क्या एकला चलो की नीति अपनाएगी कांग्रेस? बैठक के लिए सभी कोऑर्डिनेटर्स को दिल्ली बुलाया
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा अभी उलझा हुआ है, उसी बीच कांग्रेस ने 541 सीटों पर कोआर्डिनेटर्स की नियुक्तियां करके सहयोगियों पर दबाव बनाने का नया दांव चला है, साथ ही उसने 11 और 12 जनवरी को इन कोऑर्डिनेटर्स की दिल्ली में अहम बैठक भी बुला ली है. इंडिया गठबंधन के भीतर राज्यवार देखें तो सीटों का पेंच अभी भी फंसा हुआ है, हर दल अपनी जमीन छोड़ने के बजाय दूसरे की सियासी जमीन पर निशाना लगाए गुणा गणित कर रहा है.
इंडिया गठबन्धन में सीट बंटवारा हुआ नहीं है, राज्यों में नेताओं के एक-दूसरे पर हमलावर होते बयान बंद नहीं हो रहे. ऐसे में विपक्षी दलों के बीच सबसे बड़ी और पैन इंडिया पार्टी का दम दिखाते हुए कांग्रेस ने 541 लोकसभा सीटों पर कोऑर्डिनेटर्स का ऐलान करके दबाव डालने की कोशिश की है.
हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि देश भर की सीटों में उसके मतदाता हैं, ऐसे में उसका मकसद है कि, जहां वो लड़ेगी उनके पक्ष में तो ये कोऑर्डिनेटर्स काम काम करेंगे, साथ ही जहां कांग्रेस की बजाय गठबन्धन का उम्मीदवार हो वहां उनका उनका पुरजोर साथ देंगे, जिससे कांग्रेस का वोट इंडिया गठबन्धन में ही रहे.
यूपी में सपा और कांग्रेस
पंजाब, दिल्ली के साथ ही बाहर के राज्यों में आप और कांग्रेस बंगाल में ममता और कांग्रेस के बीच खींचातानी साफ दिख रही है, तो वहीं बिहार और महाराष्ट्र में भी अंतिम फैसला नहीं हो सका है. ऐसे में भले ही कांग्रेस अपनी ताजा नियुक्तियों को इंडिया गठबन्धन को मजबूत करने का हवाला दे रही हो, लेकिन साथी दलों को कांग्रेस की ये दबावी राजनीति का खूब पता है. इसलिए वो भी सधे अंदाज़ में जवाब दे रहे हैं.
सीट बंटवारे में कांटे बहुत
दरअसल, कांग्रेस के इस दांव का सभी को एहसास है, लेकिन फिलहाल इंडिया गठबंधन के बीच सीट बंटवारे को लेकर चर्चा जारी है, इसलिए कोई खुलकर तोहमत लगाना नहीं चाहता, लेकिन दिलों की रार बताती है कि, बंटवारा की राह में कांटे बहुत हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा है कि दबाव बनाने की कोई बात नहीं है, हम गठबंधन में हैं, 541 सीटों पर तो लड़ने नहीं जा रहे. ये नियुक्तियां इसलिए हैं ताकि वो हमारे सहयोगी, संगठन और मतदाताओं की पूरी मदद करे