिट नहीं हो सकता. इसके लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिए. बुलडोजर चलाने के लिए बुलडोजर जैसी इच्छा शक्ति व क्षमता चाहिए. दंगाइयों के सामने नाक रगड़ने वाले लोग बुलडोजर नहीं चला सकते हैं. इस पर जवाबी हमला बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि बुलडोजर दिमाग से नहीं स्टीयरिंग से चलता है. ऐसे में देखना है कि सपा का सियासी बुलडोजर 2027 में गोरखपुर क्षेत्र में क्या सियासी असर दिखाता है.

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