भक्त कर रहे थे दर्शन का इंतजार, अचानक जगन्नाथ पुरी मंदिर के शिखर पर दिखा कुछ ऐसा नजारा, यकीन नहीं कर पाए लोग

ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में सुरक्षा को लेकर भारी चूक दिखी. यहां सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर एक अंजान शख्स मंदिर के शिखर पर जा चढ़ा. जैसे ही खबर सामने आई तो पूरा प्रशासन सकते में आ गया. मंदिर के आसपास सुरक्षा का एक कड़ा घेरा होता है. ऐसे में सुरक्षा के घेरे में चूक कैसे हुई इसे लेकर प्रशासन अब छानबीन कर रहा है.
घटना बुधवार शाम की है. जानकारी के मुताबिक, देर शाम जब श्रद्धालु मंदिर के अंदर जाने का इंतजार कर रहे थे. तभी मंदिर के शिखर पर एक व्यक्ति अचानक चढ़ गया. इसका वीडियो भी सामने आया है. शख्स अपने आप को छत्रपुर का निवासी बता रहा है. मंदिर के शिखर पर चढ़ने के बाद काफी देर तक यह शख्स वहीं खड़ा रहा. जैसे ही सुरक्षाकर्मियों को इसकी भनक लगी, उन्होंने उसे नीचे उतारा. फिर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. पुलिस अब मामले की छानबीन कर रही है.
ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग हर साल यहां दर्शन करते हैं. इस कारण मंदिर में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होते हैं. ऐसे में इस तरह की घटना ने लोगों को सकते में डाल दिया है. हर कोई यह जानकर हैरान रह गया कि आखिर शख्स सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर वहां पहुंचा कैसे. किसी को पता क्यों नहीं लगा
शख्स ने बताई वजह
पुलिस ने बताया- शिखर पर चढ़ने वाला व्यक्ति अपने आप को छत्रपुर (ओड़िशा) का निवासी बता रहा है. व्यक्ति के अनुसार वो सन् 1988 से मंदिर आता जाता रहा है और उसकी एक मन्नत पूरी होने पर वो निलचक्र को छू कर प्रणाम करना चाहता था. इसीलिए वह मंदिर के शिखर तक पहुंच गया. फिलहाल पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. मामले में आगामी कार्रवाई जारी है.
चार धामों में से एक
ओडिशा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर, भारत के चार धामों में से एक है. यह भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है और वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है. मंदिर की स्थापना 1150 ईस्वी में गंग राजवंश के शासनकाल में हुई थी. मंदिर के रिकॉर्ड के मुताबिक, अवंती के राजा इंद्रद्युम्न ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां हैं. मंदिर के चारों प्रवेश द्वारों पर हनुमान जी की मूर्तियां हैं. मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है.

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