स्‍पेन में नौकरी का सपना दिखा मासूम को भेजा था जेल, अब खुद के साथ हुआ बड़ा खेल

इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन काउंटर नंबर 9 के सामने खड़े जगदीश सिंह को एतिहाद एयरवेज की फ्लाइट संख्‍या EY-223 से आबुधाबी होते हुए वार्सिलोना के लिए रवाना होना था.

जांच के दौरान, इमीग्रेशन अधिकारी राजेश कुमार ने पाया कि जगदीश सिंह के पासपोर्ट पर लगा स्‍पेन का शेंगेन वीजा फर्जी है. जिसके बाद, जगदीश सिंह को हिरासत में लेकर आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया गया. वहीं आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने जगदीश सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/468/471 और पासपोर्ट एक्‍ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया.

आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, पूछताछ में पता चला कि आरोपी जगदीश सिंह मूल रूप से हरियाणा अंबाला के बकनौर तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव बंबा का रहने वाला है. आरोपी जगदीश ने बताया कि उसकी उम्र 32 साल पार हो चली थी, बावजूद इसके अभी तक उसका करियर पूरी तरह से सेटल नहीं हुआ था. इसी बीच, उसकी दोस्‍ती उसके ही गांव के लखबीर सिंह से हो गई. बातचीत के दौरान लखबीर की कोशिश होती थी, वह विदेश में रहने वाले भारतीय लोगों की बेहतरीन जिंदगी का चर्चा जगदीश से करे. धीरे-धीरे जगदीश के मन में भी विदेश जाने की इच्‍छा जागने लगी.

पांच लाख रुपए लेकर थमाया फर्जी वीजा
डीसीपी ऊषा रंगनानी ने बताया कि एक दिन मौका देखकर जगदीश ने लखबीर के सामने विदेश जाने की इच्‍छा जाहिर कर दी. जगदीश की बात सुन लखबीर ने उसे बताया था कि वह कुछ ऐसे लोगों को जानता है, जो लोगों को स्‍पेन भेजने और वहां नौकरी दिलाने का काम करते हैं. लखबीर की यह बात सुन जगदीश ने अपने लिए उन लोगों से बात करने के लिए कहा. अब जगदीश सिंह पूरी तरह से लखबीर सिंह के काबू में आ चुका था और वह किसी भी सूरत में विदेश जाने का मन बना चुका था. मौका मिलते ही लखबीर सिंह ने विदेश भेजने के नाम पर 9 लाख रुपए की मांग जगदीश के सामने रख दी.

उन्‍होंने बताया कि इसके बाद दोनों के बीच एक डील हुई, जिसके तहत 5 लाख रुपए स्‍पेन जाने से पहले और वहां पहुंचने के बाद 4 लाख रुपए देने की बात तय हुई. डील के तहत, जगदीश ने लखबीर को पांच लाख रुपए सौंप दिए. कुछ दिनों बाद लखबीर ने स्‍पेन का शेंगेन वीजा लगा पासपोर्ट जगदीश को सौंप दिया. इसी वीजा और पासपोर्ट पर जगदीश स्‍पेन के बार्सिलोना शहर जाने के लिए आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचा था. एयरपोर्ट पर कैसे खुली लखबीर के खेल की पोल, जानने के लिए ‘वार्सिलोना में मिली थी मनचाही नौकरी, दिल्‍ली एयरपोर्ट पर हुआ कुछ ऐसा, बर्बाद की कगार पर पहुंच गया पूरा परिवार’ पर क्लिक करें.

एक साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आया आरोपी लखबीर
डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, जगदीश के खुलासे के आधार पर आरोपी लखबीर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू की गई. वहीं, पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए आरोपी लखबीर लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा. इधर, आरोपी को किसी भी कीमत में सलाखों के पीछे भेजने के इरादे से एसएचओ विजेंद्र राणा के नेतृत्‍व में एक टीम गठित की गई, जिसमें सब-इंस्‍पेक्‍टर प्रेम नारायण और कॉन्‍स्‍टेबल विनोद पांडेय भी शामिल थे. पुलिस टीम ने ह्यूमन एंड टेक्निकल सर्विलांस की मदद से आरोपी तलाश शुरू कर दी.

उन्‍होंने बताया कि लंबी जद्दोजदह के बाद पुलिस की टीम की मेहनत रंग लाई और आरोपी को दिल्‍ली के जगतपुर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान, आरोपी ने जगदीश को अपने जाल में फंसाकर पांच लाख रुपए वसूलने की बात कबूल कर ली. उसने पूछताछ ने बताया कि वह दिल्‍ली और शिमला के बीच चलने वाली एक बस में कंडेक्‍टर का काम करता था. इसी बीच, वह कुछ एजेंट के संपर्क में आया, जो फर्जी वीजा पासपोर्ट के सिंडिकेट से जुड़े हुए थे. रुपयों के लालच में आकर वह भी इन लोगों के साथ कमीशन के आधार पर काम करने लगा. जगदीश के लिए इन्‍हीं की मदद से उसने स्‍पेन का फर्जी शेंगेन वीजा हासिल किया था.

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