चार साल बाद JNU में छात्र संघ का चुनाव, जानिए किनके बीच है मुकाबला?
प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में चार साल बाद छात्र संघ का चुनाव होने जा रहा. ये चुनाव वैसे तो कई पदों के लिए कराया जाता है पर हर बार सबसे ज्यादा चर्चा सेंट्रल पैनल (केंद्रीय पदों) के उम्मीदवारों को लेकर होती है. इसके अंतर्गत मुख्य तौर पर अध्यक्ष (प्रेसिडेंट), उपाध्यक्ष (वाइस प्रेसिडेंट), महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) और संयुक्त सचिव (जॉइंट सेक्रेटरी) चुने जाते हैं.
हाल के वर्षों में जेएनयू की छात्र राजनीति में दो ध्रुव उभरे हैं. एक तरफ वाम दलों से जुड़े छात्र संगठन और उनके सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP). वाम छात्र संगठन जो कभी आमने-सामने हुआ करते थे, अब संयुक्त तौर पर चुनाव लड़ने लगे हैं और वे खुद को संयुक्त वाम गठबंधन (United Left Alliance) के नाम से पुकारते हैं.
ये गठबंधन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) जैसे छात्र संगठनों का साझा मंच है. इस मंच का असल मुकाबला एबीवीपी से होना है.
आखिरी मर्तबा हुए 2019 वाले चुनाव में लेफ्ट पैनल से जुड़े छात्र संगठनों ने लगातार चौथी बार क्लीन स्वीप किया था. वहीं, एबीवीपी के उम्मीदवार सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे थे.
अध्यक्ष पद पर कौन आमने-सामने
जेएनयू छात्र संघ चुनाव (जेएनयूएसयू) में प्रेसिडेंशियल डिबेट (अध्यक्ष पद के लिए होने वाला चुनावी भाषण) भी आकर्षण का एक केंद्र रहता है. ये डिबेट इस बार बुधवार, 20 मार्च को होनी है जबकि 22 मार्च, शुक्रवार को वोटिंग और 24 मार्च, रविवार को मतगणना होगी.
डिबेट से पहले जेएनयू की चुनाव समिति ने केंद्रीय पैनल के चार पदों के लिए उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है. संयुक्त वाम गठबंंधन ने अध्यक्ष पद के लिए धनंजय को मैदान में उतारा है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उमेश चंद्र अजमीरा पर दांव लगाया है.
कौन है AISA से जुड़े धनंजय?
बिहार के गया के रहने वाले धनंजय फिलहाल जेएनयू के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स में पीएचडी के छात्र हैं. शुरुआती जीवन में जातिगत भेदभाव का सामना करने वाले धनंजय की ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है. धनंजय ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) से जुड़े हुए हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान एफवाईयूपी प्रोग्राम (ग्रेजुएशन के लिए लाए गए चार साल के पाठ्यक्रम)) के खिलाफ विरोध करने वाले छात्रों में शामिल रहे हैं.
कौन हैं ABVP से जुड़े अजमीरा
तेलंगाना के वारंगल जिले के रहने वाले उमेश चंद्र अजमीरा एबीवीपी की तरफ से अध्यक्ष पद के दावेदार हैं. वह आदिवासी बंजारा (अनुसूचित जनजाति) समुदाय की पृष्ठभूमि से आते हैं और जेएनयू में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में शोधार्थी हैं.
मीडिया रपटों के मुताबिक नवोदय विद्यालय से शुरुआती पढ़ाई करने वाले अजमीरा का परिवार नक्सल हमलों का शिकार रहा. 1997 में उमेश के पिता सीतारमन नायक अजमीरा की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. उमेश की माता इस ट्रॉमा को नहीं झेल पाईं और बाद में उनका भी निधन हो गया.
अध्यक्ष के अलावा और उम्मीदवार
ये तो हुई अध्यक्ष पद की बात. अब आते हैं और दूसरे पदों पर.
वामपंथी छात्र संगठनों ने संयुक्त तौर पर अविजीत घोष को उपाध्यक्ष के लिए खड़ा किया है. अविजीत का संबंध ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ से है.
‘डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन’ के तहत छात्र राजनीति करने वाली स्वाति सिंह महासचिव के पद पर चुनाव लड़ रहीं हैं. वहीं, ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन’ के साजिद संयुक्त सचिव के पद पर दावेदारी ठोक रहे हैं.
यहां तक तो लेफ्ट संगठनों का जिक्र हो गया. अब बात एबीवीपी की.
एबीवीपी की तरफ से दीपिका शर्मा उपाध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में हैं तोअर्जुन आनंद जनरल सेक्रेटरी और गोविंद डांगी जॉइंट सेक्रेटरी पद पर चुनाव लड़ रहे हैं.
दीपिका शर्मा स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज में शोधार्थी हैं जबकि अर्जुन आनंद स्पेशल सेंटर फॉर नॉर्थ ईस्ट स्टडीज में शोधार्थी हैं. अगर गोविन्द डांगी की बात की जाए तो वह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में शोधार्थी हैं.
2019 का चुनाव और परिणाम
आखिरी दफा साल 2019 में जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ चुनाव आयोजित हुआ था. इसके बाद लगातार कोविड-19 महामारी और दूसरे वुजूहात का हवाला देते हुए जेएनयू ने चुनाव नहीं कराया.
साढ़े चार साल पहले सितंबर महीने में हुए चुनाव में कुल 67.9 फीसदी वोट पड़े थे. यह 2012 के बाद सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत था. कुल 5 हजार 762 के करीब छात्रों ने वोट डाला था.
चुनाव परिणामों में स्टूडेंट्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया की आइशी घोष अध्यक्ष पद पर चुन कर आईं थीं. आइशी घोष को 2 हजार 313 वोट मिले थे. आइशी ने एबीवीपी के मनीष जांगिड़ को 1 हजार से भी ज्यादा वोट से हराया था जिन्हें 1,128 वोट हासिल हुए थे.
अगर अध्यक्ष पद के अलावा केंद्रीय पैनल के और पदों की बात करें तो आईसा के सतीश चंद्र यादव महासचिव, डीएसएफ के साकेत मून उपाध्यक्ष और एआईएसएफ के मोहम्मद दानिश संयुक्त सचिव चुने गए थे. ये सभी उम्मीदवार संयुक्त तौर पर लेफ्ट से जुड़े छात्र संगठनों के बैनर तले चुनाव में खड़े थे.