Birth Certificate Rules : अब सोच समझकर रखें बच्‍चों का नाम, बदल गया जन्‍म प्रमाण पत्र बनाने का नियम

सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी के बाद जन्म प्रमाण पत्र बन जाने की प्रक्रिया अब और आसान हो गई है। इससे प्रसूता और उनके परिवार के लोगों की परेशानी अब दूर हो गई है।

प्रमाण पत्र के लिए पहले बिना नामकरण बच्चों का नाम रखना पड़ता था। यह समस्या शासन ने दूर कर दी है। अब प्रसूता की डिलीवरी के बाद वे आराम से बच्चे का नामकरण संस्कार करा सकते हैं। बच्चे का नाम रखकर प्रमाण पत्र के लिए आराम से आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था में भरपूर समय दे दिया गया है।

जिला महिला अस्पताल और राजकीय मेडिकल कॉलेज सहित बदायूं के सभी 19 सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र (सीएचसी), प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ( पीएचसी) और नगरीय विंग पर डिलीवरी कराई जाती हैं।

यहां डिलीवरी के बाद प्रसूताओं के बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाने की जो व्यवस्था है उसमें शासन स्तर से बदलाव कर दिया गया है। डिलीवरी के बाद तत्काल 15 दिन के अंदर जन्म प्रमाण पत्र बनाकर देना होता था।

ऐसे में परिवार बच्‍चे की राशि का और ज्योतिषी से नाम पताकर नहीं रख पाते थे। कई बाद उन्‍हें  जल्दबाजी में नाम रखने पड़ते थे जिन्‍हें बाद में बदलने की जरूरत महसूस होती थी। उन्‍हें बच्चों के नाम में संशोधन कराना पड़ता था।

ऐसी व्‍यवस्‍था के चलते तमाम परिवार परेशान रहते थे। अब नियम में संशोधन कर उन्‍हें राहत दी गई है। नई व्‍यवस्‍था में 15 दिन तक तो बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र का आवेदन ही पोर्टल नहीं लेगा।

15 दिन के बाद आवेदन शुरू होगा। 30 दिन तक आसानी से प्रमाण पत्र बनवा सकेंगे। इसके बाद भी देरी होती है तो प्रार्थना पत्र लिखकर 45 दिन तक बनवाने की छूट दी गई है। ऐसे में प्रसूता की डिलीवरी के बाद आसानी से लोग नामकरण संस्कार करने के बाद बच्चों के नाम रख सकेंगे।

मुहूर्त के चक्कर में निकल जाता था समय 

प्रसूता की डिलीवरी के बाद बहुत से लोग मुहूर्त निकलवाकर राशि के हिसाब रखना चाहते थे। लेकिन पहले समय कम मिलता था इसकी वजह से लोग ऐसे ही नाम रख लिया करते थे।

नामकरण संस्कार कराते थे तो 15 दिन का समय निकल जाता था। अब 45 दिन तक का समय मिलने से लोग आराम से बच्चे का नाम रख सकेंगे। जल्दबाजी में प्रक्रिया पूरी नहीं करनी पड़ेगी।

क्‍या बोले सीएमएस 

जिला महिला अस्‍पताल के सीएमएस डॉ.इंदुकांत वर्मा ने कहा कि जन्म प्रमाण पत्र में बार-बार नाम तो संशोधित नहीं होता है इस तरह की दिक्कत तो आतीं थी लेकिन स्थानीय स्तर पर हम उसमें कुछ संशोधन नहीं कर सकते थे।

शासन ने इस समस्या पर गौर किया। नियम में संशोधन कर दिया है। लोग अब आराम से बच्चे का नामकरण करने के बाद नाम बताकर प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।

सीजर वाली प्रसूताओं को होती थी दिक्कत

जिला महिला अस्पताल में अधिकांश प्रसूताओं की डिलीवरी सीजर से होती है। सीजर से डिलीवरी के बाद प्रसूताओं को 08 से 11 दिनों तक तो वहीं भर्ती रखना पड़ता है।

कई बार सीजर के बाद प्रसूता का स्वास्थ्य बिगड़ जाये तो 15 से 20 दिन भी लग जाते हैं। ऐसे में 15 दिन का समय निकल जाता था। ऐसे में सीजर वाली प्रसूताओं के बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र नहीं बन पाते थे। संशोधन के बाद उन्‍हें भी राहत मिल गई है।

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