आपके अकाउंट में भी अगर आता है विदेश से पैसा तो यहां जान लें नियम? नहीं आएगा इनकम टैक्स से नोटिस

आज के समय में इंडिया दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां सबसे अधिक विदेश से पैसा आता है. मतलब ये कि विदेश में रहकर जॉब या बिजनेस से पैसा कमाकर अपने देश भेजने वालों की लिस्ट में इंडियन टॉप पर हैं. यूनाइटेड नेशंस के तहत काम करने वाली संस्था इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) ने वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट-2024 में बताया है कि विदेश में बसने वाले भारतीयों ने 2022 में 111 अरब डॉलर की राशि भारत वापस भेजी है, जिसे भारतीय रुपए में बदलें तो उसकी वैल्यू 9 लाख 22 हजार करोड़ होगी.
इतना ही नहीं भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने एक साल में 100 अरब डॉलर से अधिक का रेमिटेंस हासिल किया है. इससे पहले लंबे समय तक चीन इस मामले में नंबर-1 की पोजिशन पर बना रहा है, लेकिन वह भी कभी 100 अरब डॉलर के स्तर को पार नहीं कर पाया. अब यहां सवाल ये है कि जब इतना सारा पैसा इंडिया में आ रहा है तो फिर इसपर सरकार टैक्स भी वसूलती होगी.
ये है सरकारी नियम?
सबसे पहला सवाल, जिसको लेकर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि क्या नॉर्मल अकाउंट में पैसा मंगा सकते हैं या नहीं. तो उनके लिए बता दें कि यह बिल्कुल वैध है कि आप अपने खाते में विदेश से पैसा मंगा सकते हैं जो आपके सगे या संबंधी भेज रहे हों. ऐसा होता भी है क्योंकि कई लोगों को बुजुर्ग मां-बाप भारत में रहते हैं और उनकी विदेश में रहने वाली संतानें भारत के खाते में पैसे भेजती हैं. इस तरह के किसी भी पैसे पर टैक्स नहीं लगता. लेकिन इसका नियम है. अगर उस पैसे को किसी निवेश में न लगाएं तो टैक्स की कोई देनदारी नहीं बनती. अगर विदेश से आए उस पैसे से निवेश करें और उससे कमाई करें तो उस पर टैक्स लगेगा. यह टैक्स उसी व्यक्ति को देना होगा जिसके खाते में पैसे आएंगे.
फेमा का नियम भी जानना है जरूरी
भारत के किसी खाते में विदेश से जो पैसा आता है उसे इनवार्ड रेमिटेंस कहते हैं. इस तरह के पैसे के लेनदेन के लिए भारत में एक खास प्रावधान बना है जिसे फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट या FEMA कहते हैं. फेमा का नियम कहता है कि अगर विदेश से पैसा किसी भारत में किसी के रोजमर्रा के खर्चे के लिए आता है तो उस पर टैक्स का कोई नियम नहीं बनता. मान लें कि माता-पिता की वित्तीय जरूरत के लिए विदेश से उनका बेटा भारत के अकाउंट में पैसा भेजता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इतना ही नहीं, अगर विदेश से गिफ्ट, पढ़ाई-लिखाई, चिकित्सा खर्च, ट्रैवल का खर्च और डोनेशन के लिए पैसा आता है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है.
इतने रुपए से अधिक आने पर देना पड़ता है टैक्स
फेमा ने यह भी बताया है कि परिवार के किन सदस्यों को टैक्स छूट का लाभ मिल सकता है. यानी कि किन लोगों को विदेश से पैसा मिलने पर टैक्स नहीं देना होगा. विदेश से पैसा भेजने वाले की पीढ़ी का कोई मेंबर, परिवार के सदस्यों की पत्नी या पति, भाई और बहन, पति/पत्नी के भाई या बहन, पैसा भेजने वाले के माता-पिता के भाई या बहन टैक्स के दायरे में नहीं आएंगे. अगर इन रिश्तों से बाहर के किसी सदस्य को विदेश से पैसा मिलता है तो उसे टैक्स देना होगा. हालांकि इसका दायरा साल में 50,000 रुपये रखा गया है. इससे कम की राशि भारत में किसी खाते में मंगाते हैं तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आएगा.
कैसे मिलेगी छूट?
रिजर्व बैंक के मुताबिक, विदेश में रहने वाला व्यक्ति भारत में अपने माता-पिता के लिए दो तरह से पैसा भेज सकता है. इसमें रुपी ड्रॉइंग अरेंजमेंट और मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम शामिल हैं. पहले तरीके में इनवार्ड रेमिटेंस की कोई लिमिट नहीं रखी गई है, लेकिन विदेश से पैसा व्यक्तिगत खर्च के लिए मंगाया जाना चाहिए. एमटीएसएस में यह लिमिट 2500 डॉलर यानी लगभग 2 लाख रुपए का रखा गया है. भारत में रहने वाले परिवार के सदस्य एमटीएसएस के तहत साल में 30 रेमिटेंस मंगा सकता है. उस पर कोई टैक्स की देनदारी नहीं बनेगी.

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