चीन-जापान-दक्षिण कोरिया क्यों आए एक मंच पर? US की बढ़ सकती है टेंशन
चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की आज मुलाकात हुई. चार साल बाद चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के नेता एक साथ एक आज मंच पर आए. तीनों के बीच राजधानी सिओल में बैठक हुई जहां वैश्विक संकट के बीच व्यापार और सुरक्षा के मद्देनजर संबंध सुधारने पर जोर दिया गया.
मीडिया रपटों के मुताबिक कुल 6 क्षेत्रों में आम सहमति बनाने की कोशिश हुई है. अर्थव्यवस्था-व्यापार, विज्ञान और तकनीक, लोगों के बीच संवाद और स्वास्थ्य से लेकर इन देशों में बूढ़ी हो रही बड़ी आबादी पर तीनों देशों में बैठक हुई है. इस सिलसिले में एक संयुक्त बयान जारी करने की भी कोशिश हुई है.
FTA पर बनेगी बात?
यहां तक तो सबकुछ सामान्य और रुटीन खबर कही जाने वाली चीजें थीं लेकिन जापानी मीडिया का ये दावा कि तीनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बन सकती है, कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था. 2019 ही से इस हवाले से इन देशों के बीच बातचीत अटकी हुई है.
चीन-जापान-दक्षिण कोरिया के बीच संबंध तल्ख रहे हैं लेकिन पिछले कुछ बरसों में एक के बाद एक कई मुलाकात और बातचीत कर रिश्तों में जमी इस बर्फ को पिघलाने की कोशिश की गई है. इस संबंध में तीनों देश 16 दौर की बातचीत कर चुके हैं जिसका मकसद 2012 में शुरू हुए मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रुप देना है.
अमेरिका क्या टेंशन में?
जापान और दक्षिण कोरिया अमेरिका के सहयोगी हैं. चीन से अमेरिका की बढ़ती तल्खी के बीच इन दोनों देशों का चीन के साथ बैठना अमेरिका की चिंता बढ़ा सकता है. खासकर तब जब ताइवान के अस्तित्त्व के सवाल पर बीजिंग और वाशिंगटन में ठनी हुई है. चीन ताइवान पर अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं है. वहीं, ताइवान की स्वायत्ता को लेकर अमेरिका का ऐलान इस इलाके में कहीं से भी नहीं चाहेगा कि कोई देश चीन के साथ नजदीकियां बढ़ाए.
मगर स्थितियां बदल रही हैं. सोमवार को चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच त्रिपक्षीय बातचीत से पहले इन देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत भी हुई. इस बातचीत में दक्षिण कोरिया और चीन के बीच राजनयिक और सुरक्षा संवाद कायम करने और मुक्त व्यापार समझौता की बातचीत दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी. इसी तरह चीन जापान के बीच ताइवान के मसले पर भी बातचीत हुई.
उत्तर कोरिया की कहां से आई बात?
दक्षिण कोरिया ने चीन से आग्रह किया कि वह उत्तर कोरिया को लेकर एक रचनात्मक भूमिका निभाए. उत्तर कोरिया पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन किया है और अपने न्यूक्लियर और मिसाइल क्षमता को बेतहाशा बढ़ाया है. इससे उत्तर कोरिया के पड़ोसी खासकर दक्षिण कोरिया जैसे देश काफी चिंतित रहे हैं. सियोल में हुई बातचीत में भी नॉर्थ कोरिया का जिक्र छाया रहा.