विराट कोहली के साथ 7.5 लाख जीते, एक वीडियो देख बदला करियर, IPS रैंक की ये ऑफिसर Paris Olympics में जीत सकती है गोल्ड

विराट कोहली को तो दुनिया जानती है. लेकिन, क्या आप IPS रैंक की उस पुलिस अधिकारी के बारे में जानते हैं, जो पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल की एक बड़ी उम्मीद है? वो हैं मणिपुर पुलिस में एडिशनल SP के पद पर तैनात भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू . टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने के बाद मीराबाई चानू को ये नौकरी मिली थी. अब सामने पेरिस ओलंपिक है, जहां वेटलिफ्टिंग के खेल में मीराबाई भारत की इकलौती उम्मीद हैं. 30 साल की भारतीय वेटलिफ्टर के लिए टोक्यो में जीती चांदी को सोने में बदलने का काम पेरिस में मुश्किल होगा, पर नामुमकिन नहीं. जैसा कि विराट कोहली ने भी कहा था कि उम्मीदों को जीत में बदलने का हुनर मीराबाई चानू को खूब आता है.
मीराबाई चानू पेरिस में अपने तीसरे ओलंपिक का हिस्सा बनेंगी. रियो 2016 में अपने पहले ओलंपिक में उन्हें निराशा हाथ लगी थी, जिससे आहत होकर उन्होंने खेल छोड़ने तक का मन बना लिया था. लेकिन, फिर उन्होंने हिम्मत से काम लिया और खुद को टोक्यो 2020 में अपने दूसरे ओलंपिक के लिए तैयार किया. इसके लिए उन्हें खाने-पीने की चटपटी चीजों से लेकर बहन की शादी तक जैसी कई चीजों का बलिदान देना पड़ा. टोक्यो में उनके इस पक्के इरादे की जीत हुई. यहां मिली कामयाबी के साथ मीराबाई चानू ओलंपिक मेडल जीतने वाली कर्णम मल्लेश्वरी के बाद भारत की दूसरी वेटलिफ्टर बनीं. इसके अलावा ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु के बाद वो दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं.

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एक वीडियो देख मीराबाई ने बदला करियर
हालांकि, मीराबाई चानू आज दुनिया की एक कामयाब वेटलिफ्टर नहीं बनती, अगर उन्होंने भारत की पहली महिला वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी की वीडियो क्लिप नहीं देखी होती. ये बात तब की है जब मीराबाई सिर्फ 12 साल की थीं. इम्फाल के एक गांव नोंगपोक काकचिंग में एक सामान्य परिवार में जन्मी छह भाई-बहनों में सबसे छोटी चानू पहले एक तीरंदाज बनना चाहती थीं. इसी खेल की ट्रेनिंग लेने के इरादे से वो इम्फाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण यानी SAI के सेंटर भी पहुंची थीं. लेकिन, वहां उन्हें इस खेल की ट्रेनिंग देने वाला कोई नहीं मिला. इससे निराश मीराबाई ने कुछ दिन बाद कुंजरानी देवी की वीडियो क्लिप देखी और उसी दिन से वेटलिफ्टर बनने की ठान ली. उन्होंने झट से एकेडमी जॉइन कर अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी.
कभी ट्रक से लिफ्ट तो कभी साइकिल से, मीराबाई का संघर्ष
अब करना क्या है ये तय कर लिया था लेकिन राह में अड़चनें अब भी थीं. और वो थी मीराबाई के घर से उनके एकेडमी की दूरी, जो कि 20 किलोमीटर थी. हालांकि, घर से कोचिंग की ये दूरी मीराबाई के अटल इरादे और बुलंद हौसले को तोड़ नहीं पाई. वो कभी ट्रक में तो कभी साइकिल पर लिफ्ट लेकर एकेडमी तक पहुंच ही जाती थीं.
12 साल की मीराबाई के पास तब लिफ्ट करने को जरूरी उपकरण नहीं होते थे, तो वो बांस या दूसरी लकड़ियों के गट्ठर उठाकर ही खुद की प्रैक्टिस किया करती थीं. एक बार उम्र में उनसे 4 साल बड़ा भाई जलाने वाली लकड़ी का गट्ठर उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन, वो इतना भारी था कि उससे उठ नहीं पा रहा था. ऐसे में उसे उठाने की एक कोशिश मीराबाई ने की और वो कामयाब रहीं. उसी दिन मीराबाई को अपनी पावर का सही अंदाजा हुआ.
उपलब्धियों से भरा मीराबाई चानू का करियर
8 अगस्त 1994 को जन्मी मीराबाई चानू इंटरनेशनल लेवल पर पहली बार चर्चा में तब आईं जब उन्होंने साल 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद रियो ओलंपिक की नाकामी से इरादों को ठेस जरूर लगी. लेकिन, साल 2017 में वर्ल्ड चैंपियन और 2018 में कॉमनवेल्थ चैंपियन बनने के बाद उनके हौसले टोक्यो ओलंपिक के लिए बुलंद हो गए. टोक्यो में भारत की चांदी कराने के बाद मीराबाई 2022 में फिर से कॉमनवेल्थ चैंपियन बनीं. हालांकि, 2022 वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्हें गोल्ड की जगह सिल्वर से संतोष करना पड़ा.

विराट कोहली के साथ 7.5 लाख जीते
करियर की इन बड़ी कामयाबियों के बीच मीराबाई चानू भारत की खेल-रत्न भी बनीं. साल 2018 में उन्हें विराट कोहली के साथ संयुक्त तौर पर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया. भारत के इस सबसे बड़े खेल सम्मान के तहत उन्हें विराट कोहली के साथ पुरस्कार राशि के तौर पर 7.5 लाख रुपये भी मिले. साल 2018 में ही मीराबाई चानू को पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया.

100 फीसद परफॉर्मेन्स का इरादा, मेडल होगा पक्का!
मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के लिए महिलाओं के 49 KG कैटेगरी में 202 KG वजन उठाया था. इसमें स्नैच में उन्होंने 87 किलो और क्लीन एंड जर्क में 115 किलो भार उठाया था. मीराबाई चानू को चांदी के ओलंपिक मेडल को सोने के रंग में रंगना है तो पेरिस में भार को बढ़ाना होगा. क्लीन एंड जर्क में मीराबाई 2021 एशियन चैंपियनशिप में 119 किलो वजन उठा चुकी हैं, जो कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इसके अलावा स्नैच में भी वो टोक्यो में उठाए वजन से ज्यादा भार उठा चुकी है.
पेरिस ओलंपिक से पहले इंजरी मीराबाई की तैयारियों में रुकावट बनी है, पर उसे उन्होंने अपनी कमजोरी नहीं बनने दी है. चोट से उबरने के 6 महीने बाद इस साल मार्च में थाईलैंड में हुए विश्व कप में 184 किलो वजन उठाकर मीराबाई ने पेरिस ओलंपिक का टिकट कटाया है. और जैसा कि उन्होंने कहा है कि अगर पेरिस में उन्होंने अपना 100 फीसद दे दिया तो फिर भारत के लिए उनके हाथों एक और ओलंपिक मेडल पक्का है.

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