big decision: तहसीलदारों के अलावा अब SDM और DRO भी कर सकेंगे रजिस्ट्री, हाथों हाथ होगा इंतकाल
कोई आपत्ति नहीं आई तो इंतकाल स्वतः हो जाएगा। 10 दिन बाद इसकी नकल (कॉपी) ले सकेंगे। अभी प्रॉपर्टी की बिक्री, मॉर्टगेज विद पोजेशन, पारिवारिक हस्तांतरण व उपहार का म्यूटेशन किया जाएगा।
वहीं, अब तहसीलदार, नायब तहसीलदार के अलावा एसडीएम, डीआरओ (जिला राजस्व अधिकारी) को भी रजिस्ट्री करने का अधिकार होगा। दरअसल, कई बार तहसीलदारों के छुट्टी पर चले जाने या तबादले के कारण पद खाली होने से रजिस्ट्रियां बंद हो जाती थीं।
रजिस्ट्री के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता था। हरियाणा में रोज करीब 3500 रजिस्ट्रियां होती हैं। सीएम ने कहा कि जल्द नई प्रणाली शुरू होगी, जिसके तहत रजिस्ट्री किसी
भी जिले में भी कराई जा सकेगी। सरकार विवादास्पद इंतकाल के मुद्दे को हल करने की दिशा में भी काम कर रही है।
जानिए क्यों लिया फैसला
• अभी प्रॉपर्टी के इंतकाल की क्या प्रक्रिया है?
अभी रजिस्ट्री के बाद 7 दिन के अंदर इंतकाल करने का समय तय किया हुआ था। यह प्रक्रिया ऑनलाइन थी, पर इसे पटवारी को पूरा करना होता था। जब पटवारी इंतकाल को सिस्टम में चढ़ाता था तो कानूनगो से होते हुए तहसीलदार के पास जाता था। तब इंतकाल होता था।
• इंतकाल में अभी कितना समय लगा रहा था?
लोगों को संपत्ति या जमीन का इंतकाल कराने में कई-कई माह लग जाते थे। कई तहसीलों में 10 से 20 हजार इंतकाल पेंडिंग हैं।
• अब इंतकाल की नई प्रक्रिया क्या होगी?
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के तुरंत बाद हेलरिस पोर्टल में स्वचालित मॉड्यूल पर ऑनलाइन इंतकाल होगा। पटवारी के पास कागजात लेकर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही इंतकाल की जानकारी भी पोर्टल पर उपलब्ध हो जाएगी। यह कोई भी चेक कर सकेगा। 10 दिन में किसी की आपत्ति नहीं आई तो स्वतः इंतकाल हो जाएगा। 10 दिन बाद व्यक्ति इंतकाल की नकल लेने तहसील या अटल सेवा केंद्र जा सकता है।
• अगर कोई आपत्ति आई तो क्या होगा?
अगर जमीन या संपत्ति को लेकर किसी ने कोई आपत्ति जताई है तो इसका मामला तहसीलदार के पास जाएगा।
• ये फैसला अभी क्यों लिया गया?
सीएम ने कहा कि इंतकाल की प्रक्रिया डिजिटल बनाने की घोषणा 2019 के चुनाव के मेनिफेस्टो में थी। पूरे सिस्टम पर गहन अध्ययन करने के बाद पोर्टल लॉन्च किया गया है। संपत्ति या जमीन का इंतकाल कराना किसी महाभारत से कम नहीं होता था, लोगों को इसके लिए दर-दर भटकना पड़ता था। इसी को देखते हुए सब कुछ
आईटी प्लेटफॉर्म पर लाने का फैसला किया है।