MP में BJP ने साधा जातिगत समीकरण, कैबिनेट विस्तार में दिखी ‘मिशन 2024’ की झलक
आखिरकार लंबे इंतजार के बाद मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार का कैबिनेट विस्तार कर दिया गया है. 3 दिसंबर को आए चुनावी नतीजे के 22वें दिन राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार अपने पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ चुकी है. हालांकि इसके लिए पहली बार मुख्यमंत्री बने मोहन यादव को खासी मशक्कत करनी पड़ी. कैबिनेट विस्तार से पहले उन्हें 3 बार दिल्ली का चक्कर लगाना पड़ा. पार्टी ने ‘मिशन 2024’ को भी ध्यान में रखा है और मंत्रियों के चयन में इसकी झलक साफ दिखाई पड़ती है.
महीने की शुरुआत में हिंदी पट्टी के 3 राज्यों में बड़ी जीत के बाद बीजेपी खासी उत्साहित है और अगले साल के लोकसभा चुनाव को देखते हुए वह सारी कवायद कर रही है. मंत्रिमंडल चयन में जातिगत समीकरण को भी सेट करने की कोशिश की गई है. जातिगत आधार पर देखें तो 28 में से सबसे ज्यादा मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के विधायकों को मंत्री बनाया गया है. मुख्यमंत्री समेत 12 मंत्री ओबीसी बिरादरी से बनाए गए हैं तो सवर्ण वर्ग से 7 विधायकों को मंत्री पद से नवाजा गया है.
OBC बिरादरी पर पूरा फोकस
मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी शुरू से ही ओबीसी बिरादरी पर पूरा फोकस करती रही है. प्रदेश में बीजेपी ने अब तक 4 मुख्यमंत्री बनाए हैं जो ओबीसी समाज से ही आते हैं. यहां पर ओबीसी बिरादरी की आबादी 50 फीसदी (50.09%) से ज्यादा है. देश के कई राज्यों में जिस तरह से जाति आधारित जनगणना की मांग की जा रही है उसे देखते हुए बीजेपी ने यहां पर जातिगत समीकरण को सेट करने की कोशिश की है.
मुख्यमंत्री मोहन यादव के अलावा ओबीसी समुदाय से जिन अन्य लोगों को 11 मंत्री बनाया गया है, उनमें प्रह्लाद सिंह पटेल, एंदल सिंह कसाना, नारायण सिंह कुशवाहा, उदय प्रताप सिंह, राकेश सिंह, करण सिंह वर्मा, कृष्णा गौर, इंदर सिंह परमार, धर्मेंद्र लोधी, नारायण पंवार और लखन पटेल शामिल हैं. कैबिनेट चयन में ओबीसी बिरादरी को पूरा मौका देकर बीजेपी की ओर से विपक्षी दलों की जातिगत जनगणना की मांग के बीच यह जताने की कोशिश की जा रही है कि वह पिछड़े वर्गों की हितैषी पार्टी है.
जितनी हिस्सेदारी उतनी भागीदारी
‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी’ का बीजेपी ने खास ख्याल रखा है. प्रदेश में सामान्य वर्ग की 13.21 फीसदी हिस्सेदारी है और इसे देखते हुए 7 लोगों को कैबिनेट में रखा गया है. उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के अलावा सवर्ण समाज से 6 विधायकों को मंत्री बनाया गया है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय, विश्वास सारंग, प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, चैतन्य कश्यप और राकेश शुक्ला शामिल हैं.
प्रदेश की नई कैबिनेट में एससी-एसटी बिरादरी को भी खासी अहमियत दी गई है. यहां पर 36 फीसदी से अधिक आबादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की रहती है और प्रदेश की कैबिनेट में 9 लोगों को शामिल किया गया है. एससी वर्ग से 5 विधायकों को मंत्री बनाया गया है तो 4 विधायक जो एसटी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं उन्हें भी मंत्री बनाया गया है. प्रदेश में एसटी की आबादी 21.1 फीसदी तो एससी की 15.6 फीसदी आबादी रहती है.
2024 में ‘क्लीन MP’ पर पूरा फोकस
अनुसूचित जाति (SC) से जिन 6 विधायकों को मंत्री बनाया गया है, वो हैं तुलसी सिलावट, दिलीप जायसवाल, गौतम टेटवाल, राधा सिंह और प्रतिभा बागरी. जबकि आदिवासी समाज (ST) से मंत्री बनने वाले 4 विधायक हैं निर्मला भूरिया, विजय शाह, संपतिया उइके और नागर सिंह चौहान.
हिंदी पट्टी समेत 5 राज्यों में खत्म हुए विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी को हिंदी पट्टी के तीनों राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) में उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़ी जीत मिली है. इस जीत से बीजेपी का ‘मिशन 2024’ के लिए उत्साह खासा बढ़ गया है और वह पूरी कवायद में है कि जब कुछ महीने बाद लोकसभा चुनाव हो रहा होगा, तो उसे जीत हासिल करने में खासा संघर्ष करना न पड़े.
विपक्षी दलों की ओर से जातिगत जनगणना की तेज होती मांग के बीच बीजेपी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों के चयन में जातिगत स्थिति का खास ख्याल रखा है. छत्तीसगढ़ के बाद मध्य प्रदेश में हुए कैबिनेट विस्तार में हर वर्ग को शामिल करने की कोशिश की गई है. मध्य प्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी को 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि इस बार उसकी कोशिश सभी की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने की है. ऐसे में जिस तरह से कैबिनेट में मंत्रियों के चयन में जातिगत समीकरण को सेट किया गया है, अब देखना होगा कि बीजेपी को ‘मिशन 2024’ में इसका कितना फायदा मिलता है.