दूध बेचने वाले किसानों को नहीं होगा नुकसान, सरकार का है ये प्लान

भारत का डेयरी क्षेत्र देश के करोड़ों छोटे किसानों को आजीविका साधन देता है. देश में को-ऑपरेटिव की मदद से दुग्ध उत्पादन सेक्टर को फॉर्मल सेक्टर में बदला गया है. ऐसे में विदेशों से सस्ते आयात या विदेशी निवेश से इन छोटे किसानों को नुकसान ना हो, इसकी पूरी तैयारी सरकार ने की हुई है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि भारत में डेयरी काफी संवेदनशील सेक्टर है, क्योंकि इसमें छोटे किसानों की आजीविका के मुद्दे शामिल हैं. इसलिए इस क्षेत्र में किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत करों में छूट या ड्यूटी में रिलीफ देने की सरकार की कोई योजना नहीं है.
यूरोप के लिए बनाया है ये प्लान
भारत इस समय यूरोप के साथ एफटीए के लिए नौंवे दौर की बातचीत कर रहा है. इस बारे में पीयूष गोयल का कहना है कि भारत ने ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) व्यापार समझौते के तहत स्विट्जरलैंड और नॉर्वे को भी डेयरी सेक्टर में कोई शुल्क रियायत नहीं दी है. इस पर मार्च में हस्ताक्षर किए गए थे. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के साथ भी इस सेक्टर को लेकर चर्चा हुई, लेकिन भारत ने इस क्षेत्र से जुड़ी संवेदनशील चीजों से उन्हें स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया.
छोटे किसानों की होती है मदद
पीयूष गोयल ने ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री डॉन फैरेल के साथ एडिलेड में एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हमारे किसानों के पास औसतन बहुत कम जमीन है. यह 2-3 एकड़ का खेत है जिसमें 3-4 पशुधन हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खेत और डेयरी फार्म दोनों ही बहुत बड़े हैं और इन बड़े और छोटे फार्मों के लिए एक दूसरे के साथ समान लेवल पर प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव होगा.
उन्होंने कहा, हमने इस मुद्दे पर तीन साल पहले और पूर्व के अवसरों पर भी चर्चा की थी, और डेयरी एक ऐसा सेक्टर है जिसके लिए हम दुनियाभर में अपने किसी भी एफटीए में शुल्क रियायतों के साथ इस सेक्टर को खोलने में सक्षम नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि यह व्यापार के लिए ये सेक्टर खुला है, लेकिन इस पर कुछ सीमा शुल्क लगाए गए हैं. हमने न तो यूरोप के लिए डेयरी को खोला है और न ही खोलने की योजना बना रहे हैं… न ही हमने इसे स्विट्जरलैंड और नॉर्वे के लिए खोला है, जिनके साथ हमने हाल ही में ईएफटीए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *