कुछ विरोधी स्वर हमेशा रहे हैं- 22 जनवरी को अनहोनी की आशंका पर बोलीं साध्वी ऋतंभरा

राम मंदिर को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है और अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी जोरों पर चल रही है. देशभर में माहौल इस समय राममय हो गया, लेकिन कुछ लोगों की ओर से डर का माहौल बनाया जा रहा है. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की ओर से कहा जा रहा है कि 20 से 25 तारीख के बीच लोग सफर करने से बचें. इस दौरान कोई अनहोनी हो सकती है. बम धमाके तक की बात कही जा रही है. इस संभावना पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि आंदोलन के शुरू होने के समय से ही इसको लेकर विरोधी स्वर रहे हैं.

राम मंदिर आंदोलन में शामिल अहम चेहरों में से एक और परम शक्ति पीठ, वात्सल्य ग्राम की संस्थापक साध्वी ऋतंभरा ने कहा, राम मंदिर आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक कुछ ऐसे विरोधी स्वर रहे हैं जो कुछ न कुछ इसके विरुद्ध कहते रहे हैं. भारतीय भावनाओं और भारत के जनमानस को नहीं समझा गया. तुष्टिकरण की राजनीति होती रही या संकुचित विचारधारा थी. भारतीय के जन के मन में राम बसते हैं. राम सर्वे भवंतु सुखीना की भावना हैं.

‘ब्लैक बोर्ड नहीं तो सफेद खड़िया कैसे दिखेगा’

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में दुखों की बहुत दुपहरी आती हैं, जब दुख की दुपहर हमें जलाती है, तब श्रीराम के नाम का आधार ही हमें शीतलता देता है. दूसरी बात यह है कि सबमें राम, मेरे राम. आपके राम और उस राम में रमने वाले भारत को नहीं समझा गया. इसी के कारण विरोधी स्वर आसमान छुने लगे. लेकिन इसके बाद व्याकुलता, एक तड़प, अंदर से ऐसा संकल्प लिया गया. फिर बड़े-बड़े आंदोलन हुए. लेकिन आप देखिए कि किसने किसके प्रति विद्धेष भाव रखा. लेकिन राम मंदिर के विरुद्ध बोलना, मेरे ख्याल से परम सत्ता के खिलाफ बोलने जैसा है.

उन्होंने आगे कहा, “मुझे उन स्वरों की कोई चिंता नहीं है, क्योंकि अगर ब्लैक बोर्ड नहीं होगा तो सफेद खड़िया भी कभी प्रकट होती नहीं.”

क्या यह एक पार्टी का आयोजन है, इस पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा, “नहीं, मैं यह नहीं कह रही हूं, राम मंदिर आंदोलन विश्व हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल के संतों की आज्ञा से शुरू हुआ था, फिर यह आंदोलन न संगठन का था, न किसी पार्टी का था. फिर यह आंदोलन जन आंदोलन था, यह आंदोलन राम जी के लिए था. राम जी के साथ सारा भारत है. राम जी का सारा भारत है और यह न पार्टियों में बंटा है, न भाषाओं में बंटा है और न ही प्रांतों में बंटा है. बल्कि यह एक दुष्प्रचार था.”

हिंदू राष्ट्र को लेकर क्या बोलीं साध्वी ऋतंभरा

साध्वी ऋतंभरा ने कहा, “राम नहीं हैं नारा, वो विश्वास हैं. भौतिकता की नहीं दिलों की प्यास हैं. राम नहीं मोहताज किसी के झंडों का, संन्यासी, साधु-संतों या पंडों का, राम नहीं मिलते ईंटों-गारों में, राम मिले निर्धन की आंसू धारों में.”

हिंदू राष्ट्र की बात से जुड़े सवाल पर साध्वी ऋतंभरा ने आगे कहा कि निश्चित रूप से भारत एक हिंदू राष्ट्र है. हिंदू राष्ट्र का भाव है सर्वे भवंतु सुखीना. भारत ही वो विचार है जो सारी चराचर सृष्टि में एक जोत का दर्शन करता है, एक भाव से देखता है. चींटी से लेकर ब्रह्मा तक में एक ही परम सत्ता का दर्शन करता है. उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र में सभी धर्मों के लोग शामिल हैं. मैं तो यह मानती हूं कि यहां रहने वाली सभी भारतवंशी हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *