नोएडा का चालान क्या दिल्ली में निपट सकता है? लोक अदालत और नेशनल लोक अदालत के बीच क्या है अंतर
लोक अदालत को लेकर अक्सर लोगों में कन्फ्यूजन होता है कि किसी एक जिले में होने वाला चालान माफ करवाने के लिए क्या दूसरे जिले/तहसील की लोक अदालत में शामिल हुआ जा सकता है? या फिर लोक अदालत और नेशनल लोक अदालत के बीच क्या अंतर होता है? आइए जानते हैं इन सवालों का जवाब.
अगर आपका चालान नोएडा में काटा गया है तो इसका निपटान दिल्ली या कहीं और की लोक अदालत में नहीं हो सकता है. इसके निपटारे के लिए आपको नोएडा लोक अदालत ही जाना होगा. कुलमिलाकर जिस जिले में चालान काटा जाता है, उसका निपटारा भी वहीं की लोक अदालत में होगा. इसके अलावा आप ई-चालान भी भर सकते हैं.
लोकल लोक अदालत और नेशनल लोक अदालत में क्या है अंतर?
लोक अदालत (Lok Adalat) और नेशनल लोक अदालत (National Lok Adalat) दोनों इंडियन जूडिशियल सिस्टम में समस्या निपटाने के अल्टरनेटिव विकल्प हैं. ये दोनों कानूनी प्रक्रियाओं को आसान बनाने और कोर्ट पर बोझ कम करने के उद्देश्य से बनाए गए हैं. हालांकि, इनमें कुछ खास अंतर हैं.
लोक अदालतें अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिजोल्यूशन (ADR) सिस्टम का हिस्सा हैं, जहां निपटारा जज, वकीलों और सोशल वर्कर्स की मदद से किया जाता है. इसका उद्देश्य छोटे-मोटे मामलों का जल्द और सही समाधान करना, जिसमें चालान के अलावा पारिवारिक विवाद, छोटे कर्ज, दुर्घटना मुआवजा जैसे मामले शामिल होते हैं.
नेशनल लोक अदालतें देशव्यापी स्तर पर आयोजित की जाती हैं और पूरे भारत में एक ही दिन पर कई लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है. इसका उद्देश्य एक साथ ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटारा करना है, जिससे कोर्ट का बोझ कम हो सके और न्याय प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके.
आयोजन और संचालन
लोक अदालत नियमित अंतराल पर जिला और तालुका स्तर पर आयोजित की जाती हैं. इनका आयोजन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (State Legal Services Authority) और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority) द्वारा किया जाता है. इन मामलों का निपटारा वादकारी पक्षों की सहमति से किया जाता है, और यहां पर जज, वकील और सोशल वर्कर मौजूद होते हैं.
नेशनल लोक अदालत एक ही दिन पर पूरे देश में आयोजित की जाती हैं, आमतौर पर महीने में एक बार या हर तिमाही में एक बार. इनका संचालन सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की गाइडलाइन्स के अनुसार किया जाता है. इसमें अधिक संख्या में मामलों का निपटारा करने का टारगेट रखा जाता है.
लोक अदालत और नेशनल लोक अदालत के मामलों के प्रकार
लोक अदालत छोटे-मोटे सिविल और आपराधिक मामलों का निपटारा करती है, जिनमें पारिवारिक विवाद, छोटे कर्ज, सड़क दुर्घटना का मुआवजा, बिजली और पानी बिल संबंधी मामले शामिल हैं. वहीं नेशनल लोक अदालत में अलग-अलग तरह के मामले शामिल होते हैं, जैसे कि बैंकिंग मामले, बीमा मामले, राजस्व मामले और दूसरे सिविल और आपराधिक मामले, जिनका निपटारा बड़े पैमाने पर किया जाता है.
निपटारे का तरीका और असर
लोक अदालत में मामलों का निपटारा पार्टियों की सहमति से होता है और इसका फैसला अंतिम और बाध्यकारी होता है. इसके फैसले को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती, जिससे तेज और स्थाई समाधान मिलता है. वहीं नेशनल लोक अदालत में अधिक संख्या में मामलों का निपटारा एक ही दिन में होता है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम होता है. यहां निपटारे के फैसले भी अंतिम और बाध्यकारी होते हैं और उन्हें किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.
लोक अदालत और नेशनल लोक अदालत दोनों ही मामलों को सुलझाने के लिए प्रभावी तरीके हैं, लेकिन उनके आयोजन, संचालन और मामलों के प्रकार में अंतर है. लोक अदालतें रेगुलर समय अंतराल पर जिला और तालुका स्तर पर आयोजित होती हैं, जबकि नेशनल लोक अदालतें देशव्यापी स्तर पर एक ही दिन में आयोजित होती हैं.