बलरामपुर में 35 हाथियों के दल ने आवासीय स्कूल में मचाया आतंक, छात्राओं और स्टाफ में दहशत

छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद को कम करने के लिए बीते 20 साल में कई योजनाएं बनी, लेकिन लोगों को योजना का लाभ नहीं मिला. हर नई सरकार में नई योजना पर काम हुआ, पैसे भी खर्च हो गए, लेकिन इतने सालों में बलरामपुर जिले में हाथियों से नुकसान कम होने के बजाए बढ़ते ही चले गए.

बाद में अफसरों ने योजनाओं को कमजोर बता कर नई प्लानिंग कर ली, लेकिन इन सब के पीछे न हाथी सुरक्षित हैं और न आम आदमी सुरक्षित हैं.

बीते मंगलवार (5 मार्च) की रात करीब 1 बजे 35 हाथियों के झुंड ने नगर पंचायत वाड्रफनगर के कस्तुरबा गांधी बालिका अवासीय विद्यालय का आहाता तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की. फिलहाल उनके मनसूबे पर पानी फेरते हुए वहां मौजूद वन विभाग की टीम ने उन्हें दूसरी तरफ खदेड़ दिया. इस दौरान अवासीय विद्यालय में रहने वाली छात्राओं और स्टाफ में दहशत का माहौल था.

हुल्ला पार्टी भी नाकाम

कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय जंगल के बेहद करीब बना हुआ है. साथ ही जंगल की तरफ रोशनी की व्यवस्था नहीं होने के कारण हाथियों का दल अवासीय विद्यालय में पहुंच गया और अहाते को तोड़ दिया. हाथियों को भगाने के लिए हुल्ला पार्टी भी कारगर साबित नहीं हो सकी है.

हर साल इस दल के माध्यम से ग्रामीणों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है. हाथियों के उत्पात की सूचना मिलने पर उन्हें मौके पर भेजा जाता है. उसके बाद भी हाथी एक ही क्षेत्र में जमे रहते हैं. खासकर जब हाथियों की संख्या तीन दर्जन से अधिक हो जाती है, तब ये हुल्ला पार्टी बेबस नजर आते हैं.

सोलर फेंसिंग का भी लाभ नहीं

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर परिक्षेत्र के हाथी प्रभावित कुछ गांवों में सोलर पावर फेसिंग से सुरक्षित करने के लिए तार बिछाए गए थे, लेकिन यह जितने गांव में काम होना था, वहां पूरा नहीं हो सका है. खासकर हाथियों के रूट में फेसिंग काम नहीं किया गया है, लेकिन जहां लगाए भी गए हैं वहां यह इतना कारगर साबित नहीं हुआ.

एनाइडर डिवाइस का भी नहीं मिल रहा फायदा

बताया जा रहा है कि एनाइडर डिवाइस हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया है. हाथियों के करीब आते ही ग्रामीणों को अलर्ट करने के उद्देश्य से इस डिवाइस को कुछ गावों में लगाया गया है. यह ऑनलाइन तरीके से काम करता है. वन विभाग हाथियों के लोकेशन के हिसाब से अलर्ट जारी करते हैं. इस योजना का लाभ भी सौ फीसदी नहीं मिल पा रहा है.

आवासीय विद्यालय की अधीक्षिका ने इस संबंध में कहा कि जंगल की तरफ पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करने के लिए शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना की दोबारा न हो सके. उन्होंने बताया कि इस आकस्मिक घटना के कारण दसवीं की परीक्षा दे रही छात्राएं भी दहशत से पढ़ाई नहीं कर पाईं.

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