धन निकाल रहे हैं FPI, JP मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने के बाद ही ठहराव की उम्मीद
बिजनेस डेस्कः साल भर तक हर महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) से बढ़िया रकम पाने वाले ऋण बाजार की हालत अप्रैल में उलट गई। बाजार प्रतिभागियों को लगता है कि बिकवाली अभी जारी रहेगी और जून में जेपी मॉर्गन बॉन्ड सूचकांक में शामिल होने के बाद ही बॉन्ड बाजार में ठहराव आएगा।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) विकास गोयल ने कहा, ‘सक्रिय निवेशक कुछ समय तक बिकवाली जारी रख सकते हैं। मगर यह अस्थायी है। रकम निकलेगी मगर वह बहुत मामूली होगी। अभी लिवाली की कोई वजह भी नहीं दिख रही है और मुझे लगता है कि इसी वजह से थोड़ी बिकवाली हो रही है।’
अमेरिका में सरकारी बॉन्ड की यील्ड बढ़ने और पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव गहराने के कारण विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में अभी तक ऋण बाजार से 3,592 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी कर ली है। मंगलवार को एफपीआई ने एक ही दिन में 3,363 करोड़ रुपए के बॉन्ड बेच डाले। इस हफ्ते उन्होंने 2,669 करोड़ रुपए के सरकारी बॉन्ड बेचे हैं। पिछले एक महीने में सरकारी बॉन्डों में एफपीआई का निवेश 5.5 प्रतिशत घटा है। उन्होंने 5 साल मियाद वाले यानी सबसे अधिक तरलता वाले 6,530 करोड़ रुपए के बॉन्ड बेचे हैं।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा कि अप्रैल-मई में विदेशी आवक कमजोर रह सकती है मगर चुनाव बाद एफपीआई की मजबूत वापसी के आसार हैं।
जेपी मॉर्गन ने सितंबर 2023 में भारत को अपने प्रमुख सूचकांक जीबीआई-ईएम ग्लोबल डायवर्सीफाइड इंडेक्स में शामिल कर लिया था। भारत जून में 1 प्रतिशत भार के साथ सूचकांक में शामिल होगा। भार हर महीने 1 प्रतिशत बढ़ता रहेगा और अप्रैल 2025 में 10 प्रतिशत हो जाएगा। इसी साल 5 मार्च को ब्लूमबर्ग इंडेक्स सर्विसेज ने भी कहा कि भारत सरकार के बॉन्ड 31 जनवरी, 2025 से सके इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स में शामिल हो जाएंगे।
वित्त वर्ष 2024 में भारतीय बाजारों में विदेश से 3.23 लाख करोड़ रुपए की आवक हुई, जबकि 2022-23 में बाजार से 45,365 करोड़ रुपए निकले थे। पिछले वित्त वर्ष में विदेशी निवेशकों ने 1.2 लाख करोड़ रुपए डेट श्रेणी में लगाए हैं। नैशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 के बाद इस श्रेणी में यह सबसे अधिक आवक रही।
वित्त वर्ष 2024 की अंतिम तिमाही में विदेशी निवेशकों ने डेट बाजार में 54,492 करोड़ रुपए लगाए, जिस कारण बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड में उस समय 14 आधार अंक की गिरावट आई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की समिति ने इस साल दरें घटने के संकेत दिए, जिस कारण भी यील्ड गिरी। इंडेक्स में शामिल होने कारण धन की आवक होने के बाद पिछले वित्त वर्ष में अमेरिका द्वारा दर कटौती का ही इंतजार किया जा रहा था। मगर वहां अपेक्षा से अधिक महंगाई के आंकड़ों से साफ हो गया कि ब्याज दरें अभी ऊंची ही बनी रहेंगी।
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफे के कारण दर कटौती भी आगे के लिए टल गई है। पहले जून में कटौती की उम्मीद थी मगर बाजार का एक तबका इस साल दिसंबर में दरें घटाए जाने का अनुमान लगा रहा है। पहले 2024 में तीन बार दर कटौती का अनुमान था, जिसे अब घटाकर 2 कर दिया गया है।