किसी और को फैसला करने का हक नहीं है… विवादों के बीच ट्रेनी IAS पूजा खेडकर का बयान

महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर विवादों में घिरी हुई हैं. उनकी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. वो उस वक्त चर्चा में आईं जब पुणे में पोस्टिंग के दौरान कथित तौर पर अलग केबिन और स्टाफ की मांग की. इसके बाद उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम जिले में कर दिया गया. उन पर फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट के जरिए आईएएस में जगह हासिल करने का आरोप है. केंद्र सरकार इसकी जांच करवा रही है.
पूजा का कहना है, मैं कमेटी के सामने अपना पक्ष रखूंगी. कमेटी जो भी निर्णय लेगी, वो सबको मान्य होगा. ट्रेनी अधिकारी के तौर पर मेरी जिम्मेदारी काम करना और सीखना है. मैं यही कर रही हूं. अभी मैं इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर सकती. सरकार की ओर से गठित की गई है कमेटी फैसला लेगी. इसके अलावा किसी और को फैसला करने का हक नहीं है. संविधान कहता है कि जब तक दोष सिद्ध नहीं हो जाता, व्यक्ति निर्दोष होता है.
हर कोई जानता है कि क्या चल रहा है
पूजा खेडकर ने कहा कि कमेटी का फैसला आने पर हर बात सार्वजनिक होगी. चल रही जांच के बारे में अभी मुझे कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है. क्या आपको निशाना बनाया जा रहा है? इस सवाल के जवाब में पूजा ने कहा कि हर कोई जानता है कि क्या चल रहा है. उधर,पूजा का विकलांगता प्रमाण पत्र का आवेदन औंध जिला अस्पताल ने खारिज कर दिया है.
कैसे बना विकलांगता प्रमाण पत्र
पूजा खेडकर को जिस दस्तावेज के आधार पर विकलांगता प्रमाण पत्र दिया गया, उसे लेकर डॉक्टर और जिला कलेक्टर के बीच बैठक चल रही है. उधर, ये भी बात सामने आई है कि पूजा जिस ऑडी कार का इस्तेमाल कर रही थीं, उसके जरिए 21 बार ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया गया था.
पुलिस ने ट्रैफिक नियम तोड़ने पर कार मालिक पर 27 हजार 400 रुपये का जुर्माना लगाया. इस जुर्माने को अब कार मालिक ने भर दिया है. कार पूजा नहीं, बल्कि किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड है. ऑडी कार एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है. नोटिस में कंपनी को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए गाड़ी पेश करने के लिए कहा गया था.

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