बच्चों को सही राह दिखाने के लिए थोड़ी ढील भी जरूरी, देखें एक्सपर्ट की सलाह

बच्चों को सही राह दिखाने के लिए थोड़ी ढील भी जरूरी, देखें एक्सपर्ट की सलाह

कुछ साल पहले बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक नामी कंपनी द्वारा विज्ञापन जारी किया गया था, जिसने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था। उस विज्ञापन में कुछ किशोर बच्चे अपने मन की बातें कह रहे थे, जिनमें पढ़ाई का दबाव, परीक्षा का डर, करियर की चिंता और माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के तनाव का जिक्र था।

क्या आपने कभी सोचा है कि भला बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की बात एक विज्ञापन के जरिए कहने की क्या जरूरत पड़ गई? दरअसल, बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य उनकी शारीरिक सेहत के जितना ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन आमतौर पर माना जाता है कि बच्चों को तनाव नहीं होता है क्योंकि यह सिर्फ वयस्कों की परेशानी है। लेकिन सच यह है कि जब तक उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के बीच संतुलन नहीं होगा, वे आगे नहीं बढ़ पाएंगे। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के आंकड़ों के अनुसार देश में तकरीबन 44 प्रतिशत छात्र तनाव और अवसाद से जूझ रहे हैं। ये आंकड़े साफ तौर पर दर्शाते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है। इसका समाधान भी संभव है, लेकिन उसके लिए माता-पिता को पहल करनी होगी और अच्छे खानपान के साथ अपने बच्चे को सुरक्षित तथा प्यार भरा माहौल भी देना होगा ताकि वे अपनी समस्याओं से अकेले जूझने की बजाय सहजता से अपनी समस्याएं और मन की बातें आपके साथ साझा कर सकें।

नियमित संवाद है जरूरी
अपने बच्चे के साथ खुला और सहज संवाद बनाकर रखें। उनकी भावनाएं समझने की कोशिश करें और यदि वह आपके साथ कुछ साझा करते हैं तो उनके ऊपर भरोसा जरूर जताएं। उन्हें यकीन दिलाएं कि आप उनकी परेशानी समझती हैं और उसे सुलझाने के लिए हमेशा उनके साथ हैं।

बनाएं दोस्ती का रिश्ता
हमेशा माता-पिता की तरह व्यवहार करने के बजाय अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कायम करें। उनके शौक का हिस्सा बनकर, तल्लीनता से उनकी बातें सुनकर और सामान्य गलतियों को हंसकर टाल देने से आपके और बच्चों के रिश्ते में मजबूती आएगी और वह आपसे बिना डरे अपनी बातें साझा कर सकेंगे।

अच्छा हो घर का माहौल
सारे दिन की थकान के बाद इंसान जब घर पहुंचता है तो उसकी थकान दूर हो जाती है। लेकिन यदि घर में आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं तो उसका नकारात्मक प्रभाव बच्चों पर बहुत ज्यादा पड़ता है। नतीजतन, वेघर पर रहने से कतराने लगते हैं। इसलिए घर का माहौल हमेशा अच्छा बनाकर रखें ताकि उन्हें भावनात्मक सुरक्षा का अहसास हो सके।

कायम करें मिसाल
बच्चों का पहला स्कूल घर और पहले गुरु उनके अभिवाभक ही होते हैं। यानी उनमें अच्छी या बुरी आदतों की नींव घर से ही पड़ती है। इसलिए जरूरी है कि उनके सामने आप अपनी मजबूत और संवेदनशील छवि कायम करें। जो गुण आप उनके भीतर देखना चाहते हैं, उन्हें पहले अपने व्यक्तित्व में शामिल करें। आपको देखकर बच्चे को खुद-ब-खुद आपके जैसा बनने की प्रेरणा मिल जाएगी।

थोड़ी ढील भी है जरूरी
बच्चों को अनुशासन सिखाना बहुत जरूरी है, लेकिन हर समय इसका पाठ पढ़ाने से वह तनाव की चपेट में आ सकता है। आज के जमाने में छोटी कक्षाओं से ही उन पर पढ़ाई और परीक्षाओं का बहुत दबाव होता है, इसलिए कभी-कभार उन्हें छुट्टी देनी भी जरूरी है, जिसमें वह सिर्फ खेल-कूद और मस्ती कर सकें। ऐसा करने से बच्चा न केवल तरोताजा हो जाएगा बल्कि उसे भरोसा भी होगा कि आप हर समय सिर्फ सख्ती नहीं बरतती हैं।

डिजिटल डिटॉक्स है जरूरी
इंटरनेट क्रांति ने सोशल मीडिया को हर घर का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। सोशल मीडिया की शुरुआत सारी दुनिया को वर्चुअल तरीके से नजदीक लाने के लिए हुई थी, लेकिन अब यह एक लत बनती जा रही है। शोध भी बताते हैं कि लंबे समय तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल तनाव, गुस्सा और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को बढ़ाता है। घर में इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर नियम बनाएं और स्वयं भी उसका पालन करें।

अच्छी आदतों को प्रोत्साहन
मानसिक सेहत दुरुस्त रखने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का अच्छा होना बहुत जरूरी है। इसलिए बचपन से ही अपने बच्चे में अच्छी आदतों की नींव डालें। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, समय से जागने और सोने का सही समय तथा भावनात्मक स्थिरता कुछ ऐसे अच्छे गुण हैं, जो उन्हें तनाव मुक्त रखने के लिए जरूरी हैं।

यथार्थवादी बनना सिखाएं
जीवन में सब कुछ हमारी मर्जी के मुताबिक नहीं होता है और ऐसा भी जरूरी नहीं कि हमेशा आप अव्वल ही आएं। अपने बच्चे को व्यवहारिक बनने का हुनर सिखाएं ताकि वह जीत की खुशी के साथ हार को भी सकारात्मक तरीके से स्वीकार सके। जब हम खुले दिल से परिणाम स्वीकारना सीख जाते हैं, तो तनावग्रस्त होने की आशंका अपने आप कम हो जाती है।

विशेषज्ञ से लें मदद
यदि आपको लगता है कि तमाम बातों का ध्यान रखने के बावजूद आपका बच्चा तनाव से निकल नहीं पा रहा है, तो बिना हिचके पेशेवर से मदद लें। बच्चे के तनाव को हल्के में कतई ना लें क्योंकि हो सकता है उसकी समस्या गंभीर हो। बच्चा अगर अवसाद का शिकार हो गया है, तब भी घबराने की बात नहीं है, क्योंकि सही समय पर मनोचिकित्सक से सलाह लेकर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।

 

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