Explainer: भारत रत्‍न पाने वाला किस तरह बन जाता है देश का सबसे बड़ा वीआईपी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा. बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे. केंद्र सरकार की तरफ से यह ऐलान ऐसे समय में किया गया है, जबकि एक दिन बाद यानी 24 जनवरी को ही जननायक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है.

सबसे बड़ा नागरिक सम्मान

भारत रत्न (Bharat Ratna) देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. यह उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में देश के लिए उल्लेखनीय और असाधारण योगदान दिया हो. भारत रत्न देने की शुरुआत 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी. 1954 में पहली बार तीन लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. ये तीन शख्तियत थीं- आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन.

प्रधानमंत्री करते हैं सिफारिशभारत रत्न देने के लिए नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति से की जाती है. जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा उस व्यक्ति को यह सम्मान प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार के तहत प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र और एक पदक मिलता है. पुरस्कार के साथ कोई धनराशि प्रदान नहीं की जाती है. यह कोई जरूरी नहीं है कि भारत रत्न सम्मान हर वर्ष दिया ही जाए.

26 जनवरी को दिया जाता है सम्मान

1954 में ये सम्मान केवल जीवित लोगों को दिया जाता था. लेकिन 1955 में मरणोपरांत भी भारत रत्न दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया. भारत रत्न प्राप्त करने की आधिकारिक घोषणा भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी जाती है. यह सम्मान 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर दिया जाता है. 1954 से अब तक 48 लोगों को यह सम्मान मिल चुका है. कर्पूरी ठाकुर 49वें शख्स होंगे जिन्हें यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. एक साल में अधिकतम तीन लोगों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है. यह पुरस्कार 13 जुलाई 1977 से 26 जनवरी 1980 के बीच निलंबित भी किया जा चुका है.

मिलता है वीआईपी दर्जा

इस सम्मान को पाने वाला व्यक्ति देश के लिए वीआईपी होता है. सम्मनित व्यक्ति को प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है.

जानिए भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति को मिलती हैं क्या-क्या सुविधाएं…1 इस पुरस्कार से जुड़ी पहली बात तो यही है कि भारत रत्न प्राप्त करने वाले व्यक्ति को कैबिनेट मंत्री के बराबर वीआईपी का दर्जा मिलता है.2 भारत रत्न पाने वालों को आयकर न भरने की छूट भी दी जाती है. साथ ही वह संसद की बैठकों और सत्र में भाग ले सकते हैं.3 स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में विशेष अतिथि के तौर पर भी भाग ले सकते हैं.इन्हें हवाई जहाज, ट्रेन और बस में निशुल्क यात्रा की छूट मिलती है.4 अगर किसी राज्य में घूमने जाते हैं तो उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा मिलता है.5 संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार पुरस्कार प्राप्त करने वाले अपने नाम के उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में ‘भारत रत्न’ का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. हालांकि वे अपने बॉयोडाटा, विजिटिंग कार्ड, लेटर हेड आदि में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भारत रत्न या भारत रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता जोड़ सकते हैं.6 जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें सरकार वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में जगह देती है. वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है.7 राज्य सरकारें भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को अपने राज्यों में सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं.

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