Bihar Teacher News : बीएड पास हजारों नियोजित शिक्षकों की नौकरी बचाने में लगी नीतीश सरकार, उठाने जा रही बड़ा कदम

बिहार में हजारों नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। ये वो शिक्षक हैं जो पहली से पांचवी क्लास तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद इनकी नौकरी खतरे में है। लेकिन अब नीतीश सरकार इनकी नौकरी बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। इन नियोजित शिक्षकों के लिए बिहार सरकार फिलहाल राहत की खबर ले कर आई है। बड़ी खबर यही है कि ये नियोजित शिक्षक फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। इनकी नौकरी पर आए खतरे को टालने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा कदम उठाने का मन बना लिया है।

नियोजित शिक्षकों की नौकरी बचाने की तैयारी

बिहार में क्लास 1 से क्लास 5 तक के वो नियोजित शिक्षक जो बीएड पास हैं, वो फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। ऐसे टीचरों की नौकरी बनाए रखने के लिए पटना हाईकोर्ट के फैसले को नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है। इसके लेकर शिक्षा विभाग ने बिहार के महाधिवक्ता से राय भी ले ले ली है। इस राय मशविरे के बाद सरकार ने तय किया है कि वो पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी ।

पटना HC के फैसले के खिलाफ SC जाएगी नीतीश सरकार

शिक्षा विभाग की तरफ से आई एक जानकारी के अनुसार बिहार के एडवोकेट जनरल यानी महाधिवक्ता पी के शाही ने बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट में SLP यानी स्पेशल लीव पिटीशन दायर करने की सलाह दी है। इसको लेकर शिक्षा विभाग में भी सहमति बन गई है। आपको ये बता दें कि बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा से पहले बीएड पास शिक्षकों की भर्ती छठे चरण के जरिए हुई थी। इसमें क्लास 1 से क्लास 5 तक के शिक्षकों की तादाद करीब 10 हजार के आसपास है।

क्या है पटना हाईकोर्ट का आदेश

दरअसल पटना हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2023 को एक आदेश दिया था। ये आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ही था। इसमें पटना हाईकोर्ट ने साफ किया था कि बिहार में प्राइमरी स्कूलों में बीएड पास डिग्रीधारी शिक्षक जॉइनिंग के योग्य नहीं होंगे। यानी क्लास 1 से पांच तक के स्कूलों में बीएड डिग्री वाले शिक्षकों की जॉइनिंग पर विचार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि जॉइन कर चुके शिक्षकों के मामले में NCTE के साल 2010 की मूल अधिसूचना के मुताबिक एलिजिबल कैंडिडेट यानी योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति बनी रह सकती है।

NCTE वाले मामले को समझिए

आपको बता दें कि NCTE की तरफ से जून 2018 की 28 तारीख को जो नोटिफिकेशन जारी किया गया था उसमें बीएड वाले टीचरों को भी प्राइमरी के योग्य माना गया था। हालांकि इसमें एक शर्त थी कि उन्हें दो साल के भीतर 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करना होगा, साथ ही खास ट्रेनिंग कराने का भी प्रावधान था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध नहीं माना था। अब बिहार सरकार नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।

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