कहीं हीट वेव तो कहीं मूसलाधार बारिश, क्लाइमेट चेंज से कैसे मची तबाही
दुबई में पिछले दिनों मूसलाधार बारिश हुई, दुबई में इतनी बारिश हुई कि यह लगभग दो सालों में होने वाली बारिश के बराबर थी. यूएई के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, पिछले 75 सालों में पहली बार दुबई में इतनी बारिश देखी गई है.
इसी के साथ ओमान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भी मूसलाधार बारिश देखी गई. जिसमें इतनी तबाही मची की कई घर बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गए और कई लोगों की मौत भी हुई.
जहां एक तरफ मूसलाधार बारिश से दुनिया में तबाही मची है, वहीं दूसरी तरफ हीट वेव ने हाहाकार मचा रखा है. बता दें, जब इलाकों में तापमान 40 डिग्री से ज्यादा हो जाता है और गर्म हवाएं महसूस की जाती है तो इसको हीट वेव कहा जाता है. अफ्रीका के शहर साहेल, माली में हीटवेव देखी गई. पिछले महीने माली में तापमान 48C से ऊपर पहुंच गया था. माली और बुर्किना फासो के दक्षिणी क्षेत्रों में गर्मी सबसे अधिक महसूस की गई.
अफ्रीका में हीटवेव
माली की राजधानी बमाको में, गेब्रियल टूरे अस्पताल ने कहा कि अप्रैल के पहले दिनों में 102 मौतें दर्ज की गईं. जिन लोगों की मौत हुई उन में लगभग आधे लोग 60 साल की उम्र से ज्यादा थे और अस्पताल ने इनमें से कई मौतों की वजह हीटवेव बताई. इसी के साथ दक्षिण सूडान में, गर्मी के महीनों में आमतौर पर 43°C से ज्यादा तापमान पहुंच जाता है.
भारत में हीटवेव को लेकर अलर्ट
भारत की बात करें तो भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को दक्षिणी राज्यों के लिए हीटवेव की चेतावनी दी और नोर्थ और पूर्वोत्तर भारत में बारिश की संभावना जताई. मौसम विज्ञान विभाग ने जानकारी दी कि पश्चिम बंगाल के कई अलग-अलग इलाकों में शुक्रवार, 19 अप्रैल से 23 अप्रैल तक भयानक गर्मी देखने को मिल सकती है. ओडिसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु में 19 अप्रैल, 2024 को हीटवेव महसूस की जा सकती है. दूसरी तरफ 19-20 और 22 अप्रैल के दौरान जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और 19-24 अप्रैल 2024 के दौरान उत्तराखंड में बारिश देखी जा सकती है.
बारिश और हीटवेव की वजह
जहां मूसलाधार बारिश परेशानी का सबब बन रही है वहीं हीटवेव भी मुश्किल बन कर सामने आ रही है. लेकिन दोनों ही के पीछे वजह एक ही है वो है “क्लाइमेट चेंज”. लगातार मौसम में हो रहे बदलाव से जहां ग्लेशियर पिघल रहे हैं वहीं पहाड़ों में भी अब गर्मी महसूस की जा रही है. चलिए जानते है मूसलाधार बारिश का क्लाइमेट चेंज से क्या है कनेक्शन?
भारी बारिश का क्लाइमेट चेंज से कनेक्शन
इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट के क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण के एक वरिष्ठ लेक्चरर फ्राइडेरिके ओटो ने बताया कि जब हम भारी बारिश की बात करते हैं, तो हमें क्लाइमेट चेंज की भी बात करनी होगी. ओट्टो ने जानकारी दी कि कैसे क्लाइमेट चेंज की वजह से दुनिया भर में इतनी ज्यादा बारिश हुई. उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर बारिश ज्यादा हो रही है क्योंकि गर्म वातावरण (Warm Atmosphere) ज्यादा नमी होल्ड कर सकता है. अगर लोग तेल, गैस और कोयला जलाना जारी रखेंगे, तो क्लाइमेट गर्म होता जाएगा और भारी बारिश होती रहेगी और बाढ़ में लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे.
वैज्ञानिक ने दी जानकारी
सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव और जलवायु वैज्ञानिक एम राजीवन ने दुबई की बारिश को क्लाइमेट चेंज का संकेत बताया. उन्होंने लिखा कि ग्लोबल वार्मिंग के साथ जब बारिश होती है तो भारी बारिश होती है. उन्होंने कहा कि गर्म वातावरण (Warm Atmosphere) ज्यादा नमी रखता है जो भारी बारिश के रूप में गिरता है.
हीटवेव से क्लाइमेट चेंज का कनेक्शन
वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव-प्रेरित क्लाइमेट चेंज के बिना पश्चिम अफ्रीका और साहेल में खतरनाक हीटवेव “असंभव” थी. भारत में हीटवेव की वजह की बात करें तो ग्लोबल वार्मिंग है, जो ईंधन (Fossil Fuels)जलाने, पेड़ों की कटाई और प्रदूषण, इंडस्ट्री, फैक्ट्री जैसी मानवीय गतिविधियों के चलते होती है. जिससे पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़त देखी जाती है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है.
गुरुवार को वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) ने एक रिपोर्ट सामने रखी जिसके मुताबिक अप्रैल की शुरुआत में अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में हीटवेव लोगों द्वारा क्लाइमेट चेंज की वजह से पैदा हुआ. पश्चिम अफ्रीकी देशों माली और बुर्किना फासो में 1 अप्रैल से 5 अप्रैल तक भयानक गर्मी महसूस की गई जिसमें 45 डिग्री सेल्सियस (113 डिग्री फारेनहाइट) से ऊपर तापमान बढ़ने से कई मौतें हुईं. रिपोर्ट में कहा गया कि इन पांच दिनों की गर्मी 200 साल में एक बार होने वाली घटना थी, लेकिन भविष्य में ये रुझान गर्मी बढ़ने के साथ जारी रहेंगे.
क्लाइमेट चेंज के लिए कदम
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को क्लाइमेट चेंज पर बड़ा कदम उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्लाइमेट चेंज जीवन के अधिकार की गारंटी को प्रभावित करता है. जिस के एक हफ्ते बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने एक और फैसला दिया, कोर्ट ने कहा कि देश के भविष्य पर क्लाइमेट चेंज का खतरनाक असर पड़ सकता है. कोर्ट ने कहा कि लोग अपने मूर्खता से जंगल को बर्बाद कर रहे हैं.