वो तरीके जिससे भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को कर सकता है हासिल
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को भारत कब अपने हिस्से में लेगा…ये एक ऐसा सवाल है जो करोड़ों भारतीयों के जेहन में वर्षों से है. मोदी सरकार के बयानों से रह-रहकर पीओके को वापस लेने की उम्मीद परवान चढ़ने लगती है. गृह मंत्री अमित शाह तो संसद में पीओके पर पाकिस्तान को मैसेज भी दे चुके हैं. बीजेपी जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी इसे मुद्दा बनाई हुई है. हालिया बयान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का आया. उन्होंने रामबन में एक रैली में कहा कि पीओके के निवासियों को भारत का हिस्सा बनना चाहिए, हम उन्हें अपना मानते हैं. राजनाथ ने पीओके के लोगों से कहा कि पाकिस्तान आपको विदेशी मानता है.
राजनाथ का जो बयान है वो पाकिस्तान का संविधान भी कहता है. उसके मुताबिक, पीओके विदेशी जमीन है. वो पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. यही नहीं पाकिस्तान सरकार भी कोर्ट में मान चुकी है कि पीओके विदेशी जमीन है.
पाकिस्तान सरकार ने इस साल 31 मई को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में कहा था कि पीओके विदेशी जमीन है. दरअसल, कश्मीरी कवि और पत्रकार अहमद फरहद शाह की किडनैपिंग का मामले को लेकर सुनवाई चल रही थी. इस दौरान पाकिस्तान के अटार्नी जनरल ने हाई कोर्ट में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर विदेशी जमीन है.
पाकिस्तान का संविधान क्या कहता है?
पाकिस्तान के संविधान का आर्टिकल 1 कहता है कि पाकिस्तान में बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध प्रांत हैं. उसके संविधान में पीओके, जिसको वो आजाद कश्मीर कहता है, उसका कोई जिक्र नहीं है. पाकिस्तान ने संविधान में पीओके का जिक्र आर्टिकल 257 में किया है. कहा गया है कि पीओके पाकिस्तान का हिस्सा तब ही होगा जब वहां के लोग हमसे जुड़ना चाहेंगे.
भारत कैसे पीओके को वापस ले सकता है?
अब सवाल आता है कि भारत पीओके को वापस कैसे ले सकता है. इसका जवाब हम यहां पर देंगे. पहला है पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालकर.
संयुक्त राष्ट्र या अन्य किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को जवाब देता रहा है. यही नहीं वो पीओके में पाकिस्तान के कब्जे का मुद्दा भी उठाता रहा है. पीओके में ह्यूमन राइट्स के उल्लंघन पर वो पाकिस्तान को घेरता रहा है. यूएन और अन्य संगठनों के मंच से भारत को अपने बयानों में तेजी लानी होगी और उन मंच के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाना होगा.
द्विपक्षीय वार्ता- दूसरा और अहम तरीका द्विपक्षीय वार्ता हो सकता है. कई देशों का मानना है कि जब तक भारत और पाकिस्तान साथ में बैठकर बात नहीं करेंगे तब तक कोई हल नहीं निकलेगा. पाकिस्तान आतंक के साथ-साथ वार्ता करना चाहता है लेकिन भारत का कहना है कि पहले आतंक खत्म हो फिर हम बात करेंगे. भारत ने हर बार रिश्तों में सुधार लाने की कोशिश की है. नरेंद्र मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब वह पाकिस्तान भी गए थे. लेकिन पाकिस्तान को रिश्ते सुधारना पसंद नहीं है. वो आतंक को बढ़ावा देता रहा है.
ताकतवर देशों के साथ गठबंधन बनाए: एक्सपर्ट्स कहते हैं कि भारत को ताकतवर देशों के साथ गठबंधन बनाकर रखना चाहिए. भारत इस मामले में पाकिस्तान से कहीं आगे भी है. जितने भी ताकतवर देश हैं उनसे भारत का संबंध बेहद अच्छा है. चाहे अमेरिका हो या रूस, उसके साथ भारत का अलग गुट भी है.
कानूनी और संवैधानिक कदम
भारत कहता रहा है कि पीओके भारत का हिस्सा रहा है. इसे लेकर 1947 में महाराजा हरि सिंह ने एक हस्ताक्षर भी किया था. भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर उस कानूनी स्थिति का हवाला दे सकता है.
आर्टिकल 370 को ही याद कर लीजिए. क्या-क्या नहीं कहा गया इसे लेकर. इसे हटाना असंभव माना जाता था. लेकिन मोदी सरकार ने उसे खत्म करके बताया कि अगर इच्छा शक्ति हो तो पीओके भी हासिल किया जा सकता है.
सैन्य ऑपेरशन
सैन्य ऑपरेशन भी वो तरीका है जिससे भारत पीओके को वापस ले सकता है. लेकिन ये आखिरी विकल्प होना चाहिए. जंग में दोनों देशों को नुकसान होता है. जंग अर्थव्यवस्था को कमजोर करती है.
सबसे बेहतर विकल्प क्या
जो सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है वो लोगों का आंदोलन हो सकता है. भारत पीओके के लोगों के साथ एक आंदोलन की शुरुआत करे. या जो आंदोलन चल रहे हैं, उन्हें और मजबूत करे. ये मजबूत तब ही हो सकता है जब पीओके के लोगों को लगेगा कि भारत के साथ होने पर ज्यादा फायदा है.
अमित शाह का बयान भी जानना जरूरी
पीओके का मुद्दा अमित शाह की चुनावी रैलियों का हिस्सा रहा है. उन्होंने कई मौकों पर कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का हिस्सा है और हम इसे वापस लेंगे. कांग्रेस ने कश्मीर को वर्षों तक नाजायज औलाद की तरह रखा, लेकिन हमने अनुच्छेद-370 खत्म किया, वहां आतंकवाद खत्म किया और अपनी सीमाएं सुरक्षित कीं. यहां तक कि एक बच्चा भी कश्मीर के लिए खुशी-खुशी अपनी जान दे देगा.