गजब! यहां एयरपोर्ट के रनवे पर बनी है दो लोगों की कब्र, अजीब है इसके पीछे की वजह

ये तो आप जानते ही होंगे कि एयरपोर्ट बनाने के लिए कितनी जमीन की जरूरत पड़ती है. इसीलिए एयरपोर्ट वैसे ही जगह पर बनाया जाता है, जहां पर्याप्त मात्रा में खाली जमीनें हों और अगर वो जमीन सरकार की नहीं है तो फिर उन जमीनों को सरकार लोगों से खरीदती है यानी उसके बाद लोगों का उस जमीन पर कोई अधिकार नहीं रह जाता. फिर सरकार उस जमीन पर जो चाहे, वो कर सकती है, पर जमीन से ही जुड़ा आजकल एक ऐसा मामला चर्चा में है, जिसने लोगों को भी हैरान कर दिया है.

दरअसल, अमेरिका के सवाना नामक शहर में एक एयरपोर्ट है, जिसका नाम ‘सवाना हिल्टन हेड हवाई अड्डा’ है. इस एयरपोर्ट के रनवे पर दो आयताकार आकृतियां दिखाई देती हैं, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं कि असल में वो आकृतियां क्यों बनाई गई हैं. लैडबाइबल की रिपोर्ट के मुताबिक, ये अजीबोगरीब आयताकार आकृतियां असल में दो कब्रें हैं, जो 10 और 28 नंबर रनवे के किनारे पर बनी हुई हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर रनवे पर कब्रें क्यों बनी हुई हैं, तो आपको बता दें कि इसके पीछे की थोड़ी अजीब भी है और दिलचस्प भी.

आखिर किसकी है ये कब्र?
असल में ये हवाई अड्डा जिस जमीन पर बना है, वो जमीन पहले कैथरीन और रिचर्ड डॉटसन की थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जोड़े का जन्म साल 1779 में हुआ था. साल 1877 में कैथरीन और उसके सात साल बाद रिचर्ड की मौत से पहले अपनी 50 साल की शादी के दौरान इस जोड़े ने चेरोकी हिल्स के नाम से जानी जाने वाली इस जमीन पर खेती की थी. फिर उनके मरने के बाद उन्हें भी उसी खेत की जमीन में दफना दिया गया था. फिर सालों बाद जब द्वितीय विश्व युद्ध होने की कगार पर था, उस समय सेना को अपने बी-24 ‘लिबरेटर्स’ और बी-17 ‘फ्लाइंग फोर्ट्रेस’ को उतारने के लिए एक जगह की जरूरत थी और वो जगह कब्रिस्तान के ठीक ऊपर थी.

क्यों कब्रों को नहीं हटाया गया?
रनवे बनाने के लिए सेना ने कब्रिस्तान के लगभग सभी कब्रों को बोनावेंचर कब्रिस्तान में शिफ्ट कर दिया, लेकिन कैथरीन, रिचर्ड डॉटसन और उनके कुछ रिश्तेदारों की कब्रों को वहीं छोड़ दिया गया, क्योंकि उनके वंशज उनकी कब्रों को दूसरी जगह शिफ्ट करने को लेकर राजी नहीं हुए. उनका मानना ​​था कि कैथरीन और रिचर्ड उसी जमीन पर हमेशा-हमेशा रहना चाहेंगे, जिस पर उन्होंने दशकों तक मेहनत की है, खेती की है. ऐसे में उनकी कब्रों के ऊपर रनवे बनाने के अलावा सेना के पास और कोई विकल्प नहीं बचा था. तब से लेकर अब तक इस एयरपोर्ट को इसी खास वजह से जाना जाता है.

 

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