इस ‘छोटे बच्चे’ के कारण बढ़ जाएगी दुनियाभर में चॉकलेट की कीमत! जानिए क्या है मामला
चॉकलेट बनाने के लिए कोको बीन्स का इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया में कोको उत्पादन के मामले में पश्चिम अफ्रीका पहले नंबर पर है। लेकिन सूखे के कारण वहां इसकी फसल प्रभावित हुई है और इस कारण कोको की ग्लोबल प्राइस रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। गुरुवार को न्यूयॉर्क कमोडिटीज मार्केट में कोको की कीमत 5,874 डॉलर प्रति टन पहुंच गई जो इसका ऑल टाइम हाई स्तर है। पिछले एक महीने में ही इसकी कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है। इससे चॉकलेट बनाने वाली कंपनियों की लागत बढ़ रही है और देर-सबेर वे चॉकलेट की कीमत में इजाफा कर सकती हैं। चॉकलेट बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक Hershey का कहना है कि कोको की बढ़ती कीमत से इस साल उसकी कमाई प्रभावित हो सकती है।
दुनिया में कोको बीन्स का सबसे ज्यादा उत्पादन पश्चिम अफ्रीका के दो देशों घाना और आइवरी कोस्ट में होता है। दुनिया में कोको की अधिकांश सप्लाई इन्हीं दो देशों से होती है। लेकिन अल नीनो प्रभाव के कारण वहां सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। इस वहां कोको का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। अल नीनो स्पेनिश भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है छोटा बच्चा (Little Boy)। प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। इस वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है। इस गर्मी से समुद्र में चल रही हवाओं के रास्ते और रफ्तार में बदलाव आता है और मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है।
कैसे बनती है कोको से चॉकलेट
कोको फ्रूट से चॉकलेट बनाने की लंबी बहुत लंबी है। इसमें सबसे पहले कोको फ्रूट को पेड़ से निकाला जाता है। उसके बाद कोको फ्रू्ट्स में से कोको बीन्स को निकाला जाता है और उन्हें फरमेंट किया जाता है। इसके बाद इन्हें अच्छी तरह धोकर इनकी बाहरी परत हटाई जाती है। फिर इन्हें पानी में उबाला जाता है और इनकी एक और झिल्ली उतारी जाती है। इसके बाद इन्हें अच्छी तरह से सुखाने के बाद रोस्ट किया जाता है। भूनने के बाद इन्हें पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद इन्हें चीनी के साथ मेल्ट किया जाता है। फिर इसे जमाया जाता है और इस तरह आपकी चॉकलेट तैयार होती है।