गलती से बन गई दुनिया की सबसे छोटी गांठ, टूटा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, मेडिकल साइंस में आएगी काम
कई बार बहुत सी खोजें अचानक और गलती से हुई हैं. ऐसे ही एक कवायद में वैज्ञानिकों ने गलती से दुनिया की सबसे छोटी और सबसे मजबूत गांठ बनाने का रिकॉर्ड कायम किया है. इस गठान ने पिछले गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया है. एक रासायनिक प्रयोग करते समय वैज्ञानिकों ने अनजाने में केवल 54 परमाणुओं को मिला कर एक गांठ बना दी और उससे भी रोचक बात यह है कि उन्हें यह तक समझ में नहीं आया कि ये सब हो कैसे गया. जबकि इस गांठ की उपयोगिता कई क्षेत्र में हो सकती है.
यह गांठ तीन पत्ती वाली लौंग से मिल रही है. इस तीन बार में बनी गांठ के कोई “लूज एंड्स” नहीं हैं और यह मैथेमैटिकल नॉट थ्योरी पर खरी उतरती है. कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओनाटारियो और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के शोधकर्ताओं ने इस नए रिकॉर्ड को बनाकर साल 2020 के रिकॉर्ड को तोड़ा है, जिसे चीन के एक कैमिस्ट ने ऐसी ही एक गांठ को 69 परमाणुओं की मदद से बनाया गया था.
इस तरह की गांठ की मजबूती परमाणु और बैक क्रासिंग के अनुपात के घटने से बढ़ती है. 2020 की गांठ या गठान का बैकबोन क्रॉसिंग अनुपात (बीसीआर) 23 था, जबकि इस बार जो नई गांठ बनी है उसका अनुपात 18 पाया गया है. यह प्रक्रिया वैज्ञानिकों को डीएनए, आरएनए और प्राटीन को बेहतर तरह से समझने में मदद करती है.
दुर्घटनावश हासिल की गई ये उपलब्धि जैविक रासायनिक प्रतिक्रियाओं के प्रयोगों को दौरान हासिल हुई थीं जो धातुओं के एसिटाइलाइड्स के साथ किए गए थे. इन प्रयोगों में वैज्ञानिक गोल्ड चेन या कैटेनैने बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनसे एक ट्रेफॉइल नॉट बन गई जो गोल्ड एसिटायलाइड और डाइफोसफीन लिगैंड को जोड़ रही थी.
शोधकर्ताओं का तो यहां तक कहना है कि यह बहुत ही जटिल सिस्टम था और वे बिलकुल नहीं जान सके ये कैसे हो गया. इस खोज का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में तो होगा ही, इसे प्लास्टिक और पॉलिमर जैसे उन्नत पदार्थ विकसित करने में लाया जा सकता है. अणुओं की गांठों को जोड़ने का काम चुनौतीपूर्ण होता है. इसे सिंथेसिस कहते हैं. इसकी आणविक पदार्थों की प्रोटीन संरचना और कार्यों में बड़ी उपयोगिता हो सकती है.