Heat stroke and brain stroke: लू लगने से ब्रेन स्ट्रोक हुआ तो मर जाते हैं 50 फीसदी लोग, कोरोना में 2% था मौत का आंकड़ा

देश में भीषण गर्मी पड़ रही है. पेट भरने की मजबूरी में लोग तपती धूप में भी काम करने को मजबूर हैं. इससे लू लग रही है और लोग जान गंवा रहे हैं. बीते 48 घंटों में तो हालात बहुत खराब हो गए हैं और दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक में लू से मरने वालों का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है. लू लगने को मेडिकल की भाषा में हीट स्ट्रोक कहते हैं. यह तब होता है जब कोई व्यक्ति काफी देर तक तेज गर्मी में रहता है और इस दौरान उसके शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. अगर धूप में रहने के दौरान शरीर का टेंपरेचर 104 डिग्री फारेनाइट या इससे ज्यादा हो गया है तो इसको हीट स्ट्रोक कहते हैं.
लू लगना यानी हीट स्ट्रोक गर्मियों में मौत का अकेला कारण नहीं है. इस मौसम में लू लगने से ब्रेन स्ट्रोक भी आ जाता है. स्वीडन में 2021 में हुई स्टडी से पता चलता है कि स्ट्रोक में मृत्यु दर 50 से 60 फीसदी है, यानी स्ट्रोक से पीड़ित 50 से 60 फीसदी लोगोंं की मौत हो जाती है. जबकि कोरोना होने पर 2 प्रतिशत लोग जान गंवाते थे. इस आंकड़े से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक कितना खतरनाक है. आइए अब ये जान लेते हैं कि लू लगने से ब्रेन स्ट्रोक कैसे आ जाता है?
यूपी में हीटवेट से 44 लोगों की मौत.
तेज गर्मी से कैसे हो जाता है ब्रेन स्ट्रोक?
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में न्यूरोसर्जरी विभाग में प्रोफेसर डॉ. दलजीत सिंह बताते हैं कि कुछ मरीजों में लू लगने से ब्रेन स्ट्रोक भी आ जाता है. ऐसा डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी के कारण होता है. पानी की कमी के कारण इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बिगड़ जाता है. जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं रहता है तो ब्रेन में मौजूद ब्लड ब्रेन बैरियर के फंक्शन बिगड़ जाते हैं. इससे खून का फ्लो सही नहीं रहता और खून गाढ़ा होने लगता है. इससे दिमाग में खून के थक्के बनने लगते है. इन थक्कों की वजह से दिमाग में खून की सप्लाई सही तरीके से नहीं हो पाती. ब्लड सर्कुलेशन में बाधा आने और खून के थक्के बनने से स्ट्रोक आ जाता है. अगर स्ट्रोक आने पर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो जाती है.
उत्तर भारत में लू का कहर.
ज्यादा तापमान कंट्रोल नहीं कर पाता दिमाग
सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि तेज गर्मी का असर दिमाग पर पड़ता है. जब गर्मी बढ़ती है जो ब्रेन शरीर को कमांड देता है और शरीर खुद को ठंडा करता है ( पसीना निकालकर) लेकिन जब बाहर बहुत तेज गर्मी हो जाती है तो शरीर का कूलिंग सिस्टम फेल हो जाता है. इसका असर दिमाग पर पड़ता है. दिमाग बाहर के बढ़े तापमान के हिसाब से शरीर के टेंपरेटर को कंट्रोल नहीं कर पाता है.
तेज गर्मी और शरीर का तापमान बढ़ने की की वजह से ब्रेन के सेल्स डैमेज होने लगते हैं. ब्रेन में मौजूद जो सेंसर होते हैं वह भी काम करना बंद कर देते हैं. इससे शरीर का रेस्पिरेटरी सिस्टम ( सांस लेने की प्रक्रिया) और हार्ट सिस्टम फेल होने लगता है. ब्रेन में ऑक्सीजन और ब्लड की सही तरीके से सप्लाई नहीं हो पाती है. सेल्स डैमेज हो जाते हैं. इससे स्ट्रोक आता है.
दिल्ली में चिलचिलाती धूप से बचने के लिए चेहरे ढके लोग.
ब्रेन स्ट्रोक इतना खतरनाक क्यों है?
डॉ दलजीत बताते हैं कि स्ट्रोक आने के शुरुआती लक्षण पहचान लें तो ठीक है, लेकिन अगर इनकी पहचान नहीं हो पाई और स्ट्रोक आ गया है तो यह जानलेवा बन जाता है. हीट स्ट्रोक से ब्रेन स्ट्रोक आने की प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है. कई मामलों में मरीज को इसका पता नहीं चल पाता है और स्ट्रोक आ जाता है. ब्रेन स्ट्रोक के मामले में 2 से 3 घंटे का गोल्डन पीरियड होता है. अगर इतने समय में इलाज मिल गया तो ठीक नहीं तो मरीज के बचने की संभावना कम ही रहती है. इसी वजह से ब्रेन स्ट्रोक इतना खतरनाक होता है.
ब्रेन स्ट्रोक वाले 50 फीसदी मरीज मौके पर ही दम तोड़ देते हैं. कुछ मरीजों मे यह आंकड़ा इससे ज्यादा भी हो सकता है. जो लोग अस्वस्थ जीवनशैली जीते हैं और जिनमें डायबिटीज कोलेस्ट्रॉल और हाई बीपी की समस्या है उनको गर्मी में हीट स्ट्रोक से ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है.
क्या हैं ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
सिर में अचानक तेज दर्द
चक्कर आना
तेज धूप में बेहोशी
धुंधला दिखना
बचाव कैसे करें
दोपहर के समय बाहर जाने से बचें
सिर को कवर रखें
हर एक घंटे में पानी पीते रहें
सिर में दर्द या चक्कर आ रहे हैं तो तुरंत अस्पताल जाएं.

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