ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान पर काशी के संतों में उबाल,दी नसीहत

एक स्वर से बोले,यह देश संविधान से चलेगा,शरीयत के कानून से नहीं वाराणसी,02 फरवरी (हि.स.)। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाना पर जिला कोर्ट के फैसले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बयानबाजी पर काशी के संत नाराज हैं। विवादास्पद और भड़काऊ बयान को अखिल भारतीय संत समिति ने गंभीरता से लिया है। समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने शुक्रवार को बोर्ड के पदाधिकारियों को सीधे चेतावनी देते हुए कहा कि यह देश संविधान से चलेगा,शरीयत के कानून से नहीं चलेगा।

श्री राम जन्म भूमि किसी की कृपा से नहीं, हमने संविधान और कोर्ट से प्राप्त किया है। स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि और श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी भी हम कोर्ट से ही प्राप्त करेंगे। हमारी आस्था संविधान में है। रही बात है यह कि कोर्ट और प्रशासन हमारा साथ दे रहा है तो वर्ष 2014 से पहले यही आरोप तो आप पर भी लगाए जा सकते थे। हमने तो यह आरोप कभी नहीं लगाए। जन्मभूमि श्रीराम की है और उसको तीन टुकड़े में बांट दिया जाए कि आप लोगों की धमकी का परिणाम था, इसलिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड मुसलमानों को भड़काने से बाज आए अन्यथा परिणाम उन्हीं के लिए विपरीत होंगे।

स्वामी जितेन्द्रांनद ने कहा कि आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के बेहद गैर जिम्मेदाराना और असंवैधानिक धमकियों को गंभीरता से लेते हुए काशी के लगभग तीन सौ संतों ने बैठक किया। जिसमें जगदगुरु शंकराचार्य काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, जगदगुरु अनंताचार्य, डॉक्टर राम कमल दास वेदांती,संत समिति के प्रवक्ता महंत बालक दास ने एक स्वर में निर्णय लिया कि संविधान को बंधक बनाने ,कोर्ट को धमकी देने के अपने रवैए से बाज आए मुस्लिम समाज, जो कहना है कोर्ट में कहें।

गौरतलब हो कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाना पर कोर्ट के फैसले को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेस में कहा कि ज्ञानवापी में जो हो रहा है, उससे वे सदमा में है। वे इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। बोर्ड ने सीधे तौर पर कोर्ट पर ही सवाल खड़ा कर दिया। बोर्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि कोर्ट का जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। आपस में दूरी पैदा करने की कोशिशि क्यों की जा रही है? दलील की बुनियाद पर फैसला हो। छीनी हुई जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती है। लोगों का भरोसा नहीं टूटना चाहिए।

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