अमेरिका और आधे यूरोप में तबाही भरा तूफान ला सकती है पंख फड़फड़ाती तितली! ‘बटरफ्लाई इफेक्ट’ का दिलचस्प राज़

1960 के दशक का दौर था. अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT) के एक कमरे में मौसम बनाया जा रहा था. चमकता सूरज, तेज हवाएं, यहां तक घनघोर तूफान भी. सब बनाए जा रहे थे. एक कमरे में या कहें एक कमरे में रखे Royal McBee कंप्यूटर में. ये कमरा था एडवर्ड लॉरेंज का, जिन्होंने अपने कंप्यूटर में खुद का मौसम बनाया था. इसमें क्या खास बात है? आज के हिसाब से शायद ये बड़ी बात न लगे लेकिन उस दौर में ये वहां के साइंटिस्ट्स के लिए किसी अजूबे से कम नहीं था. 12 पैमानों पर लॉरेंज बादल, धुंध और कोहरा सब दिखा रहे थे. जिसका वो रोज प्रिंट लेते थे ताकि समझ सकें मौसम कैसे काम करता है. फिर एक दिन वो कंप्यूटर में एक नंबर गलत डालकर कॉफी लेने चले गए. उसके बाद जो हुआ उसने विज्ञान की एक नई राह बना डाली.

Chaos theory की कहानी

साल 2013 में एक फिल्म आई जिसका नाम था ‘Enemy.’ फिल्म की शुरुआत में एक लाइन लिखी आती है, ‘Chaos is order yet undeciphered.’’ अर्थ समझने की कोशिश करें तो कह सकते हैं कि अव्यवस्था ऐसी व्यवस्था है जिसका अर्थ समझा नहीं गया. अव्यवस्था जैसी एडवर्ड लॉरेंज के कंप्यूटर वाले मौसम में थी. जिसे समझने की कोशिश की जा रही थी. जिसने जन्म दिया Chaos theory को. जिसके शुरुआती दौर की एक अहम कड़ी है ‘बटरफ्लाई इफेक्ट’ (Butter fly effect). आइए सब समझते हैं एक-एक करके.

बटरफ्लाई इफेक्ट की शुरुआत

दरअसल एडवर्ड लॉरेंज गणितज्ञ और मौसम के एक्सपर्ट थे. जो अपनी लैब में मौसम पर रिसर्च कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने अपने कंप्यूटर में हवा की रफ्तार और तापमान जैसे मौसम के 12 पैमाने फीड किये थे. वो मौसम का एक सिम्युलेशन या मौसम की नकल जैसा प्रोग्राम चला रहे थे. जिसके नतीजों का वो रिकार्ड रखते थे. बोले तो जोड़ घटा कर देख रहे थे कि अगर तापमान इतना हो जाए, हवा इतनी तेज चल रही हो, तब मौसम पर कैसा असर होगा? ये सब वो कंप्यूटर में आंकड़ों की मदद से समझ रहे थे.

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