आडवाणी, जोशी, मुंडा और महाजन…बीजेपी के 75 प्लस फॉर्मूले की जद में कौन-कौन नेता?

भारतीय जनता पार्टी के भीतर 75 प्लस उम्र का फॉर्मूला फिर से चर्चा में है. वजह आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का इस पर हमलावर होना है. केजरीवाल लगातार इस फॉर्मूले के सहारे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं.
कहा जाता है कि यह फॉर्मूला नए नेताओं को मौका देने और पुराने नेताओं को स्वास्थ्य लाभ देने के मद्देनजर बनाया गया था. हालांकि, बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर कभी नहीं कहा कि हम 75 प्लस का फॉर्मूला पार्टी के भीतर लागू कर रहे हैं.
2018 में पहली बार सुर्खियों में आए इस फॉर्मूले की जद में बीजेपी के कई दिग्गज आ चुके हैं. इस स्पेशल स्टोरी में इन्हीं दिग्गजों की कहानी विस्तार से जानते हैं…
75 प्लस का फॉर्मूला चर्चा में क्यों?
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है. केजरीवाल ने इस पत्र में कहा है कि आप सबने मिलकर एक 75 प्लस का फॉर्मूला बनाया, जिसमें कहा गया कि बीजेपी के नेता 75 साल बाद रिटायर हो जाएंगे.
केजरीवाल के मुताबिक आप सबने इस नियम का खूब प्रचार किया. इसी नियम के तहत लाल क़ृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर राजनीति से अलग-थलग हुए, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसे लागू करने से बीजेपी हिचकिचा रही है. क्या 75 प्लस का फॉर्मूला सब पर लागू नहीं होना चाहिए?
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से इस पर कुछ भी नहीं कहा गया है.
किन-किन नेताओं पर पड़ा असर?
लालकृष्ण आडवाणी- 2019 में 91 साल की उम्र में लालकृष्ण आडवाणी सक्रिय राजनीति से बाहर हो गए. आडवाणी तब गुजरात के गांधीनगर सीट से सांसद थे. उनकी सीट बीजेपी ने तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दी. आडवाणी इसके बाद दिल्ली में अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ लेने लगे.
मुरली मनोहर जोशी- आडवाणी के साथ 75 प्लस फॉर्मूले की जद में मुरली मनोहर जोशी भी आए. 2019 में 85 साल की उम्र में जोशी सक्रिय राजनीति से विदा हो गए. जोशी उस वक्त उत्तर प्रदेश की कानपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. जोशी की जगह पार्टी ने 2019 के चुनाव में सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया.
करिया मुंडा- लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा भी 75 प्लस फॉर्मूले की चपेट में आ चुके हैं. 2019 में उनके खूंटी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन करिया मुंडा इस फॉर्मूले की वजह से रेस से बाहर हो गए. करिया मुंडा की जगह 2019 में झारखंड की खूंटी सीट से बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को उम्मीदवार बनाया
सुमित्रा महाजन- ताई के नाम से मशहूर पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी 75 प्लस फॉर्मूले की जद में आ चुकी हैं. 2019 में इंदौर लोकसभा सीट से उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन 76 साल होने की वजह से महाजन पिछड़ गईं. उनकी जगह पर बीजेपी ने शंकर लालवानी को उम्मीदवार बनाया. 2019 और 2024 में लालवानी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.
बाबूलाल गौर- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल गौर भी इस फॉर्मूले की वजह से सक्रिय राजनीति से अलग-थलग हो चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गोविंदपुरा से गौर का टिकट काट दिया. उनकी जगह उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया गया. कृष्णा गौर वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं.
कुसुम महदेले- 75 प्लस फॉर्मूले की जद में मध्य प्रदेश की कद्दावर नेता कुसुम महदेले भी आ चुकी हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में 75 साल होने की वजह से महदेले को टिकट नहीं मिल पाया. उस वक्त महदेले पन्ना से विधायक थीं. बीजेपी ने महदेले की जगह बिजेंद्र प्रताप सिंह को पन्ना से उम्मीदवार बनाया था.
भगत सिंह कोश्यारी- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर भी 75 प्लस फॉर्मूले का असर हो चुका है. 2019 में कोश्यारी नैनीताल सीट से सांसद थे, लेकिन 76 साल उम्र होने की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला. कोश्यारी की सीट को बीजेपी ने अजय भट्ट को सौंप दिया. 2019 और 2024 में अजय चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री भी बने. वहीं कोश्यारी इसके बाद राज्यपाल बनाए गए.
हुकुमदेव नारायण- मधुबनी से सांसद रहे फायरब्रांड नेता हुकुमदेव नारायण यादव भी इसकी जद में आ चुके हैं. हालांकि, खुद की जगह वे अपने बेटे को टिकट दिलाने में कामयाब रहे थे. मधुबनी सीट से अशोक दो बार से सांसदी जीत रहे हैं.
शांता कुमार- 75 प्लस फॉर्मूले की वजह से शांता कुमार भी सक्रिय राजनीति से अलग हो चुके हैं. हिमाचल की कांगरा सीट से सांसद रहे शांता कुमार को 2019 में उम्र की वजह से टिकट नहीं मिला था. बीजेपी ने उनकी जगह किशन कपूर को टिकट दिया था. 2019 में किशन चुनाव जीते और संसद पहुंचे.

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