एक बोरा नोट में एक थैली सामान… सालभर में चार गुना गिर चुकी है करेंसी, किस देश का हुआ है ऐसा बुरा हाल?

अर्जेंटीना की गिनती कभी दुनिया के सबसे अमीर देशों में होती थी। इस देश की अमीरी का अंदाजा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि As rich as an Argentine जैसे मुहावरे चलन में थे। 19वीं शताब्दी के अंत में और 20वीं सदी की शुरुआत में पूरे यूरोप से लोग अर्जेंटीना आए। लेकिन आज अर्जेंटीना की हालत यह है कि लोग एक बोरा भर कर नोट ले जाते हैं और एक थैली में सामान लाते हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा महंगाई इसी देश में है। देश में महंगाई की दर 276% है। देश की करेंसी पेसो की कीमत डॉलर के मुकाबले पिछले एक साल में चार गुना से ज्यादा गिर चुकी है। आज एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 850 पेसो है। अगर भारतीय रुपये में देखा जाए तो एक रुपया अर्जेंटीना के 10.26 पेसो के बराबर है। देश के पास कैश रिजर्व नहीं है, सरकार पर भारी कर्ज है जबकि 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रह रही है।

धुर दक्षिणपंथी नेता जेवियर मिलेई की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले साल कमान संभाली थी। इसके कुछ ही दिन बाद दिसंबर में सरकार ने देश को कई दशकों से जारी गंभीर आर्थिक संकट से उबारने के लिए बड़ी घोषणा की थी। वित्त मंत्री लुई कैपूतो ने कहा था कि देश की करेंसी पेसो का 50% से अधिक अवमूल्यन होगा। इससे एक डॉलर की कीमत एक झटके में 800 पेसो से अधिक हो गई। मिलेई ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में कहा था कि देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने होंगे और इसकी शुरुआत पेसो के अवमूल्यन से होगी। सरकार ने साथ ही सरकार ने अपने खर्च में भी भारी कटौती की घोषणा की थी। इनमें फ्यूल और ट्रांसपोर्ट सब्सिडी को खत्म करने शामिल था। कुछ बड़े सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स और एडवरटाइजिंग पर खर्च भी रोक दिया गया।

क्यों हुई ऐसी हालत

लेकिन इन उपायों के बावजूद देश में महंगाई और करेंसी में गिरावट जारी रही। देश में महंगाई की दर 276% पहुंच गई है जो कुछ महीने पहले 150 फीसदी थी। साल 2019 से ही अर्जेंटीना ने अपनी करेंसी को सख्ती से कंट्रोल करके इसे कृत्रिम रूप से मजबूत बना रखा था। इससे इनफॉर्मल करेंसी मार्केट में यूएस डॉलर की डिमांड बढ़ी और पेसो ऑफिशियल लेवल से काफी निचले रेट पर पहुंच गई। पांच साल पहले एक डॉलर 40 पेसो के बराबर था। एक साल पहले यह 192 पेसो पर था लेकिन अब 850 पेसो पहुंच गई। हालत यह हो गई है कि अमीर लोगों के लिए भी पेट भरना मुश्किल हो रहा है। मिलेई ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहले स्पीच में कहा था, ‘मैंने जिन सुधारों का प्रस्ताव रखा है, उनके साथ हमें अमेरिका के स्तर पर पहुंचने में 35 साल लगेंगे।’

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