एक तरफ देश में रोज़गार की मांग खड़ी रहती है, उधर CBI में 1695 पद खाली पड़े हैं
भारत की सबसे बड़ी सरकारी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) भी मैनपावर की कमी से जूझ रही है. मतलब यहां काम करने के लिए जितने लोगों की ज़रूरत है, उससे कम लोग मौजूद हैं.
पद खाली पड़े हैं और बहुत से मामले पेंडिंग हैं. ये खुलासा एक सरकारी रिपोर्ट में हुआ है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की 2022-23 की सालाना रिपोर्ट में CBI के एक हजार से ज्यादा खाली पदों और एक हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग होने की जानकारी दी गई है.
CBI में खाली पद
DoPT की रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 दिसंबर, 2022 तक CBI में 1,695 पद खाली थे. इसमें स्पेशल डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर और DIG के खाली पद भी शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है,
“31 दिसंबर, 2022 तक, CBI की कुल स्वीकृत स्ट्रेंथ 7,295 थी. जिसमें से सिर्फ 5,600 अधिकारी पद पर थे और 1,695 पद खाली थे.”
(DoPT की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट)
इनमें एक स्पेशल/एडिशनल डायरेक्टर, 2 जॉइंट डायरेक्टर, 11 DIG, 9 SSP, 1 एडिशनल SP, 65 डिप्टी SP की वैकेंसी बताई गई. इसके अलावा 360 इंस्पेक्टर, 204 सब-इंस्पेक्टर, 51 एसिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, 123 हेड कांस्टेबल, 281 कांस्टेबल और 367 तकनीकी अधिकारियों के पद खाली थे.
CBI के पेंडिंग मामले
CBI के पेंडिंग मामलों की बात करें, तो साल 2022 के आखिर तक 1,025 मामले पेंडिंग थे. इनमें 943 रजिस्टर्ड मामले और 82 प्रारंभिक जांच के मामले शामिल थे.
UI (अंडर इन्वेस्टिगेशन), RCs (रजिस्टर्ड केसेज) और PE (प्रीलिमनेरी इन्क्वॉयरी)
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है,
“943 रजिस्टर्ड मामलों में से 447 मामलों की जांच एक साल से अधिक समय से पेंडिंग थी. इसी तरह, 82 शुरुआती जांच के मामलों में से 60 मामले तीन महीने से अधिक समय से पेंडिंग थे.”
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में CBI के 557 मामलों में कोर्ट ने फैसले सुनाए. इनमें से 364 मामलों में दोष साबित हुए. 111 मामलों में ट्रायल के दौरान आरोपी के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए और उन्हें दोषमुक्त किया गया. 13 मामलों में बिना ट्रायल आरोप से मुक्ति दी गई. वहीं 69 मामलों का अन्य कारणों से निपटारा कर दिया गया. सजा की दर 74.59% रही. 31 दिसंबर, 2022 तक 10,732 कोर्ट केसेस ट्रायल के लिए पेंडिंग थे.