Budget 2024: गरीबी न बने पढ़ाई छोड़ने की वजह, रोजगार परक शिक्षा पर हो जोर; शिक्षाविदों ने बजट पर दिए ये सुझाव
भारत के विकास की नींव यहां के युवाओं पर टिकी हुई है, इसलिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. इसके लिए देश की शिक्षा व्यवस्था को और दुरुस्त करने पर ध्यान देना चाहिए. दूसरे सेक्टरों की तरह शिक्षा जगत से जुड़े लोग भी 23 जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में कुछ खास घोषणाओं का इंतजार कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने से लेकर युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए. छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने को लेकर Raus IAS study Circle की ओर से सरकार को कुछ ऐसे ही सुझाव दिए हैं.
शिक्षा के लिए बजट का बढ़ाए दायरा
Raus IAS study Circle के सीईओ अभिषेक गुप्ता ने शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन में लगातार हो रही वृद्धि की सराहना की. साथ ही उन्होंने इसे और बढ़ाए जाने की बात कही. उनका कहना है कि शिक्षा क्षेत्र के विकास और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इस वर्ष भी शिक्षा क्षेत्र के लिए जारी होने बजट में और इजाफा करना चाहिए. बजट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा पर होने वाले खर्च को जीडीपी के 6% तक रखना चाहिए.
ड्रॉप आउट की समस्या को किया जाए दूर
अभिषेक का कहना है कि बहुत से छात्र देश में गरीबी के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं, वहीं कई दूर-दराज के इलाकों उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने की वजह से भी उनकी पढ़ाई छूट जाती है. खासतौर पर माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों के ड्रॉपआउट का आंकड़ा ज्यादा बढ़ा है. सरकार को इसे रोकने के लिए गरीबी मिटाने, स्कूल के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि को शामिल करना चाहिए.
पोषण 2.0 को दें बढ़ावा
बच्चों की शिक्षा तभी बेहतर हो सकती है जब वह स्वस्थ हो. ऐसे में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल के लिए पोषण 2.0 को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे बच्चों को पर्याप्त आहार मिल सके. साथ ही शिक्षक प्रशिक्षण एवं पाठ्यक्रम को नया स्वरूप देने आदि के लिए व्यापक स्तर पर कदम उठाना चाहिए.
रोजगार परक शिक्षा पर दें ध्यान
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि पाठ्यक्रम को अपडेट करने, इनक्यूबेशन सेंटर खोलने और उद्योग-अकादमिक सहयोग, सिलैबस में सुधार, इनक्यूबेशन सेंटर आदि को शामिल करते हुए स्नातकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. साथ ही रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए युवाओं को कौशल विकास से जुड़ी शिक्षा देनी चाहिए. इसके अलावा ऐसे छात्रों की बेहतरी के लिए अप्रेंटिसशिप को कानूनी अधिकार बनाने पर विचार करना चाहिए.