सीवर लाइन के ल‍िए चल रही थी खुदाई, तभी अंदर से आई अजीब आवाज, मिट्टी हटाते दिखी ऐसी चीज, देखकर लोग सन्‍न

खुदाई में कई बार रहस्‍यमयी चीजें मिल जाती हैं, जिनके बारे में क‍िसी को पता नहीं होता. लेकिन मेक्‍स‍िको में कुछ हुआ क‍ि नजारा देखकर लोग सन्‍न रह गए. वहां सीवर लाइन डालने के लिए खुदाई चल रही थी. तमाम श्रमिक मशीनों के साथ जमीन खोदने में लगे थे. तभी जमीन जमीन के अंदर से खट-खट की आवाज आने लगी. पहले तो श्रमिकों को लगा क‍ि शायद कोई पत्‍थर होगा, लेकिन फ‍िर जो बाहर निकलकर आया, सब देखकर सन्‍न रह गए.

लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, मेक्‍स‍िको के पश्चि‍मी राज्‍य नायरिट में नई सीवर लाइन डालने के ल‍िए बीते दिनों खुदाई शुरू हुई थी. तकरीबन 4 क‍िलोमीटर तक खुदाई हो जाने के बाद मजदूर जब पोज़ो डी इबारा में खुदाई करने लगे, तो हैरान करने वाली घटना सामने आई. खुदाई के दौरान अंदर से अचानक कंकाल निकलने लगा. पहले तो मजदूरों को लगा क‍ि शायद एक या दो होगा. क‍िसी जानवर का भी हो सकता है, लेकिन कुछ ही देर में वे तब डर गए, जब कंकालों का जखीरा नजर आने लगा.

मजदूर काम छोड़कर पीछे हट गए

मजदूर काम छोड़कर पीछे हट गए. क्‍यों कंकाल इंसानी हड्ड‍ियों की तरह नजर आ रहे थे. तुरंत प्रशासन को इसकी सूचना दी गई. पुरातत्‍वविद बुलाए गए. पता चला क‍ि ये सच में इंसानी हड्ड‍ियों के कंकाल हैं. इनमें जांघ की हड्डियां, निचले पैर की हड्डियां, सात खोपड़ि‍यां और सीने की कई हड्ड‍ियां थीं. साइंटिस्‍ट भी यह देखकर हैरान रह गए क‍ि बीच शहर इस तरह की चीज कैसे मिली. क्‍योंकि इससे पहले कभी इस जगह के बारे में कोई ऐत‍िहास‍िक साक्ष्‍य उपलब्‍ध नहीं था. हड्ड‍ियों के साथ सिरेमिक के तमाम बर्तन और कुछ मूर्तियां भी पाई गईं.

कंकाल लगभग 1500 साल पुराने

मेक्सिको के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एंथ्रोपोलॉजी एंड हिस्ट्री के पुरातत्‍वव‍िदों ने जब इसकी जांच की, तो और भी आश्चर्यचक‍ित रह गए. क्‍योंकि ये कंकाल लगभग 1500 साल पुराने थे. रिसर्च के बाद पता चला क‍ि सभी खोपड़ियां अलग-अलग उम्र के पुरुषों की थीं. इन्‍हें एक कब्रिस्‍तान में दफनाया गया था, और बाद में सारी हड्ड‍ियों को शायद अनुष्‍ठान के ल‍िए एक जगह ढेर लगाकर रखा गया था. यह प्रथा मेसोअमेरिका में प्रचलित थी. 500 ईस्वी से 850 ईस्वी तक ऐसे अनुष्‍ठान के साक्ष्‍य मिलते हैं. तब नई बस्‍ती बसाने के मकसद से इन्‍हें दफनाया जाता था. हालांकि, इस इलाके में इस तरह की प्रथाओं का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

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